दिल के मामले में भी कन्याओं से सौतेला व्यवहार .
वाह! रे !भारतीय रीति-रिवाज़ और संस्कृति .THE TIMES OF इंडिया की यह सुर्खी आगे कुछ लिखने की गुंजाइश भी नहीं छोडती .फिर भी इस खबर के मुताबिक़ एक बात साफ़ है जान लेवा मेडिकल कंडीशंस ,प्राण पखेरू ले उड़ने वाली बीमारियों के मामले में भी भारतीय समाज लड़कियों के साथ दुभांत करता है ।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में संपन्न एक ताज़ा अध्ययन के मुताबिक़ लड़कों को यहाँ इन जीवन रक्षक मामलों में भी हार्ट सर्जरी कराने के ज्यादा मौके मिलतें हैं .
मेडिकल जर्नल 'हार्ट 'में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार ऐसे ४०५ माँ -बाप से जिनके बच्चों की उम्र १२ साल तक थी तथा जिन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ELECTIVE PEDIATRIC CARDIAC सर्जरी करवाने की सलाह दी गई थी , लड़कियों के मामले में कुल ४४%लड़कियों को यह सर्जरी मुहैया करवाई गई जबकी ७० %लड़कों को इसका लाभ मिला ।
१३४ में से कुल ५९ लड़कियों के माँ -बाप इस शल्य के लिए आगे आये जबकी २७१ में से १८९ लड़कों के माँ -बाप ने पहल की ।
प्रत्येक ७० लड़कों के पीछे सिर्फ २२ लड़कियों को ही 'जन्म जात हृद -विकारों 'की सर्जरी करवाने का मौक़ा मेरे हिन्दुस्तान में मिल रहा है ।जबकी यही उपयुक्त समय होता है इन जन्म जात विकारों से निजात का .
छोटे से दरगाह का इमाम भी राजनीति करने लगा .
इमाम साहब हमारी परम्परा में शाल ही ओढाई पहराई चढ़ाई जाती ,जाने वाले पर चद्दर डालतें हैं सम्मान की ,मन्नत पूरी होने पर अजमेर जाके चादर चढातें हैं .कृपया आप समझाएं इस्लाम की टोपी का अपमान मोदी के टोपी न पहनने से कैसे हो गया ?क्या हमारी परम्परा में टोपी पहराई जाती है ?.यहाँ माथे पर तिलक और अंगवस्त्र का ही रिवाज़ है .?
(१)क्या इसलिए कि मोदी ने राजनीति का ढोंग नहीं किया कोंग्रेसियों की तरह इसलिए ?
(२)चेहरा और मौक़ा देख के रंग नहीं बदला सांसदी इसलिए .सांसदी रंग की तमाम छटाएं और शेड्स तो गिरगिट के पास भी नहीं हैं ।
और इमाम साहब पूरे अदब के साथ आखिर में आपसे एक सवाल -आपको जनेऊ भेंट किया जाता ,आप पहन लेते ?
महारोग मोटापा तेरे रूप अनेक .
आखिर चर्बी चढ़ती ही क्यों हैं ?
अब से कोई सौ बरस पहले आदमी बहुत कम खाता था .काम बहुत करता था .मीलों पैदल चलता था .यानी खाना कम ,उड़ाना ज्यादा होता था केलोरी का ।
हारमोनों की वजह बहुत कम बनता था मोटापा ।
बेंक में पैसा जमा न करो जो बकाया है उसे उड़ाते रहो .यही फलसफा था .और जीवन दर्शन यह था -
रूखी सूखी खाय के ,ठंडा पानी पीव ,
देख पराई चूपड़ी मत ललचावे जीव ।
इसीलिए यह महा -रोग मोटापा न के बराबर ही था ।
वेस्ट लाइन और मोटापा :
मर्दों के लिए ३६ इंच से ऊपर का कमर का माप (वेस्ट लाइन )और औरतों के लिए ३२ इंच से ऊपर खतरे की घंटी माना जाता है ।
बॉडी मॉस इंडेक्स और मोटापा :
आदमी का वजन किलोग्राम में लिख कर इसे ऊंचाई के वर्ग से भाग कर दिया जाए .हाँ ऊंचाई यानी हाईट वर्ग मीटर (मीटर स्क्वायार्ड )में लिखी जाए .इस प्रकार प्राप्त अंक "बॉडी मॉस इंडेक्स "संक्षेप में बी एम् आई कहलाता है ।
इसका २४.९ या फिर पच्चीस तक रहनाकिसी भी बालिग या व्यस्क के लिए सामान्य है ।
२५ -३० तक क्लास ए ओबेसिटी में आयेगा ।
३०-३५ तक क्लास बी ओबेसिटी के तहत आयेगा ।
३५ -४० तक मोर्बिद ओबेसिटी (रुग्ड़ता )के तहत आता है ।
बतलादें आपको डायबिटीज़ की तरह ही सब रोगों की माँ है मोटापा ।
ब्लड प्रेशर (हाइपर टेंशन ,स्ट्रोक यानी ब्रेन -अटेक ,कार्डिएक प्रोब्लम्स ,हार्ट अटेक ,कैंसर आदि का सबब बनते देर नहीं लगती )।
खतरनाक है हर हाल मोटापा .ओवरवेट होना ।
कद काठी के अनुरूप आदर्श भार से यदि आपका वजन १२० फीसद ज्यादा रहता है तब आप ओवरवेट कहलायेंगें ।
(सन्दर्भ :डॉ .संदीप अग्रवाल ,मोटापा माहिर ,अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ,नै दिल्ली से आकाश वाणी की बातचीत पर आधारित )।
1 टिप्पणी:
जानकारी से भरपूर सटीक आलेख.....
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