रविवार, 30 सितंबर 2012

डिश :जीवन शैली और घरेलू उपचार

डिश :जीवन  शैली और घरेलू उपचार

आप काज महा काज .बिना मरे स्वर्ग नहीं मिलता ,बुजुर्गों ने ये ऐसे ही नहीं कह दिया होगा .

नियमित ऐसे व्यायाम करें जिनमें  ऑक्सीजन की खपत बढती हो -मसलन सैर करना ,तैराकी के लिए जाना ,कुलमिलाकर शरीर द्वारा ऑक्सीजन का प्रयोग सुधारना है .उम्र के अनुरूप कुछ भी करें .इससे आपकी दर्द ,जकड़न  बर्दाश्त करने का माद्दा भी बढेगा ,सहनशक्ति में भी बढ़ोतरी होगी .

शरीर को फुर्तीला रखने के लिए कुछ भी करें जो संभव हो .

अलबत्ता अपने माहिर से परामर्श ज़रूर करें कुछ भी नया शुरु करने से पहले .वह आपके संपर्क में है आपके बारे में ज्यादा जानता है .

हीटिंग पैड्स का इस्तेमाल करें असरग्रस्त हिस्से पे .

Set  the heating pad at low setting so that it is warm ,not hot, to reduce the risk of burning .

कुछ लोगों को कोल्ड पेक्स ज्यादा माफिक आते हैं वह इनका इस्तेमाल ज्यादा कर सकते हैं .

कुछ लोग बारी बारी से बदल बदल के दोनों को काम में ले सकतें हैं .

सबके लिए कोई एक रणनीति नहीं है .हरेक का  मिजाज़ फर्क होता है . 

(समाप्त )

सन्दर्भ -सामिग्री :

Diffuse idiopathic skeletal hyperostosis (DISH) - MayoClinic.com

www.mayoclinic.com/.../diffuse-idiopathic-skeletal-hyperostos...Share
Diffuse idiopathic skeletal hyperostosis (DISH) — Comprehensive overview covers symptoms, treatment and complications.

शनिवार, 29 सितंबर 2012

"डिश " के रोग निदान की युक्तियाँ (पांचवीं एवं छटी किस्त संयुक्त )





"डिश " के रोग निदान की युक्तियाँ (पांचवीं एवं छटी  किस्त संयुक्त )



ज़ाहिर है काया चिकित्सक (भौतिक चिकित्सक  )यहाँ भी शुरुआत फिजिकल एग्जामिनेशन से ही करता है .चिकित्सक आपकी रीढ़ के थोरासिक (वक्षीय ),स्पाइनल  (ग्रीवा सम्बन्धी भाग ),और लम्बर स्पाइन (निचली कमर से सम्बद्ध रीढ़ का  हिस्सा )को हलके हाथ से दबा के देखेगा ,यहाँ वहां जोड़ों को भी अस्थि  पंजर के कि कहीं  कोई  एब्नोर्मलइति तो नहीं है ,गडबड तो नहीं है .असामान्य बात तो नहीं है .ठीक ठाक है आपकी रीढ़ या नहीं .

दबाने पर यदि आप कराहतें हैं तो यह उसके लिए एक संकेत हो सकता है डिश का (Diffuse idiopathic skeletal hyperscolosis )का . ये वही वही जगह हो सकतीं हैं जहां जहां आपके ऊतक(अस्थि बंध या लिगामेंट्स ) हड्डियों से आ जुड़तें हैं और वह हिस्सा केल्शियम ज़माव की वजह से सख्त पड़ चुका है ,बढ़ चुका है थोड़ा सा .उभार आगया है उस जगह की हड्डी में .

जहां जहां दर्द है वहां वहां मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाली नसों (Tendons) के साथ भी यही हुआ हो सकता है . 

बोन स्पर्स  (हड्डियों का कुब्ब )डॉ .के सधे हुए हाथ ताड़ लेते हैं .

एक्स रे उतरवाने से रोग निदान में और भी सुभीता हो जाता है .एक्स रे बोन स्पर्स को रेखांकित कर सकता हाँ ! बतला सकता है कहाँ कहाँ रीढ़ के किस किस हिस्से की हड्डियों की गुर्रियों पर(कशेरुकाओं पर ) केल्शियम लवण पर्त बनके चढ़ा है .

चिकित्सीय भाषा में इसकी मौजूदगी को कहा जाता है -Cascading or Flowing.

कुछ माहिर  इसे रीढ़ रूपा मोमबत्ती से मोम के जलने के बाद की रिसन कहतें हैं .

Some experts compare the appearance to that of candle wax dripping and oozing down your spine.

Computerized tomography (CT)  and Magnetic resonance imaging(MRI)

ANKYLOSING SPONDYLITIS को रुल आउट करने के लिए ये दोनों परीक्षण करवाए  जातें हैं जिसके लक्षण उल्लेखित लक्षणों से मेल खातें हैं .

CT

Computerized axial tomography or computed tomography is a technique for producing images of cross sections of the body .In it a computer processes data from x -rays penetrating the body from many directions and projects the results on a screen .

ज़ाहिर  है  यह एक प्रकार का  त्रि -आयामी एक्स रे ही है जिसमें एक्स रे कई तरफ से एक साथ डाला जाता है .  बस आपके अंगों में ,अस्थि पंजर में ताक झाँक संभव हो जाती है . 

MRI

It is a imaging technique that uses elctromagnetic radiation to obtain images of the body's soft tissues e.g . brain and spinal cord.

रोग निदान की इस प्राविधि में शरीर की बारीक पड़ताल के लिए चुम्बकों का सहारा लिया जाता है .ये शक्तिशाली चुम्बक (वास्तव में चुम्बकीय क्षेत्र )सुपर-कंडक्टर से पैदा किए जातें हैं.किसी विद्युत् सुचालक को जब बहत अधिक ठंडा किया जाता है तो एक सुनिश्चित तापमान पर वह बिजली अपने अन्दर से बिना प्रति -रोध के बहने देता है .गर्म नहीं होता है .इसका प्रतिरोध शून्य हो जाता है .इसके गिर्द अति -शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र खड़े हो जातें हैं .जब किसी आम  सुचालक में आप बिजली भेजतें हैं वह इलेक्त्रोनों की आपस में टक्कर से गर्म हो जाता है .यहाँ ऐसा बिना प्रति -रोध के होता है .सारे इलेक्त्रोंन एक दम से व्यवस्थित गति करने लगते हैं फ़ुटबाल मैच के क्राउड में मची भगदड़ यहाँ एक दम से तीनों तीन आगे बढेगा वाले अंदाज़ में परेड करने लगती है .ऐसा है अति -चालकों का मायावी संसार .

एक्स रे भी एक  प्रकार का विद्युत् चुम्बकीय विकिरण ही है .दृश्य रौशनी भी बस फर्क वेव की लम्बाई और आवृत्ति (फ्रिक्युवेंसी) का है. यहाँ विद्युत् चुम्बकीय अनुनाद (MAGNETIC RESONANCE IMAGING )में भी यही विद्युत् चुम्बकीय विकिरण है .चुम्बक और बिजली आपस में सगी बहनें हैं .जहां बिजली होती है वहां सहोदर जुडवा सा एक चुम्बकीय क्षेत्र भी रहता है .बस यही आधार है MRI द्वारा शरीर की सूक्ष्म और मृदु ऊतकीय पड़ताल का . 

माहिर डिश के निदान को पुख्ता करने के लिए दोनों का सहारा लेता है .उसके साथ सहयोग कीजिए .पैसे नहीं बना रहा है वह .

(ज़ारी )  

डिश का इलाज़ और दवा दारु (छटी किस्त )

भले इस लाइलाज रोग का कोई इलाज़ न हो फिर भी दर्द से रहत के लिए आप बहुत कुछ कर सकतें हैं .यदि रोग के लक्षण प्रगटित हैं stiffness से भी ,जोड़ों की जकड़न  से भी   आप परेशान हैं :

(१)कई मामलों में माहिर कोई इलाज़ तजवीज़ नहीं करते 

(२)दर्द से राहत और जोड़ों की हरकत ,जोड़ों के संचालन को बनाए रखने के लिए माहिर आपको दर्द और स्टिफनेस का इलाज़ भी बता सकतें हैं यदि लक्षण ज़ारी रहतें हैं तब .

