वोट का सिर होतें हैं सांसद जिन्होनें संसद को चार दीवारी बनाके छोड़ दिया है .जैसे चरवाहा भेड़ों की गिनती ,नर मादा का हिसाब उनके सिर गिनके ही कर लेता है ,वैसी ही वोटों के सिरों की गिनती से संसद बनी है .समय की चेतना से शून्य इस दौर के सांसद अगले चुनाव में संसद में नजर नहीं आयेगें ,खासकर इनमें से वो सांसद जो समय को घडी की टिक टिक से आगे कुछ नहीं समझते .समय को शीर्षआसान कराते ये लोग असमय ही मारे जायेंगे .इनका राजनीतिक करिअर रेडिओएक्टिव सिद्ध होने जा रहा है .समाज की समरसता को नष्ट करने वाले ये लोग समय जाया कर रहें हैं .आज से छ :माह पूर्व इनमें से कई चरवाहेलालू की शैली में पूछते थे मुंह में बीड़ा दबाये ये "अन्ना कौन है "आज इनमें से ही कई कह रहें हैं अब लोग पूछ रहें हैं कौन नहीं है अन्ना ?सारा देश है अन्ना . लेकिन आज भी कई बे -सिर पैर के लोग अनर्गल प्रलाप कर रहें हैं .भाषा को बिगाड़ के कह रहें हैं "अन्ना टीम में कोई केजरी वेजरी वाल हैं जो लगातार अन्ना के कान में खुसर पुसर कर रहें हैं .देखिएगा समय इनके साथ कैसा सुलूक करता है .?"सरकार ने अन्ना को गलत ढंग से अरेस्ट किया ,अन्ना ने इसका फायदा उठाया .बड़े से बड़े आन्दोलन वापस लिए गये हैं ,रामदेव जी ने लिया ,गांधी ने लिया .घबराए हुए बौखलाए हैं ये लोग .इन्हें इन्हीं के हाल पे छोडिये .वक्त को इनकी सवारी करने दीजिये .आदाब !
शनिवार, 27 अगस्त 2011
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6 टिप्पणियां:
वीरू भाई,मुबारक हो ..!
पहली लड़ाई की जीत का बिगुल बज रहा है !
पटाखे फोडो ...:-):-) :-)
अन्त भला तो सब भला।
पता नहीं क्या होगा इस देश का
देश को शुभकामनायें वीरुभाई ।
बधाइयाँ और शुभकामनाएँ.
कौन नहीं है अन्ना ? सारा देश है अन्ना ।
एकदम सही,
सारा देश है अन्ना।
उन्हें और हम सबको आधी जीत हासिल हो गई।
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