Thursday, September 8, 2011
कायर कौन ?
आतंकवाद ,बयानबाजी ,मज़हब ,सुरक्षा !
क्या वो आतंकवादी कायर हैं जो बाकायदा ई -मेल करने के बाद आतें हैं और मज़हब के नाम पर कामयाब विस्फोट करके चले जातें हैं अपने चुनिन्दा स्थानों पर ,निर्धारित दिन समय पर ?
या वह सरकार और उसके मुखिया कायर हैं जो चुप करके बैठ जातें हैं .और फिर कहतें हैं यह दिल्ली पर कायराना हमला है .ये नहीं कहते भारत पर कायराना हमला है .जैसे दिल्ली अलग है और भारत अलग है ।
हालाकि शायराना शब्द प्रयोग तो उर्दू में है लेकिन कायराना वाक्य प्रयोग मनमोहन सिंह जी की देन समझी जायेगी .
आतंकवादी कहतें हैं और बा -खूबी समझतें हैं जो सरकार अपने ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा पाए आतंकवादियों की फांसी पर अमल नहीं करा सकती वह हमारा क्या बिगाड़ लेगी ।
ये सरकार तो अपने सशश्त्र बलों का भी एक हाथ पीछे बांधकर हमसे मुकाबला करने भेजती है ।
खुद "कायराना "शब्द सोचता होगा कैसा आदमी ,कैसा मोहना आज इस का प्रयोग कर रहा है जो इसकी पात्रता ही नहीं रखता .जिसके प्राधिकृत प्रवक्ता ख़ूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन के मारे जाने पर ओसमा जी संबोधन के साथ कहतें हैं उन्हें "ओसामा जी "को इस्लामी रीतिरिवाज़ से सुपुर्दे ख़ाक किया जाना चाहिए था ।
शहीद मोहन सिंह जी की शहादत को जिसके हिमायती और तिहाड़ी डीलर सवालिया निशान लगातें हैं वह सरकार बयानबाजी से आगे कभी बढ़ेगी ?
असली कायर है कौन ?
आतंकवादी या बयानबाज़ काग भगोड़ा ?
लिनक्स :आतंकवाद ,बयानबाजी ,मज़हब ,सुरक्षा !
किस्मत वालों को मिलती है तिहाड़ .
जिस प्रकार संविधान निर्माताओं ने यह नहीं सोचा था किसंविधान का पाला एक दिन दस नंबरियों से पड़ेगा वैसे ही तिहाड़ के निर्माताओं ने यह कहाँ सोचा था कि एक दिन तमाम "वीआईपीज़ "तिहाड़ के अहाते में आजायेंगें और तिहाड़ एक लघु संसद में तबदील हो जायेगी .एक लघु सचिवालय भी यहाँ बनाना पड़ेगा .और दिल्ली विधान -सभाई क्षेत्र भी ।
नए सिरे से एक री -ओरिएंटेशन प्रोग्रेम तिहाड़ कर्मियों को देना पड़ेगा ताकि वह संसद रत्न अमर सिंह जैसों फगन सिंह कुलस्ते ,तथा महावीर भगोरा ,संचार शिरो -मड़ी श्री ए .राजा साहब ,सचिव -स्तरीय सिद्धार्थ बेहुरा ,राजा के सहयोगी रहे आर.के .चंदोलिया साहब ,तथा महा -लक्षमी कनिमौंझी तथा कलाइग्नर टी वी सुदर्शन श्री शरद कुमार ,खेल पति कलमाड़ी साहब ,ललित भनोट साहब ,वी के वर्मा साहब ,एस वी प्रसाद ओरे तथा सुरजीत लाल जैसेअमूल्य रत्नों के साथ तालमेल बिठा सकें ।कोर्पोरेट शहंशा स्वान टेलीकोम के शाहिद बलवा ,विनोद गोयनका तथा यूनिटेक वायरलैस के संजय चन्द्रा ,सिने युग फिल्म के करीम मोरानी साहब ,तथा कुसेगांव फ्रूट एंड वेजिटेबल प्रा .लि.के आसिफ बलवा तथा राजीव बी. अग्रवाल साहब के स्वाभावानुरूप अपने को ढाल सकें ।
अभी तो कई और महा -लक्ष्मियाँ पाइप लाइन में हैं ।
मालिक देता है जब तो छप्पड़ फाड़ के देता है .कहतें हैं एक दिन घूरे के भी दिन फिरतें हैं ."एवरी डॉग हेज़ हिज़ डे "।
बेऊर जेल के दिन लालू से बहुरे थे .तिहाड़ की तो लोटरी ही खुल गई है .संसद से ज्यादा रोशनी और सिक्युरिटी है आज तिहाड़ में ।
चंद दिनों पहले अन्ना जी को भी यहाँ लाकर उपकृत किया गया .अपने राम देव जी को इस वी आई पी स्टेटस से वंचित रहना पड़ा .क्या करें उनकी किस्मत में भगवा वस्त्र और लंगोट ही है .तिहाड़ किस्मत वालों को मिलता है .
