गुरुवार, 22 सितंबर 2011

दिल के मामले में भी कन्याओं से सौतेला व्यवहार .

Girls face bias in heart surgery too
वाह! रे !भारतीय रीति-रिवाज़ और संस्कृति .THE TIMES OF इंडिया की यह सुर्खी आगे कुछ लिखने की गुंजाइश भी नहीं छोडती .फिर भी इस खबर के मुताबिक़ एक बात साफ़ है जान लेवा मेडिकल कंडीशंस ,प्राण पखेरू ले उड़ने वाली बीमारियों के मामले में भी भारतीय समाज लड़कियों के साथ दुभांत करता है ।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में संपन्न एक ताज़ा अध्ययन के मुताबिक़ लड़कों को यहाँ इन जीवन रक्षक मामलों में भी हार्ट सर्जरी कराने के ज्यादा मौके मिलतें हैं .
मेडिकल जर्नल 'हार्ट 'में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार ऐसे ४०५ माँ -बाप से जिनके बच्चों की उम्र १२ साल तक थी तथा जिन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ELECTIVE PEDIATRIC CARDIAC सर्जरी करवाने की सलाह दी गई थी , लड़कियों के मामले में कुल ४४%लड़कियों को यह सर्जरी मुहैया करवाई गई जबकी ७० %लड़कों को इसका लाभ मिला ।
१३४ में से कुल ५९ लड़कियों के माँ -बाप इस शल्य के लिए आगे आये जबकी २७१ में से १८९ लड़कों के माँ -बाप ने पहल की ।
प्रत्येक ७० लड़कों के पीछे सिर्फ २२ लड़कियों को ही 'जन्म जात हृद -विकारों 'की सर्जरी करवाने का मौक़ा मेरे हिन्दुस्तान में मिल रहा है .जबकी यही उपयुक्त समय होता है इन जन्म जात विकारों से निजात का .

3 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कितनों को आवश्कता है, संभव है कि कन्यायें कम बीमार होती हों आपके भारत में।

डॉ टी एस दराल ने कहा…

यहाँ भी पक्षपात ! खुदा खैर करे ।

virendra sharma ने कहा…

प्रवीण जी यहाँ 'हो सकता है 'कि गुंजाइश कहाँ है यह तो नतीजे हैं ज्ञात प्रेक्षण ,सर्वे के .अलबत्ता लडकियों को 'पैदा होने 'से ही रोका ज़रूर जाता है यहाँ .आपकी टिपण्णी का शुक्र गुज़ार हूँ ,संभावना भी सदाशयता लिए है .आभार .