(३)दर्दे दवा 

जोड़ों के अन्य रोगों से जुदा नहीं हैं ये दवाएं .वैसी ही हैं .

आपको तजवीज़ की जा सकती  है -Acetaminophane (Tylenol,others ),

Non-steroidal -anti -inflamatory drugs (NSAIDS),Ibuprofen (Advil ,Motrin,others)तथा दर्द की उग्रता अधिक होने पर corticosteroids injections का भी इस्तेमाल किया जाता है .

स्टिफनेस से राहत के लिए 

फिजियोथिरेपी जकड़न को कम कर सकती है .कसरत जोड़ों की हरकत की रेंज को बढा सकती है .अपने लिए सिर्फ अपने लिए आप ख़ास कसरतों के बारे में अपने माहिर से जानकारी जुटा सकतें हैं .

आपको विशेष तवज्जो और सीखने  के लिए फिजियो के पास भी भेजा जा सकता है रेफर किया जा सकता है .

मैं खुद ऐसे orthopaedist से भी मिल चुका हूँ जो मरीजों को खुद कसरत भी करके दिखलातें हैं .ऐसे ही एक नेक दिल इंसान हैं प्रोफ़ेसर तुली विमहांस अस्पताल नै दिल्ली (Vidyasagar institute of mental health and neurosciences).अमूमन प्रोफ़ेसर रेंक के लोग अपनी जगह से हिलते नहीं हैं .यह ८४ वर्षीय इंसान एक फ़रिश्ता है आपका आत्मविश्वास भी बढाता है .दवाओं का कमसे कम इस्तेमाल बतलाता है वह भी सीमित अवधि के लिए .

शल्य चिकित्सा (surgery)

डिश रोग माने diffuse idiopathic skeletal hyperscolosis में  जटिलताएं पेश आने पर ही शल्य चिकित्सा की सिफारिश की जाती है .आम तौर पर नहीं .  

गले में जब आकार में बड़ा बोन स्पर आ बैठे और खाद्य -पेय सटकना निगलना सुडकना चुस्की लेना तक मुहाल हो जाए तब उसे काट के फैंकना ही शल्य द्वारा एक समाधान बचता है .सर्जरी सर्वाइकल स्पाइन पर से प्रेशर भी हटा सकती है .आवाज़ लौटा सकती है कर्कशा होने से बचा सकती है आपको .सोचो गवैयों का क्या होता होगा इस रोग में . 

(ज़ारी )

शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

"डिश " के रोग निदान की युक्तियाँ (पांचवीं किस्त )

"डिश "  के रोग निदान की युक्तियाँ (पांचवीं किस्त )

ज़ाहिर है काया चिकित्सक (भौतिक चिकित्सक  )यहाँ भी शुरुआत फिजिकल एग्जामिनेशन से ही करता है .चिकित्सक आपकी रीढ़ के थोरासिक (वक्षीय ),स्पाइनल  (ग्रीवा सम्बन्धी भाग ),और लम्बर स्पाइन (निचली कमर से सम्बद्ध रीढ़ का  हिस्सा )को हलके हाथ से दबा के देखेगा ,यहाँ वहां जोड़ों को भी अस्थि  पंजर के कि कहीं  कोई  एब्नोर्मलइति तो नहीं है ,गडबड तो नहीं है .असामान्य बात तो नहीं है .ठीक ठाक है आपकी रीढ़ या नहीं .

दबाने पर यदि आप कराहतें हैं तो यह उसके लिए एक संकेत हो सकता है डिश का (Diffuse idiopathic skeletal hyperscolosis )का . ये वही वही जगह हो सकतीं हैं जहां जहां आपके ऊतक(अस्थि बंध या लिगामेंट्स ) हड्डियों से आ जुड़तें हैं और वह हिस्सा केल्शियम ज़माव की वजह से सख्त पड़ चुका है ,बढ़ चुका है थोड़ा सा .उभार आगया है उस जगह की हड्डी में .

जहां जहां दर्द है वहां वहां मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाली नसों (Tendons) के साथ भी यही हुआ हो सकता है . 

बोन स्पर्स  (हड्डियों का कुब्ब )डॉ .के सधे हुए हाथ ताड़ लेते हैं .

एक्स रे उतरवाने से रोग निदान में और भी सुभीता हो जाता है .एक्स रे बोन स्पर्स को रेखांकित कर सकता हाँ ! बतला सकता है कहाँ कहाँ रीढ़ के किस किस हिस्से की हड्डियों की गुर्रियों पर(कशेरुकाओं पर ) केल्शियम लवण पर्त बनके चढ़ा है .

चिकित्सीय भाषा में इसकी मौजूदगी को कहा जाता है -Cascading or Flowing.

कुछ माहिर  इसे रीढ़ रूपा मोमबत्ती से मोम के जलने के बाद की रिसन कहतें हैं .

Some experts compare the appearance to that of candle wax dripping and oozing down your spine.

Computerized tomography (CT)  and Magnetic resonance imaging(MRI)

ANKYLOSING SPONDYLITIS को रुल आउट करने के लिए ये दोनों परीक्षण करवाए  जातें हैं जिसके लक्षण उल्लेखित लक्षणों से मेल खातें हैं .

CT

Computerized axial tomography or computed tomography is a technique for producing images of cross sections of the body .In it a computer processes data from x -rays penetrating the body from many directions and projects the results on a screen .

ज़ाहिर  है  यह एक प्रकार का  त्रि -आयामी एक्स रे ही है जिसमें एक्स रे कई तरफ से एक साथ डाला जाता है .  बस आपके अंगों में ,अस्थि पंजर में ताक झाँक संभव हो जाती है . 

MRI

It is a imaging technique that uses elctromagnetic radiation to obtain images of the body's soft tissues e.g . brain and spinal cord.

रोग निदान की इस प्राविधि में शरीर की बारीक पड़ताल के लिए चुम्बकों का सहारा लिया जाता है .ये शक्तिशाली चुम्बक (वास्तव में चुम्बकीय क्षेत्र )सुपर-कंडक्टर से पैदा किए जातें हैं.किसी विद्युत् सुचालक को जब बहत अधिक ठंडा किया जाता है तो एक सुनिश्चित तापमान पर वह बिजली अपने अन्दर से बिना प्रति -रोध के बहने देता है .गर्म नहीं होता है .इसका प्रतिरोध शून्य हो जाता है .इसके गिर्द अति -शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र खड़े हो जातें हैं .जब किसी आम  सुचालक में आप बिजली भेजतें हैं वह इलेक्त्रोनों की आपस में टक्कर से गर्म हो जाता है .यहाँ ऐसा बिना प्रति -रोध के होता है .सारे इलेक्त्रोंन एक दम से व्यवस्थित गति करने लगते हैं फ़ुटबाल मैच के क्राउड में मची भगदड़ यहाँ एक दम से तीनों तीन आगे बढेगा वाले अंदाज़ में परेड करने लगती है .ऐसा है अति -चालकों का मायावी संसार .

एक्स रे भी एक  प्रकार का विद्युत् चुम्बकीय विकिरण ही है .दृश्य रौशनी भी बस फर्क वेव की लम्बाई और आवृत्ति (फ्रिक्युवेंसी) का है. यहाँ विद्युत् चुम्बकीय अनुनाद (MAGNETIC RESONANCE IMAGING )में भी यही विद्युत् चुम्बकीय विकिरण है .चुम्बक और बिजली आपस में सगी बहनें हैं .जहां बिजली होती है वहां सहोदर जुडवा सा एक चुम्बकीय क्षेत्र भी रहता है .बस यही आधार है MRI द्वारा शरीर की सूक्ष्म और मृदु ऊतकीय पड़ताल का . 

माहिर डिश के निदान को पुख्ता करने के लिए दोनों का सहारा लेता है .उसके साथ सहयोग कीजिए .पैसे नहीं बना रहा है वह .