नए सिरे से "फस्ट डिग्री मेथड" प्रशिक्षण देना पड़ेगा तिहाड़ियों को .
लिंक :तिहाड़ ,किस्मत और वीआईपीज़ .
क्या वो आतंकवादी कायर हैं जो बाकायदा ई -मेल करने के बाद आतें हैं और मज़हब के नाम पर कामयाब विस्फोट करके चले जातें हैं अपने चुनिन्दा स्थानों पर ,निर्धारित दिन समय पर ?
या वह सरकार और उसके मुखिया कायर हैं जो चुप करके बैठ जातें हैं .और फिर कहतें हैं यह दिल्ली पर कायराना हमला है .ये नहीं कहते भारत पर कायराना हमला है .जैसे दिल्ली अलग है और भारत अलग है ।
हालाकि शायराना शब्द प्रयोग तो उर्दू में है लेकिन कायराना वाक्य प्रयोग मनमोहन सिंह जी की देन समझी जायेगी .
आतंकवादी कहतें हैं और बा -खूबी समझतें हैं जो सरकार अपने ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा पाए आतंकवादियों की फांसी पर अमल नहीं करा सकती वह हमारा क्या बिगाड़ लेगी ।
ये सरकार तो अपने सशश्त्र बलों का भी एक हाथ पीछे बांधकर हमसे मुकाबला करने भेजती है ।
खुद "कायराना "शब्द सोचता होगा कैसा आदमी ,कैसा मोहना आज इस का प्रयोग कर रहा है जो इसकी पात्रता ही नहीं रखता .जिसके प्राधिकृत प्रवक्ता ख़ूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन के मारे जाने पर ओसमा जी संबोधन के साथ कहतें हैं उन्हें "ओसामा जी "को इस्लामी रीतिरिवाज़ से सुपुर्दे ख़ाक किया जाना चाहिए था ।
शहीद मोहन सिंह जी की शहादत को जिसके हिमायती और तिहाड़ी डीलर सवालिया निशान लगातें हैं वह सरकार बयानबाजी से आगे कभी बढ़ेगी ?
असली कायर है कौन ?
आतंकवादी या बयानबाज़ काग भगोड़ा ?
लिनक्स :आतंकवाद ,बयानबाजी ,मज़हब ,सुरक्षा !
किस्मत वालों को मिलती है तिहाड़ .
जिस प्रकार संविधान निर्माताओं ने यह नहीं सोचा था किसंविधान का पाला एक दिन दस नंबरियों से पड़ेगा वैसे ही तिहाड़ के निर्माताओं ने यह कहाँ सोचा था कि एक दिन तमाम "वीआईपीज़ "तिहाड़ के अहाते में आजायेंगें और तिहाड़ एक लघु संसद में तबदील हो जायेगी .एक लघु सचिवालय भी यहाँ बनाना पड़ेगा .और दिल्ली विधान -सभाई क्षेत्र भी ।
नए सिरे से एक री -ओरिएंटेशन प्रोग्रेम तिहाड़ कर्मियों को देना पड़ेगा ताकि वह संसद रत्न अमर सिंह जैसों फगन सिंह कुलस्ते ,तथा महावीर भगोरा ,संचार शिरो -मड़ी श्री ए .राजा साहब ,सचिव -स्तरीय सिद्धार्थ बेहुरा ,राजा के सहयोगी रहे आर.के .चंदोलिया साहब ,तथा महा -लक्षमी कनिमौंझी तथा कलाइग्नर टी वी सुदर्शन श्री शरद कुमार ,खेल पति कलमाड़ी साहब ,ललित भनोट साहब ,वी के वर्मा साहब ,एस वी प्रसाद ओरे तथा सुरजीत लाल जैसेअमूल्य रत्नों के साथ तालमेल बिठा सकें ।कोर्पोरेट शहंशा स्वान टेलीकोम के शाहिद बलवा ,विनोद गोयनका तथा यूनिटेक वायरलैस के संजय चन्द्रा ,सिने युग फिल्म के करीम मोरानी साहब ,तथा कुसेगांव फ्रूट एंड वेजिटेबल प्रा .लि.के आसिफ बलवा तथा राजीव बी. अग्रवाल साहब के स्वाभावानुरूप अपने को ढाल सकें ।
