Sunday, August 21, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....
भाई साहब राजीव शुक्ला जी कहीं आपका मतलब यह तो नहीं है कि भगवान् ही चला रहें हैं इस आन्दोलन को .अन्नाजी के अनशन को .आप सही कह रहें हैं -भगवान् ही चला रहें हैं ।इस अनशन आन्दोलन को .
जो लोग यह कह रहें हैं कि यह संसद का अपमान है वह कहीं सांसदों को ही तो उनके व्यवहार ही को तो संसद नहीं समझ रहे ?
इधर मम्मीजी की एक अनुचर ,मम्मीजी जी जिस समिति की मुखिया है उस राष्ट्रीय सलाहकार समिति की एक सदस्या कोई अरुणा रॉय कह रहीं हैं -
"सरकारी और जन लोकपालदोनों बिल, दोनों ही घटिया हैं "-ये संसद के बाहर की औरत मम्मीजी की अनुगामी साफ़ साफ़ संसद और सरकार का अपमान कर रही है यह कह कर ।
जन लोकपाल बिल को यह महिला "सुपर पावर की तरह सुपर लोकपाल "बतला रही है ,वह तो बहुत छोटी सी बात है इनके लिए .
संसद और हमारे सांसद खुद को राष्ट्र से ऊपर समझ राष्ट्र का अपमान कर रहें हैं ।
अरुणा रॉय संसद का अपमान कर रहीं हैं ।
कौन किसका मखौल उड़ा रहा है यह इस दौर में पता ही नहीं चल रहा है .
7 टिप्पणियां:
यत्श्रेयः, ब्रूहि तन्मे।
सब जोकर है, और क्या उम्मीद है?
वीरू भाई साहब, मेरे विचार से यदि चुनाव क्षेत्र के लोगों को अपना चुन कर भेजा सांसद वापस बुलाने का अधिकार मिल जाए तो इन सांसदों को अनुशासित करने में काफी मदद मिलेगी. लेकिन किसी भी पार्टी की सरकार ऐसा नहीं करेगी. आह!!
अरुणा रॉय को अपने ही भूतकाल से प्रेरणा लेने का समय है
लगता है दो चार सांसद पागल हो कर रहेंगें
लगता है दो चार सांसद पागल हो कर रहेंगें
सब अपनी अपनी रोटी सेक रहे हैं, और वास्तविकता से आंखें मूंदे हैं।
आज दिल्ली की सड़कों पर लोगों के तेवर से आंख चुराना कितना महंगा होगा यह शायद वे नहीं जानते।
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