(ज़ारी )  

डिश का इलाज़ और दवा दारु (छटी किस्त )

भले इस लाइलाज रोग का कोई इलाज़ न हो फिर भी दर्द से रहत के लिए आप बहुत कुछ कर सकतें हैं .यदि रोग के लक्षण प्रगटित हैं stiffness से भी ,जोड़ों की जकड़न  से भी   आप परेशान हैं :

(१)कई मामलों में माहिर कोई इलाज़ तजवीज़ नहीं करते 

(२)दर्द से राहत और जोड़ों की हरकत ,जोड़ों के संचालन को बनाए रखने के लिए माहिर आपको दर्द और स्टिफनेस का इलाज़ भी बता सकतें हैं यदि लक्षण ज़ारी रहतें हैं तब .

(३)दर्दे दवा 

जोड़ों के अन्य रोगों से जुदा नहीं हैं ये दवाएं .वैसी ही हैं .

आपको तजवीज़ की जा सकती  है -Acetaminophane (Tylenol,others ),

Non-steroidal -anti -inflamatory drugs (NSAIDS),Ibuprofen (Advil ,Motrin,others)तथा दर्द की उग्रता अधिक होने पर corticosteroids injections का भी इस्तेमाल किया जाता है .

स्टिफनेस से राहत के लिए 

फिजियोथिरेपी जकड़न को कम कर सकती है .कसरत जोड़ों की हरकत की रेंज को बढा सकती है .अपने लिए सिर्फ अपने लिए आप ख़ास कसरतों के बारे में अपने माहिर से जानकारी जुटा सकतें हैं .

आपको विशेष तवज्जो और सीखने  के लिए फिजियो के पास भी भेजा जा सकता है रेफर किया जा सकता है .

मैं खुद ऐसे orthopaedist से भी मिल चुका हूँ जो मरीजों को खुद कसरत भी करके दिखलातें हैं .ऐसे ही एक नेक दिल इंसान हैं प्रोफ़ेसर तुली विमहांस अस्पताल नै दिल्ली (Vidyasagar institute of mental health and neurosciences).अमूमन प्रोफ़ेसर रेंक के लोग अपनी जगह से हिलते नहीं हैं .यह ८४ वर्षीय इंसान एक फ़रिश्ता है आपका आत्मविश्वास भी बढाता है .दवाओं का कमसे कम इस्तेमाल बतलाता है वह भी सीमित अवधि के लिए .

शल्य चिकित्सा (surgery)

डिश रोग माने diffuse idiopathic skeletal hyperscolosis में  जटिलताएं पेश आने पर ही शल्य चिकित्सा की सिफारिश की जाती है .आम तौर पर नहीं .  

गले में जब आकार में बड़ा बोन स्पर आ बैठे और खाद्य -पेय सटकना निगलना सुडकना चुस्की लेना तक मुहाल हो जाए तब उसे काट के फैंकना ही शल्य द्वारा एक समाधान बचता है .सर्जरी सर्वाइकल स्पाइन पर से प्रेशर भी हटा सकती है .आवाज़ लौटा सकती है कर्कशा होने से बचा सकती है आपको .सोचो गवैयों का क्या होता होगा इस रोग में . 

(ज़ारी )

"डिश"के लक्षण मिलने पर आप कहाँ जाइएगा मेडिकल हेल्प के लिए ?

     "डिश"के लक्षण मिलने पर आप कहाँ जाइएगा मेडिकल हेल्प के लिए ? 

(चौथी किश्त )

   ज़ाहिर है सबसे पहले आप अपने पारिवारिक डॉ .या फिजिशियन /काया चिकित्सक के पास ही जाइएगा .आरम्भिक मूल्यांकन और अपने अनुभव के आधार पर वह आपको रेफर कर सकतें हैं :

(१)Rheumatologist:संधिवात या गठिया रोगों का माहिर 

(2)Physiatrist :भौतिक चिकित्सा का माहिर ,फिजियो 

(3)Orthopedic surgeon:विकलांग चिकित्सा ,अस्थियों या मांसपेशियों की क्षति /चोट और सम्बन्धी रोगों की चिकित्सा .

(4)Neurologist: स्नायु रोग -विशेषज्ञ,स्नायु /तंत्रिका विज्ञानी को दिखाने के लिए  

घर से क्या -क्या तैयारी करके जाइयेगा ,डॉ .के पास वक्त कम रहता है और बहुत सी बातें आप ज़बानी बताते समय भूल भी सकतें हैं .इसलिए -

(१)लिख लीजिएगा कौन -कौन से लक्षण कबसे सिर उठाए हुएँ हैं . 

(२)यदि किसी और बीमारी का इलाज़ पहले से ज़ारी है तो कौन कौन सी दवाएं ,विटामिन ,सम्पूरण आप कब से ले रहें हैं लिखके ले जाइए .

(३)असर ग्रस्त हिस्से को पहुँचने वाली संभावित चोट के बारे में भी याद कीजिए .लिख लीजिए अपना अनुमान .और संभावित वजहें .आप 

(४)  आप की जो भी जिज्ञासाएं हों ,लिख ले जाइए .

(५)इससे अधिक से अधिक जानकारी आप कमसे कम समय में अपने डॉ .को दे सकेंगें .

(६)डिश के बारे में अकसर लोग ये सवाल पूछ्तें हैं ,आप भी पूछ सकतें हैं ,जो आप पे लागू होतें हों .

(अ )मेरे इन प्रगटित लक्षणों  की सर्वाधिक संभावित वजह क्या हो सकती है ?

(आ )क्या इसके अलावा कुछ और भी वजहें हो सकतीं हैं डिश की चपेट में आने की ?

(इ)कौन कौन से परीक्षण मुझे करवाने चाहिए ?

(ई )What  treatment approach do you recommend ?

(उ )खुद अपने स्तर पर मैं क्या कर सकता /सकतीं हूँ ?रोग प्रबंधन और केयर में ?

(ऊ )क्या मुझे अपनी कुछ गतिविधियाँ बंद करनी चाहिए ?

(ए)कितने अंतर से मेरा आपके पास पुनर -आकलन के लिए आना ज़रूरी रहेगा ?

(ऐ) इलाज़ की इस रणनीति के कामयाब न रहने पर अगला कदम आप का क्या होगा ?

(ओ )मेरे साथ फिलवक्त ये ये बीमारियाँ और चस्पां हैं ,मेरे लिए इन सबके प्रबंधन के लिए सर्वोत्तम रणनीति क्या रहेगी ?

(औ )क्या मेरी बीमारी के बारे में आपके पास कुछ ब्रोशर्स हैं ?कोई ख़ास वेब साइटें ?

(अं)इस बातचीत के दरमियान जो बात डॉ .की समझ में न आये बे -झिझक हो पूछिए .

आपका माहिर भी आपसे बहुत कुछ पूछ सकता है .मसलन कबसे ये लक्षण  आप देख रहें हैं .क्या ये पहले से उग्र और बदतर हुए  हैं समय बीतने के साथ ?क्या आपको सुबह के वक्त ज्यादा तकलीफ होती है ?क्या असर ग्रस्त जोड़ के संचालन में आपको दिक्कत आ रही है ?खाद्य और पेय निगलने में तो दिक्कत नहीं है ?

किस चीज़ से आपको फायदा मिलता महसूस होता है ?

किसी और मेडिकल कंडीशन की रोग निदानिक पुष्टि हुई है ?

फिल वक्त आप नुसखे और बिना नुसखे से मिलने वाली कौन कौन सी दवाएं ,विटामिन संपूरक ले रहें हैं ?

कील मुंहासों या फिर चमड़ी के अन्य रोगों के लिए तो आप दीर्घावधी से चिकित्सा तो नहीं लेते रहें हैं .

Have you ever had an accident or injury that might have caused the trauma to the affected area.?

डॉ .के पास पहुँचने से पहले अपोइन्टमेंट से पहले यदि तकलीफ चल रही है तब आप माहिरों  के अनुसार निम्न उपाय अपना सकतें हैं .

(१)हीटिंग और कूलिंग पैड्स का स्तेमाल कर सकतें है
(२) बिना नुसखे के मिलने वाली दर्द नाशक दवाओं का इस्तेमाल कर सकतें हैं .मसलन Acetamenophen ,tylenol ,या नॉन इस्टीरोइदल एंटी-इन्फ्ले -मेट्री ड्रग्स (NSAIDS )मसलन इबु -प्रोफेन ,Advil ,Motrin ,आदि ),Naproxen (Alve,others )भी  काम कर सकतीं हैं 

But in any case avoid NSAIDS if you have a history of allergy to these medications or a history of gastrointestinal bleeding..  

