शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

खिश्यानी सरकार फ़ाइल निकाले ...

सरकार का जाहो जलाल उससे मांग करता है आम आदमी ,जनता इस देश की उससे डर के रहे .लोक का तंत्र सरकार के पास है जनता बाहर है .सरकार के पास पतंग की डोर है ,पतंग की क्या मजाल जो बोले ।
अलबत्ता सरकार मानती है -गलती वहां हुई जहां केजरीवाल की स्टडी लीव मंजूर की .किरण बेदी का इस्तीफा मंजूर किया ।
सरकार के वकीलों ने सरकार को यही सिखाया है -फूंक निकालो जनता की ,जनता नहीं डरे तो पीछे हट जाओ .चिदम्बरम की तरह ,प्रधान मंत्री की तरह कह दो महक माये पुलिस का काम है हमें नहीं मालूम ,केजरी वाल के मामले में आगे कच्ची हो तो कह दो कैसी फ़ाइल किसकी फ़ाइल "इनकम टेक्स डिपार्टमेंट से पूछो "हमें नहीं मालूम ।
दिमाग से पैदल इस सरकार के पास सारे मनीष तिवारी हैं ।
गलती सरकार करे भुगते इन्कमटेक्स डिपार्टमेंट ,देख लेना भारत -वासियों यही होगा ।
सरकार साफ़ कह देगी फ़ाइल भी सरकार के पास होती नहीं है विभाग के पास होती है ,उसी ने चार साल बाद यह फ़ाइल खोली है .हमसे क्या मतलब ।
अन्दर की बात भाई साहब आप भी जानतें हैं खिशियानी सरकार के पास फ़ाइल ही तो है अब भला वह उसे भी स्तेमाल न करे .केजरीवाल की ये मजाल .उसके नाम तो ज़मीन के नीचे भी खुदाई करके एक ज़मीन का टुकडा खोज लिया जाएगा ,रजिस्ट्री ढूंढ निकाल ली जायेगी .ज़मीन के ऊपर तो मिली नहीं है ।
लोगों की फ़ाइल सरकार रखती है यही तो लोकतंत्र है .
ये भारत है अमरीका नहीं है जहां वाईट हाउस के ठीक बाहर दुनिया भर के लोगों को प्रदर्शन की छूट है और कहीं कोई तनाव नहीं होता ,यकीन मानिए हमने वह नजारा बारहा देखा है .ऑरकुट पर उस नजारे केहमारे चित्र , फोटो मौजूद हैं ।
अब इन सरकारी कुतर्क पंडितों का तर्क देखो -केजरी वाल साहब के मरहूम चचा जान अपने बचपन में आर एस एस की शाखा में जाते थे .कल को सरकार यह भी कह सकती है मंदिर भी रोज़ जाते थे -यदि रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम गांधीजी ने नहीं गाया होता तो इसे गाने वालों को ये सेक्युलर सरकार साम्प्रदायिक घोषित कर देती ,आर एस एस तत्व कह देती ,नाथू राम गोडसे का वारिस बतला देती ।
इसी सरकार को यह नहीं मालूम मम्मी जी के परिवारी मुसोलोनी की चाकरी करते थे ,ये सभी उनके,मम्मी जी के सरकारी मुसक्के हैं ।
सरकार भूल रही है किसी एक परिघटना पर सरकार के ही दस आदमी टूट जातें हैं .फिर डर किस बात का ,फ़ाइल की आड़ कैसी जो सरकार अभी किरण बेदी जी की भी खोलेगी ,खुला खेल खेले सरकार यदि डिब्बे का दूध नहीं पीया है तो .खूब उखाड़े गड़े मुर्दे .

8 टिप्‍पणियां:

अशोक सलूजा ने कहा…

गुरुदेव राम-राम (प्रणाम)!
सौ बातों की एक बात ...
दिमाग से पैदल इस सरकार के पास सारे मनीष तिवारी हैं ।

सुधीर राघव ने कहा…

सरकार के पास बहुत सी फाइलें हमेशा दबी ही रहती हैं, जब कोई बात चर्चा में आती है तो अफसरों की आंख खुलती है, वह नींद से जागते हैं कि कहीं जवाब-तलबी न हो जाए इसलिए फाइल की धूल झाड़ दो।

Maheshwari kaneri ने कहा…

सही और सटीक आलेख..आभार

Nilam-the-chimp ने कहा…

ये सुनले है हमें तमन्ना मर मिटने की, कसम हमें तिरंगे की.
वक्त है आओ मिलकर इंकलाबी नारा बुलंद कर दे.
भारत माँ की छाती छलनी होती इन चोरो से, छाती पर लोटते सांपो से.
आओ दिलादे मुक्ति देश को इन गद्दारों से.
http://tatva-bodh.blogspot.com/

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

यूँ ही एक दुसरे की गलती ढकते छुपाते राज चलता रहे ...... यही तो चाहिए

SANDEEP PANWAR ने कहा…

अगर सुभाष चन्द्र बोस के बारे में कोई ठोस जानकारी मिल जाये तो ये सरकार उनकी वो फ़ाईल भी निकाल सकती है जो कभी अंग्रेजों ने बनायी थी, या कहो कि इस पार्टी ने बनवाई थी।

Urmi ने कहा…

बहुत बढ़िया लिखा है आपने! सार्थक आलेख!
आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

रविकर ने कहा…

सरकारी बन्धुआ मिले, फ़ाइल रक्खो दाब,
किरण-केजरीवाल का, खेला करो खराब |

खेला करो खराब, बहुत उड़ते हैं दोनों --
न नेता न बाप, पटा ले जायँ करोड़ों |

कह सिब्बल समझाय, करो ऐसी मक्कारी,
नौ पीढ़ी बरबाद, डरे कर्मी-सरकारी ||

(२)
खाता बही निकाल के, देखा मिला हिसाब,
फंड में लाखों हैं जमा, लोन है लेकिन साब |

लोन है लेकिन साब, सूदखोरों सा जोड़ा,
निकले कुल नौ लाख, बचेगा नहीं भगोड़ा |

अफसर नेता चोर, सभी को एक बताता |
फँसा केजरीवाल, खुला घपलों का खाता ||