अभी तो कई और महा -लक्ष्मियाँ पाइप लाइन में हैं ।
मालिक देता है जब तो छप्पड़ फाड़ के देता है .कहतें हैं एक दिन घूरे के भी दिन फिरतें हैं ."एवरी डॉग हेज़ हिज़ डे "।
बेऊर जेल के दिन लालू से बहुरे थे .तिहाड़ की तो लोटरी ही खुल गई है .संसद से ज्यादा रोशनी और सिक्युरिटी है आज तिहाड़ में ।
चंद दिनों पहले अन्ना जी को भी यहाँ लाकर उपकृत किया गया .अपने राम देव जी को इस वी आई पी स्टेटस से वंचित रहना पड़ा .क्या करें उनकी किस्मत में भगवा वस्त्र और लंगोट ही है .तिहाड़ किस्मत वालों को मिलता है .
नए सिरे से "फस्ट डिग्री मेथड" प्रशिक्षण देना पड़ेगा तिहाड़ियों को .
लिंक :तिहाड़ ,किस्मत और वीआईपीज़ .
9 टिप्पणियां:
देश का दुर्भाग्य ही है कि आतंकवादी सफल हो रहे हैं।
एवरी डॉग हेज़ हिज़ डे
its failure of political will
and Indians are lucky that SC is sending such people to Tihar
एक की सफलता तो दूसरे की विफलता। हम विफल तो वे सफल। हम क्यों विफल? इसी में है सफलता का राज। ढूंढ सके तो कोई ढंढे! जो ढूंढा वह सफल! राम राम भाई!
शर्मा जी राम राम, हमारे देश के नेता में किसी निर्णय को लेने कि हिम्मत ही नहीं वह तो हाई कमान का कहा करेंगे |अच्छी पोस्ट एक सुझाव पेज का मार्जिन अडजस्ट कर लिए करें वैसे ब्लॉग है आपका और मर्जी है आपकी ............
अब समय आ गया है कि आम आदमी को अगर सुरक्षित रहना है तो तिहाड चला जाए।
मनमोहन कर दंडवत, लौटा आज स्वदेश,
भू-खंड एकड़ चार सौ, भेंटा बांग्लादेश |
भेंटा बांग्लादेश, पाक को कितना हिस्सा,
काश्मीर का देत, बता दे पूरा किस्सा |
बड़ा गगोई धूर्त, किन्तु तू भारी अड़चन,
यहाँ करे यस-मैम, वहां क्यूँ यस-मनमोहन ??
कायर की चेतावनी, बढ़िया मिली मिसाल,
कड़ी सजा दूंगा उन्हें, करे जमीं जो लाल |
करे जमीं जो लाल, मिटायेंगे हम जड़ से,
संघी पर फिर दोष, लगा देते हैं तड़ से |
रटे - रटाये शेर, रखो इक काबिल शायर,
कम से कम हर बार, नया तो बक कुछ कायर ||
आदरणीय मदन शर्मा जी के कमेंट का हिस्सा साभार उद्धृत करना चाहूंगा -
अब बयानबाजी शुरू होगी-
प्रधानमंत्री ...... हम आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देंगे ...
दिग्गी ...... इस में आर एस एस का हाथ हो सकता है
चिदम्बरम ..... ऐसे छोटे मोटे धमाके होते रहते है..
राहुल बाबा ..... हर धमाके को रोका नही जा सकता...
आपको पता है कि दिल्ली पुलिस कहाँ थी?
अन्ना, बाबा रामदेव, केजरीवाल को नीचा दिखाने में ?????
सरकार की लपर्वाही ही आतंकवादी की सफल का कारण है...इसमें मासूम लोग पिस रहे हैं...
पता नहीं हमारी सरकार और कितनों की बलि चढ़ाकर जागेगी ........आतंकवादी तो एक धमाका करके और दुसरे की धमकी देकर चले जाते हैं
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