गुरुवार, 27 सितंबर 2012

क्या हैं जोखिम तत्व "डिश" के

क्या हैं  जोखिम तत्व "डिश" के 

भले माहिरों को यह खबर न हो कि किन वजहों से होता है यह खतरनाक रोग -डिश यानी डिफ्यूज इडियोपैथइक स्केलीटल हाइपरओस्तोसिस लेकिन इतना इल्म हो चला है कौन सी वह बातें हैं जो इस रोग की चपेट में आने के मौके बढा देतीं हैं .

(१)कुछ दवा दारु भी हैं कुसूरवार 

विटामिन ए सरीखी कुछ दवाएं यथा रेटिनोइड्स (isotretinoin,/Accutane,others ).बेशक यह अभी स्पस्ट नहीं है कि क्या विटामिन ए की बड़ी खुराकें भी कुसूरवार ठहराई जा सकतीं हैं ?

(२)जेंडर ./सेक्स 

पुरुषों के लिए इसका जोखिम ज्यादा रहता है बरक्स महिलाओं के .

(३)प्रौढावस्था मर्दों की 

पचासे में जो पुरुष दाखिल हो चुकें हैं उनमें ये रोग आम तौर पर देखने को मिलता है .

(४)मधुमेह एवं अन्य रोगात्मक अवस्थाएं 

जीवन शैली रोग (सेकेंडरी डायबितीज़ ) से ग्रस्त लोगों के लिए इस रोग के खतरे का वजन तथा इसकी लपेट में आजाने के मौके बने रहतें हैं .कुछ और ऐसी बीमारियों में भी जिनमें शरीर में इंसुलिन का स्तर बढा रहता है मसलन हाइपरइन्सुलिनेमिया   ,मधुमेह पूर्व की अवस्था (प्रीडायबिटीज़ ),ओबीसिटी आदि में भी डिश का ख़तरा बना ही रहता है .

"डिश" रोग में पेश जटिलताएं 

इसमें रोगी के लिए कुछ  खतरों का वजन बढ़ जाता है :

असर ग्रस्त जोड़ काम करने से इनकार कर सकता है .मसलन कन्धों के जोड़ों के असर ग्रस्त होने पर बाजू उठाने में तकलीफ हो सकती है .बाजुओं का संचालन दुष्कर हो सकता है .

खाद्य -पेय पदार्थों को   निगलने सटकने चुस्की लेने में दिक्कत पेश आ सकती है. 

ऐसा तब होता है जब ग्रीवा की कशेरुकाएं (cervical spine ) "डिश " से असर ग्रस्त होकर ग्रास /भोजन नली पर दवाब बनाने लगती हैं .ऐसे में भोजन का मुख से आमाशय /उदर तक पहुंचना मुहाल हो जाता है .

सर्विकल स्पाइन में पनपे बोनि स्पर (केल्शियम डिपोजिट से पैदा कठोरता से बढ़वार )आवाज़ को कर्कश बना सकतें हैं ,सोते वक्त सांस की आवाजाही को खुर्राटों की वजह से बाधित कर सकतें हैं .

कभी कभार इन मामलों में बोन स्पर्स को निकालने के लिए सर्जरी भी करनी पड़ सकती है .

फालिज /पक्षाघात /लकवा 

Diffuse idiopathic skeletal hyperostosis that affects the ligaments running up the outside of your spine (posterior longitudinal ligament) can put pressure on your spinal cord.Spinal cord  compression may result in a loss of feeling and paralysis.

क्या है यह बीमारी डिश (पहली और दूसरी किस्त संयुक्त )







Diffuse Idiopathic Skeletal Hyperostosis
(DISH or Forestier's Disease)


क्या है यह बीमारी डिश ?

यह एक प्रकार की अपकर्शी या अपविकासी (degenerative )आर्थराईटइस (arthritis )ही  है   . जिसे ओर्थो-आर्थराईटइस भी कह दिया जाता है .साधारण किस्म की  आर्थराईटइस को जोड़ों का दर्द .संधिवात या कभी कभार गठिया भी कह दिया जाता है .
इस बीमारी में लगातार केल्शियम लवण की परतें रीढ़ की हड्डियों की एक के बाद एक आने वाली यानी परस्पर सटी हुई गुर्रियों (बोले तो कशेरुका या vertebra) पे चढ़ती जाती है .इसे कहतें हैं फ्लोइंग केल्सिफिकेशन .
यह  एक ख़ास किस्म है डिजेनरेटइव आर्थराईटइस(प्रतिनिधिक डिजेंरेटइव आर्थराईटइस से हटके ) की जिसका सम्बन्ध मांस पेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाली नसों की सूजन और रोग संक्रमण से भी जोड़ा गया है और जहां जाकर ये (tendons)अस्थियों   से जुड़तें हैं उसके केल्सिफिकेशन से भी .यह स्थिति होती है tendinitis की .बोले तो inflammation of the tendons.  

And very unlike typical degenerative arthritis ,it's also commonly associated with inflammation (tendinitis ) and calcification of tendons at their attachments points to bones.   
ऐसे  में इन जगहों की हड्डियां सहज ही बढ़ जाती हैं .
This can lead to formation of bone spurs,such as heel spurs .

वास्तव   में इस बीमारी से ग्रस्त लोगों में heel spurs आम  तौर  पर  देखे  जा  सकतें  हैं  .
A spur is a short bony outgrowth ,usually a normal part of the body but sometimes one that develops such as that on the bottom of the heel after an injury .

कारण  या वजह क्या बनती है इस रोग की ?
इसकी वजह तो अज्ञात है और इसीलिए इसे कहा गया है इडियोपैथइक .

IDIOPATHIC DESCRIBES  A DISEASE OR DISORDER THAT HAS NO KNOWN CAUSE .

 .लेकिन इसका सम्बन्ध मेटाबोलिक सिंड्रोम से ज़रूर जोड़ा गया है और इसीलिए यह मधुमेह से ग्रस्त लोगों में आम तौर पर प्रगट होती देखी गई है .

मेटाबोलिक सिंड्रोम ?
आम तौर पर ऐसे जोखिमों (रिस्क फेक्टर्स )को कहा जाता है जो एक समूह में मिलतें हैं और एक साथ परिहृदयधमनी रोग ,मष्तिष्क आघात (ब्रेन अटेक )और मधुमेह २ (जीवन शैली रोग सेकेंडरी डायबिटीज़ )के खतरे के वजन को बढा देतें हैं .मोटापे से सम्बन्ध है इस सिंड्रोम के सभी रिस्क  फेक्टर्स का 
(ज़ारी ).

डिश (diffuse idiopathic skeletal hyperostosis ,dish)(दूसरी किस्त )

एक ऐसी बीमारी है जिसमें अस्थियों को जोड़ने वाले ऊतक (लिगामेंट्स )केल्शियम लवण ज़मते चले जाने से हड्डियों की तरह कठोर पड़ जाते हैं .बोनि  हो जातें हैं .यह आपने पहली किस्त में भी पढ़ा .अब पढ़िए -

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण ?

अकसर इसके लक्षणों का प्रगटीकरण ही नहीं हो पाता है हालाकि असर ग्रस्त स्नायु अस्थि बंध (लिगामेंट्स ) जहां जहां से बोनि हो जातें हैं केल्शियम ज़म जाने से वहां -वहां पीड़ा की लहर उठ सकती है ,दर्द हो सकता है .

बेशक लक्षणों के अभाव में आपको इलाज़ लेने की भी ज़रुरत न पड़े लेकिन फिजियोथिरेपी (भौतिक चिकित्सा ,फिजिकल थिरेपी )असर ग्रस्त जोड़ों को चलाये रखने में मदद गार सिद्ध होती है .

Dish causes stiffness in your upper back and may also affect your neck and lower back .some people feel diffuse idiopathic skeletal hyperostosis beyond the spine in areas such as heels ,ankles ,knees ,hips shoulders ,elbows and hands.  

ज़ाहिर है लक्षण इस बात पर निर्भर करतें हैं ,कौन सा हिस्सा डिश की चपेट में आया है .

अकसर असर ग्रस्त होती है थोरासिक स्पाइन (वक्षीय रीढ़ ,रीढ़ का ऊपरी  हिस्सा ) .बोले तो कमर का ऊपरी हिस्सा .

स्टीफ़नेस बोले तो अकड़ाव सुबह सवेरे ज्यादा हो सकता है .

असर ग्रस्त हिस्से को कोई दबा दे तो आपको पीड़ा होगी . लेकिन इन लक्षणों का कोई निर्धारित स्वरूप नहीं हैं .सभी को यह दर्द -ए -एहसास दबाए जाने पे हो यह ज़रूरी नहीं है .

निगलने में कुछ को दिक्कत हो सकती है .गले में दर्द के कारण आवाज़ भी फट सकती है ,बैठ भी सकती है .यह लक्षण खासकर डिश के उन मरीजों में दिखलाई दे सकता है जिनकी ग्रीवा रीढ़ (cervical spine ) असर ग्रस्त होती है केल्सिफिकेशन से .

Loss of range of motion .Loss of lateral range of motion may be most noticeable .You flex your spine laterally when you do side stretches ,for example. 



पहली और दूसरी किस्त संयुक्त 

डिश (diffuse idiopathic skeletal hyperostosis ,dish)(दूसरी किस्त )

एक ऐसी बीमारी है जिसमें अस्थियों को जोड़ने वाले ऊतक (लिगामेंट्स )केल्शियम लवण ज़मते चले जाने से हड्डियों की तरह कठोर पड़ जाते हैं .बोनि  हो जातें हैं .यह आपने पहली किस्त में भी पढ़ा .अब पढ़िए -

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण ?

अकसर इसके लक्षणों का प्रगटीकरण ही नहीं हो पाता है हालाकि असर ग्रस्त स्नायु अस्थि बंध (लिगामेंट्स ) जहां जहां से बोनि हो जातें हैं केल्शियम ज़म जाने से वहां -वहां पीड़ा की लहर उठ सकती है ,दर्द हो सकता है .

बेशक लक्षणों के अभाव में आपको इलाज़ लेने की भी ज़रुरत न पड़े लेकिन फिजियोथिरेपी (भौतिक चिकित्सा ,फिजिकल थिरेपी )असर ग्रस्त जोड़ों को चलाये रखने में मदद गार सिद्ध होती है .

Dish causes stiffness in your upper back and may also affect your neck and lower back .some people feel diffuse idiopathic skeletal hyperostosis beyond the spine in areas such as heels ,ankles ,knees ,hips shoulders ,elbows and hands.  

ज़ाहिर है लक्षण इस बात पर निर्भर करतें हैं ,कौन सा हिस्सा डिश की चपेट में आया है .

अकसर असर ग्रस्त होती है थोरासिक स्पाइन (वक्षीय रीढ़ ,रीढ़ का ऊपरी  हिस्सा ) .बोले तो कमर का ऊपरी हिस्सा .

स्टीफ़नेस बोले तो अकड़ाव सुबह सवेरे ज्यादा हो सकता है .

असर ग्रस्त हिस्से को कोई दबा दे तो आपको पीड़ा होगी . लेकिन इन लक्षणों का कोई निर्धारित स्वरूप नहीं हैं .सभी को यह दर्द -ए -एहसास दबाए जाने पे हो यह ज़रूरी नहीं है .

निगलने में कुछ को दिक्कत हो सकती है .गले में दर्द के कारण आवाज़ भी फट सकती है ,बैठ भी सकती है .यह लक्षण खासकर डिश के उन मरीजों में दिखलाई दे सकता है जिनकी ग्रीवा रीढ़ (cervical spine ) असर ग्रस्त होती है केल्सिफिकेशन से .

Loss of range of motion .Loss of lateral range of motion may be most noticeable .You flex your spine laterally when you do side stretches ,for example. 

(ज़ारी )

Diffuse Idiopathic Skeletal Hyperostosis (DISH or Forestier's Disease) क्या है यह बीमारी डिश ?(पहली किस्त ) यह एक प्रकार की अपकर्शी या अपविकासी (degenerative )आर्थराईटइस (arthritis )ही है . जिसे ओर्थो-आर्थराईटइस भी कह दिया जाता है .साधारण किस्म की आर्थराईटइस को जोड़ों का दर्द .संधिवात या कभी कभार गठिया भी कह दिया जाता है . इस बीमारी में लगातार केल्शियम लवण की परतें रीढ़ की हड्डियों की एक के बाद एक आने वाली यानी परस्पर सटी हुई गुर्रियों (बोले तो कशेरुका या vertebra) पे चढ़ती जाती है .इसे कहतें हैं फ्लोइंग केल्सिफिकेशन . यह एक ख़ास किस्म है डिजेनरेटइव आर्थराईटइस(प्रतिनिधिक डिजेंरेटइव आर्थराईटइस से हटके ) की जिसका सम्बन्ध मांस पेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाली नसों की सूजन और रोग संक्रमण से भी जोड़ा गया है और जहां जाकर ये (tendons)अस्थियों से जुड़तें हैं उसके केल्सिफिकेशन से भी .यह स्थिति होती है tendinitis की .बोले तो inflammation of the tendons. And very unlike typical degenerative arthritis ,it's also commonly associated with inflammation (tendinitis ) and calcification of tendons at their attachments points to bones. ऐसे में इन जगहों की हड्डियां सहज ही बढ़ जाती हैं . This can lead to formation of bone spurs,such as heel spurs . वास्तव में इस बीमारी से ग्रस्त लोगों में heel spurs आम तौर पर देखे जा सकतें हैं . A spur is a short bony outgrowth ,usually a normal part of the body but sometimes one that develops such as that on the bottom of the heel after an injury . कारण या वजह क्या बनती है इस रोग की ? इसकी वजह तो अज्ञात है .लेकिन इसका सम्बन्ध मेटाबोलिक सिंड्रोम से ज़रूर जोड़ा गया है और इसीलिए यह मधुमेह से ग्रस्त लोगों में आम तौर पर प्रगट होती देखी गई है . मेटाबोलिक सिंड्रोम ? आम तौर पर ऐसे जोखिमों (रिस्क फेक्टर्स )को कहा जाता है जो एक समूह में मिलतें हैं और एक साथ परिहृदयधमनी रोग ,मष्तिष्क आघात (ब्रेन अटेक )और मधुमेह २ (जीवन शैली रोग सेकेंडरी डायबिटीज़ )के खतरे के वजन को बढा देतें हैं .मोटापे से सम्बन्ध है इस सिंड्रोम के सभी रिस्क फेक्टर्स का (ज़ारी ).


Diffuse Idiopathic Skeletal Hyperostosis
(DISH or Forestier's Disease)


क्या है यह बीमारी डिश ?(पहली किस्त )

यह एक प्रकार की अपकर्शी या अपविकासी (degenerative 

)आर्थराईटइस (arthritis )ही  है   . जिसे ओर्थो-आर्थराईटइस भी कह दिया 

जाता है .साधारण किस्म की  आर्थराईटइस को जोड़ों का दर्द .संधिवात या 

कभी कभार गठिया भी कह दिया जाता है .

इस बीमारी में लगातार केल्शियम लवण की परतें रीढ़ की हड्डियों की एक


 के बाद एक आने वाली यानी परस्पर सटी हुई गुर्रियों (बोले तो कशेरुका 



या vertebra) पे चढ़ती जाती है .इसे कहतें हैं फ्लोइंग केल्सिफिकेशन .

यह  एक ख़ास किस्म है डिजेनरेटइव आर्थराईटइस(प्रतिनिधिक डिजेंरेटइव 

आर्थराईटइस से हटके ) की जिसका सम्बन्ध मांस पेशियों को हड्डियों से 

जोड़ने वाली नसों की सूजन और रोग संक्रमण से भी जोड़ा गया है और

 जहां जाकर ये (tendons)अस्थियों   से जुड़तें हैं उसके केल्सिफिकेशन से

 भी .यह स्थिति होती है tendinitis की .बोले तो inflammation of the tendons.  

And very unlike typical degenerative arthritis ,it's also 

commonly associated with inflammation (tendinitis ) and

 calcification of tendons at their attachments points to bones. 
ऐसे  में इन जगहों की हड्डियां सहज ही बढ़ जाती हैं .

This can lead to formation of bone spurs,such as heel spurs .

वास्तव   में इस बीमारी से ग्रस्त लोगों में heel spurs आम  तौर  पर  देखे  जा  सकतें  हैं  .
A spur is a short bony outgrowth ,usually a normal part of the body but sometimes one that develops such as that on the bottom of the heel after an injury .

कारण  या वजह क्या बनती है इस रोग की ?
इसकी वजह तो अज्ञात है .और इसी लिए इसे इडियो-पैथ -इक कहा गया है IDIOPATHIC  DESCRIBES A DISEASE OR DISORDER THAT HAS NO KNOWN CAUSE..

लेकिन इसका सम्बन्ध मेटाबोलिक सिंड्रोम से ज़रूर जोड़ा गया है और इसीलिए यह मधुमेह से ग्रस्त लोगों में आम तौर पर प्रगट होती देखी गई है .

मेटाबोलिक सिंड्रोम ?
आम तौर पर ऐसे जोखिमों (रिस्क फेक्टर्स )को कहा जाता है जो एक समूह में मिलतें हैं और एक साथ परिहृदयधमनी रोग ,मष्तिष्क आघात (ब्रेन अटेक )और मधुमेह २ (जीवन शैली रोग सेकेंडरी डायबिटीज़ )के खतरे के वजन को बढा देतें हैं .मोटापे से सम्बन्ध है इस सिंड्रोम के सभी रिस्क  फेक्टर्स का 
(ज़ारी ).

डिश (diffuse idiopathic skeletal hyperostosis ,dish)(दूसरी किस्त )

एक ऐसी बीमारी है जिसमें अस्थियों को जोड़ने वाले ऊतक (लिगामेंट्स )केल्शियम लवण ज़मते चले जाने से हड्डियों की तरह कठोर पड़ जाते हैं .बोनि  हो जातें हैं .यह आपने पहली किस्त में भी पढ़ा .अब पढ़िए -

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण ?

अकसर इसके लक्षणों का प्रगटीकरण ही नहीं हो पाता है हालाकि असर ग्रस्त स्नायु अस्थि बंध (लिगामेंट्स ) जहां जहां से बोनि हो जातें हैं केल्शियम ज़म जाने से वहां -वहां पीड़ा की लहर उठ सकती है ,दर्द हो सकता है .

बेशक लक्षणों के अभाव में आपको इलाज़ लेने की भी ज़रुरत न पड़े लेकिन फिजियोथिरेपी (भौतिक चिकित्सा ,फिजिकल थिरेपी )असर ग्रस्त जोड़ों को चलाये रखने में मदद गार सिद्ध होती है .

Dish causes stiffness in your upper back and may also affect your neck and lower back .some people feel diffuse idiopathic skeletal hyperostosis beyond the spine in areas such as heels ,ankles ,knees ,hips shoulders ,elbows and hands.  

ज़ाहिर है लक्षण इस बात पर निर्भर करतें हैं ,कौन सा हिस्सा डिश की चपेट में आया है .

अकसर असर ग्रस्त होती है थोरासिक स्पाइन (वक्षीय रीढ़ ,रीढ़ का ऊपरी  हिस्सा ) .बोले तो कमर का ऊपरी हिस्सा .

स्टीफ़नेस बोले तो अकड़ाव सुबह सवेरे ज्यादा हो सकता है .

असर ग्रस्त हिस्से को कोई दबा दे तो आपको पीड़ा होगी . लेकिन इन लक्षणों का कोई निर्धारित स्वरूप नहीं हैं .सभी को यह दर्द -ए -एहसास दबाए जाने पे हो यह ज़रूरी नहीं है .

निगलने में कुछ को दिक्कत हो सकती है .गले में दर्द के कारण आवाज़ भी फट सकती है ,बैठ भी सकती है .यह लक्षण खासकर डिश के उन मरीजों में दिखलाई दे सकता है जिनकी ग्रीवा रीढ़ (cervical spine ) असर ग्रस्त होती है केल्सिफिकेशन से .

Loss of range of motion .Loss of lateral range of motion may be most noticeable .You flex your spine laterally when you do side stretches ,for example. 

(ज़ारी )

बुधवार, 26 सितंबर 2012

मेरी संगत अच्छी है

सुप्रिय महेंद्र श्रीवास्तव जी !

आपने जो उत्तर दिया उसका स्वागत है .और जो मैं कह रहा हूँ पूरे उत्तरदायित्व से कह रहा हूँ ,जिसे समझने के लिए आपकों पूरे होशो हवाश में होना होगा .

आपने कहा मैं किसी विशेष पार्टी के लिए काम करता हूँ .आप ऐसे व्यक्ति को  जो किसी पार्टी के लिए काम करता हो मानसिक रूप से बीमार नहीं कह सकते .आप यह सिद्ध करना चाहतें हैं कि मुझे तो भगवान् भी ठीक नहीं  कर सकता .कोई मानसिक दिवालिया किसी पार्टी का पेड वर्कर नहीं हो सकता .

अलबत्ता आप अपने बारे में बताइये आप किस गिरोह के सदस्य हैं .आपकी मानसिकता समझ में नहीं आती आप अपने ही तर्कों को काट रहें हैं .मुझे किसी पार्टी के लिए सक्रीय भी बता रहें हैं मानसिक रोगी भी .

मेरे विचार से आप क्या और बहुत से लोग भी असहमत हो सकते हैं .

एक बात बतलादूं  आपको ये शुक्र की बात है आप भगवान को तो मानते हैं बस यही एक समानता है मेरे और आप में .हम दोनों भगवान को मानते हैं .

मैं आपकी तरह किसी संगठन में तो काम  नहीं करता पर मेरी संगत अच्छी ज़रूर है .

Replies
  1. गल्ती हो गई शर्मा जी,
    मैं आपको एक पढ़ा लिखा सीरियस ब्लागर समझता था।
    इसलिए कई बार मैने आपकी बातों का जवाब भी देने की कोशिश की।
    सोचा आपकी संगत गलत है, हो जाता है ऐसा, लेकिन मुझे उम्मीद थी
    शायद कुछ बात आपकी समझ में आज जाए।
    लेकिन आप तो कुछ संगठनों के लिए काम करते हैं और वहां फुल टाईमर
    यानि वेतन भोगी हैं। यही अनाप शनाप लिखना ही आपको काम के तौर
    सौंपा गया है। एक बात की मैं दाद देता हूं कि आप ये जाने के बगैर की
    आपको लोग पढ़ते भी हैं या नहीं, कहां कहां जाकर कुछ भी लिखते रहते हैं।
    खैर कोई बात नहीं, ये बीमारी ही ऐसी है। वैसे अब आप में सुधार कभी संभव ही
    नहीं है। सुधार के जो बीज आदमी में होते है, उसके सारे सेल आपके मर
    चुके हैं। माफ कीजिएगा पूछ को सीधा करना मेरे बस की बात नहीं है।
    अब तो ईश्वर से ही प्रार्थना कर सकता हूं कि, शायद वो आपको सद् बुद्धि दे।
ओ भाई साहब महेंद्र श्रीवास्तव जी हमारी ही बिरादरी के हो इसलिए बतला रहा हूँ "पूछ "  और "पूंछ "में फर्क होता है अगर पूंछ बोले तो tail की बात कर रहे हो तो वर्तनी तो शुद्ध कर लो वरना अर्थ का अनर्थ हो जाएगा .

माफ कीजिएगा पूछ को सीधा करना मेरे बस की बात नहीं है।
अब तो ईश्वर से ही प्रार्थना कर सकता हूं कि, शायद वो आपको सद् बुद्धि दे।"

"पूछ" भाई साहब कहते हैं महत्ता को और वह अर्जित गुण है व्यक्ति विशेष का किसी के कम किए कम न होय .

आधे सच का आधा झूठ


आधे सच का आधा झूठ 

ईस्ट इंडिया कम्पनी की नै अवतार सरकार की दलाली करने वाले हिन्दुस्तान में बहुत से लोग हैं .ये आज भी वही कर रहे हैं जो तब करते थे .ये "आधा सच" बोलतें हैं ,आधा लिखतें हैं .ज़ाहिर है वह खुद ही यह  मान के चल रहें हैं कि जो कुछ वह लिख रहें हैं ,कह रहें हैं उसमें आधा झूठ है .लेकिन मेरे दोस्त आधा झूठ भी बहुत खतरनाक होता है .

भाई साहब जो यह कहता है मैं ने आधा खाया है वह यह मानता है वह आधा भूखा है .वह आधा सच नहीं बोलते पूरा झूठ बोलते हैं .क्या वह यह कहना चाहतें हैं सरकार अन्ना की रिश्तेदार है इसलिए वह अन्ना को कुछ नहीं कहना चाहती .केजरीवाल की रिश्तेदार है इसलिए वह खुला घूम रहें हैं .

दोस्त जो सारी संविधानिक संस्थाओं के अस्त्रों का इस्तेमाल अपने विरोधियों पर करना जानतें हैं और चाहतें भी हैं श्री मान आधा सच आप यह कहना चाहतें हैं वह और उनकी परम -विश्वसनीय सी बी आई मूर्ख है .वह यह नहीं जानती  कि अन्ना और उनकी मण्डली के लोग भ्रष्ट हैं .

जो एक एक विरोधी  पर उपग्रही नजर रखती है श्रीमान आधा सच उस सरकार के मुखिया को पत्र लिख कर क्यों नहीं पूछते -श्री मन यह कैसे हो गया "राजा" अन्दर अन्ना और उसके संतरी  बाहर .ये अगर राष्ट्रीय समस्याएं हैं तो आप देरी क्यों कर रहें हैं पत्र लिखने में .

जिन्हें जूते पड़ने चाहिए उन्हें खडाऊ नहीं मिलने चाहिए - मिस्टर आधा सच को सरकार   लिखना चाहिए रालेगन सिद्धि के लोग कोयले से भी ज्यादा काले हैं .उनसे गुजारिश है कृपया इस नादाँ सरकार को रास्ता दिखाएँ .और सरकार में सम्मानीय स्थान पायें .

Monday, 24 September 2012


अन्ना को दो करोड़ देने की हुई थी पेशकश !

जी अन्ना !  मैंने भी दो करोड़ ही कहा

न्ना को दो करोड़ रूपये देने की पेशकश अरविंद केजरीवाल ने की थीलेकिन अन्ना ने ये पैसे लेने से इनकार कर दिया। आज की ये सबसे बड़ी खबर है। लेकिन इस खबर को न्यूज चैनलों ने अपनी  हेडलाइंस में शामिल नहीं किया। दो एक  चैनल ने इस खबर को दिखाया  भीतो बस कोरम पूरा करने के लिएमतलब इसे अंडरप्ले कर दिया। हालांकि अब इस पर  कुमार विश्वास की ओर से सफाई आई है कि ये रकम अन्ना को घूस की पेशकश नहीं थीबल्कि देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ जो लड़ाई शुरू की गई हैउसे संचालित करने के लिए जनता ने चंदा दिया था। चूंकि इस पैसे को लेकर केजरीवाल  पर  तरह-तरह के आरोप लगाए जा रहे थेलिहाजा  इंडिया अगेस्ट करप्सन के खाते से इस रकम का चेक अन्ना को देने के लिेए रालेगन सिद्धि भेजा गया था। बताया  जा रहा है कि केजरीवाल चाहते थे कि इस रकम की देख रेख अन्ना करेंलेकिन अन्ना ने चेक लेने से इनकार कर दिया और कहाकि ये सब काम आप लोग ही करें।

हंसी आ रही है ना। कितनी बड़ी-बड़ी बातें ये लोग किया करते थे। देश में ऐसा माहौल बना दिया था कि जैसे इस टीम के साथ जो लोग नहीं हैवो सभी भ्रष्ट हैं। देश में एक मात्र ईमानदार ये लोग ही हैं  या फिर ये जिन्हें  सर्टिफिकेट दें वो ईमानदार है। अगर आपने मेरे लेख को  पढ़े हैं तो आपको ध्यान होगा कि मैं एक बात पर बार बार जोर  दिया करता हूं। मेरा पक्का विश्वास है कि बेईमानी की बुनियाद पर ईमानदारी की इमारत नहीं खड़ी की जा सकती। और आंदोलन की शुरुआत से ही टीम के भीतर से जो खबरे बाहर आ रहीं थीउसमें पैसे की हेरा फेरी को लेकर तरह तरह की चर्चा होने लगी थी। हो सकता है कि हमारी और आपकी सोच में अंतर होलेकिन मैं आज भी इसी मत का हूं कि जिसे आप सब आंदोलन कहते हैंमेरा मानना है कि ये शुरू से आंदोलन के रुप में खड़ा ही नहीं हो पाया। दरअसल ये इलेक्ट्रानिक मीडिया का तमाशा भर रहा।

कुछ मीडिया के विद्वान इस आंदोलन को आजादी की दूसरी लड़ाई बता रहे थे। मैं बहुत हैरान था कि आखिर ऐसा क्या है इस आंदोलन में कि इसे आजादी की दूसरी लड़ाई कहा जाए। कुछ ने तो इस आंदोलन की तुलना जे पी आंदोलन से भी की। जब इसकी तुलना जेपी आंदोलन से होने लगी तो फिर सवाल खड़ा हुआ कि मीडिया इस आंदोलन को क्यों इतना बड़ा बना रही है ? मेरा आज भी मानना है कि जेपी आंदोलन व्यवस्था के खिलाफ एक  संपूर्ण आंदोलन था। ये आंदोलन विदेशी पैसों से खड़ा किया जा रहा थाजिसमें कदम कदम पर पैसे बहाए जा रहे थे। लोगों को पूड़ी सब्जी हलुवा खिलाकर किसी तरह रोका जा रहा था। दिल्ली वालों के लिए शाम का पिकनिक स्पाट बन हुआ था रामलीला मैदान। मीडिया भी इस भीड़ में अपनी टीआरपी तलाश रही थी।

खैर ये बातें मैं आपको पहले भी बता चुका हूं। मैं आज की घटना पर वापस लौटता हूं। अच्छा चलिए आपसे ही एक सवाल पूछता हूं। जब आपको पता चला कि केजरीवाल दो करोड  रुपये का चेक लेकर रालेगन सिद्धि गए और अन्ना को इसे देने का प्रयास किया। ये सुनकर आपके मन में पहली प्रतिक्रिया क्या हुई ? मैं बताता हूंआप भी मेरी तरह हैरान हुए होंगे कि आखिर ये सब क्या हो रहा है। लेकिन मैं जो बातें अब कहने जा रहा हूं उस पर जरा ध्यान दीजिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना की अगुवाई में आंदोलन चल रहा होदेश भर में लोग मैं अन्ना हूं की टोपी पहन रहे हों और उन्हें ही दो करोड़ रुपये की पेशकश की जाए और ये पेशकश कोई सामान्य आदमी नहीं खुद अरविंद कर रहे हों तो आप इसका मतलब आसानी से निकाल सकते हैं। मतलब ये कि अरविंद कितने दबाव में होगें कि उन्होंने अन्ना को पैसे देने का फैसला कर लिया। ये जानते हुए कि अन्ना पैसे स्वीकार नहीं कर सकते। उनके कई उदाहरण सामने है, जहां उन्हें पुरस्कार में लाखों रुपये मिले तो उन्होंने उसे गांव के विकास कार्यों में लगा दिया या फिर जरूरतमंदों को दान कर दिया। वैसे ये भी  कहा जा रहा है कि अरविंद  ने ये जानबूझ कर किया, क्योंकि वो जानते ही थे कि अन्ना पैसे लेगें नहीं, लेकिन पेशकश कर दिए जाने से उन्हें लगेगा कि अगर उनके मन में गडबड़ी करने की मंशा होती तो ये पेशकश भला क्यों करते ?

बहरहाल अब धीरे धीरे एक एक चेहरे नकाब उतरने वाला है। ये बात अब लगभग साबित हो गई है कि इस टीम के भीतर पैसे को लेकर विवाद शुरू से रहा है। टीम के भीतर जिसने भी अरविंद पर उंगली  उठाई, उसे यहां से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। लेकिन किरन बेदी से अनबन अरविंद केजरीवाल को भारी पड़ गई। दरअसल अरविंद अपनी सारी बातें अन्ना से मनवा लिया करते थे। इसकी एक मुख्य वजह अन्ना के करीबी यानि पीए सुरेश पढारे हैं। ये कहने की बात है कि सुरेश अन्ना के पीए थे, सच्चाई ये है कि वो अन्ना की हर छोटी बड़ी जानकारी अरविंद को दिया करते थे। अरविंद भी पढारे को इन सबके लिए  अलग से खुश रखते थे। कहा जा रहा है कि सुरेश इस पक्ष में नहीं था कि अन्ना अभी अरविंद का साथ छोड़े, वो  चाहते थे कि अन्ना यहीं बनें रहें।

जानकार बताते हैं कि सुरेश ने अपनी राय भी अन्ना को बता दी थी, लेकिन अन्ना ने सुरेश को डांट दिया था कि तुम इस मामले में ज्यादा आगे आगे मत बोला करो। अरविंद की जरूरत से ज्यादा पैरवी करने को लेकर अन्ना सुरेश से पहले ही नाराज चल रहे थे। इस बीच अन्ना और रामदेव की मुलाकात जिसके बारे में गिने चुने लोगों को जानकारी थी, वो मीडिया तक कैसे पहुंची इसे लेकर भी सुरेश की भूमिका पर उंगली उठ रही है। हालाकि सच ये है कि इस बार अन्ना के साथ सुरेश यहां नहीं आए थे,लेकिन उनकी  सभी से बातचीत है, इसलिए अन्ना का मुवमेंट उन्हें आसानी से पता रहता है। बताते हैं कि अन्ना को शक है कि सुरेश ने ही ये जानकारी अरविंद को दी और अरविंद ने ये जानकारी  मीडिया से शेयर की। बहरहाल सुरेश की गतिविधियां पूरी तरह संदिग्ध थीं, यही वजह है कि अन्ना ने सुरेश पढारे की अपने यहां से छुट्टी कर दी।

सुरेश पढारे के बारे में भी आपको बताता चलूं। दरअसल सुरेश पहले ठेकेदारी करता था। गांव के स्कूल का काम  सुरेश ही कर रहा था, लेकिन वो रेत के गोरखधंधे में फंस गया। इस पर ग्रामसभा की बैठक में सुरेश के खिलाफ प्रस्ताव पास हो गया और उससे सभी काम छीन लिए गए। चूंकि ग्राम सभा जो फैसला करती है, उसे नीचा दिखाने की अन्ना कोशिश करते हैं। यही वजह है कि सुरेश के खिलाफ जब ग्राम सभा ने प्रस्ताव पास कर  दिया तो अन्ना ने उसे अपने से जोड़ लिया। हालाकि प्रस्ताव पास होने के दौरान खुद अन्ना भी वहां मौजूद थे। सुरेश को साथ  रखने  के कारण गांव में अन्ना पर भी उंगली उठती रही है।   
    
इसी तरह अन्ना के गांव में एक भ्रष्ट्राचार विरोधी जन आंदोलन न्यास नामक संस्था है। इसकी अगुवाई अन्ना ही करते हैं। कहा जा रहा है कि अगर ईमानदारी से इस संगठन की जांच हो जाए,तो यहां काम करने वाले तमाम लोगों को जेल की हवा खानी पड़ सकती है। आरोप तो यहां तक लगाया जा रहा है कि भ्रष्टाचार का एक खास अड्डा है ये दफ्तर। यहां एक साहब हैंउनके पास बहुत थोड़ी से जमीन हैउनकी मासिक पगार भी महज पांच हजार हैलेकिन उनका रहन सहन देखिए तो आप हैरान हो जाएगे। हाथ में 70 हजार रुपये के मोबाइल पर लगातार वो उंगली फेरते रहते हैं। हालत ये है कि इस आफिस के बारे में खुद रालेगनसिद्दि के लोग तरह तरह की टिप्पणी करते रहते हैं। अब अन्ना के आंदोलन का नया पता यही दफ्तर है।

खैर आप बस इंतजार कीजिए हर वो  बात जल्दी ही सामने आ जाएगी, जो मैं आपको पहले ही बताता रहा हूं। अन्ना प्रधानमंत्री पर उंगली उठाते हैं कि ये कैसे प्रधानमंत्री हैं  कि इनके नीचे सब  चोरी करने में लगे रहते हैं और उन्हें खबर तक नहीं होती। अब तो  प्रधानमंत्री  भी ये दावा कर सकते हैं कि अन्ना जी आपकी टीम में भी राजा, कलमाणी, जायसवाल, व्यापारी सब तो हैं। आप कैसे अपनी टीम को ईमानदारी का सर्टिफिकेट बांटते फिर रहे हैं। बहरहाल अभी दो करोड़ रुपये का मामला ठंडा नहीं  पड़ा है। सब  अरविंद  से इस मामले में सफाई चाहते हैं, अब सफाई देने के लिए अरविंद अपने साथियों से सलाह मशविरा कर रहे हैं। बहरहाल वो सफाई  भले दे दें, लेकिन अब जनता में वो भरोसा हासिल करना आसान नहीं है।    




लो कर लो बात! जब सारी दुनिया ये चर्चा कर रही है कि पैसे पेड़ पे नहीं लगते ,अगला अन्ना के कुरते की लम्बाई नाप रहा है यह बौना आदमी इतना लम्बा कुर्ता क्यों पहनता है यह राष्ट्रीय अपव्यय है .जाँ च होनी चाहिए जिस कमरे में रहता है वह वास्तव में दस बाई बारह का है या अन्ना झूठ बोलता है .यही है भाई साहब आधा सच .सारी दुनिया कोयले की बात करती है यह साहब अन्ना के गाँव वासियों को तिहाड़ की काबलियत का बतला रहें हैं यानी कलमाड़ी और कलि मुई /कनी मोई (रिहा है अब )के पास बिठला रहें हैं .

इसे बोलतें हैं राष्ट्री मुद्दों से ध्यान भटकाना .कोंग्रेस को दिग्विजय की छुट्टी करके आधा सच वालों को अपना वक्र मुखिया बना चाहिए .बोले तो प्रवक्ता .जै श्री आधा सच ,पूरा बोले तो हो जाए गर्क .

ये टिप्पणियों पे मोडरेशन लगाने वाले आधा ही सच बोलतें हैं आधा ही दुनिया को दिखातें हैं .


Monday, 24 September 2012
अन्ना को दो करोड़ देने की हुई थी पेशकश !पर एक प्रतिक्रिया .
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  1. मैं तो सच में आपको एक पढ़ा लिखा सीरियस ब्लागर समझता था।
    इसलिए कई बार मैने आपकी बातों का जवाब भी देने की कोशिश की।
    सोचा आपकी संगत गलत है, हो जाता है ऐसा, क्योंकि मुझे उम्मीद थी
    शायद कुछ बात आपकी समझ में आज जाए।
    लेकिन आप तो कुछ संगठनों के लिए काम करते हैं और वहां फुल टाईमर
    यानि वेतन भोगी हैं। यही अनाप शनाप लिखना ही आपको काम के तौर
    सौंपा गया है। एक बात की मैं दाद देता हूं कि आप ये जाने के बगैर की
    आपको लोग पढ़ते भी हैं या नहीं, कहां कहां जाकर कुछ भी लिखते रहते हैं।
    खैर कोई बात नहीं, ये बीमारी ही ऐसी है। वैसे अब आप में सुधार कभी संभव ही
    नहीं है। सुधार के जो बीज आदमी में होते है, उसके सारे सेल आपके मर
    चुके हैं। माफ कीजिएगा पूंछ को सीधा करना मेरे बस की बात नहीं है।
    अब तो ईश्वर ही आपकी कुछ मदद कर सके तो कर सके

    ओ भाई साहब पूछ और पूंछ में फर्क होता है अगर पूंछ बोले तो tail की बात कर रहे हो तो वर्तनी तो शुद्ध कर लो वरना अर्थ का अनर्थ हो जाएगा .
    '"ना मेरे बस की बात नहीं है।
    अब तो ईश्वर से ही प्रार्थना कर सकता हूं कि, शायद वो आपको सद् बुद्धि दे।"

    पूछ भाई साहब कहते हैं महत्ता को और वह अर्जित गुन है व्यक्ति विशेष का किसी के कम किए कम न होय .
    माफ कीजिएगा पूछ को सीधा कर