सोमवार, 22 अगस्त 2011

गाली गुफ्तार में सिद्धस्त तोते .......

सरकार ने अलग अलग दिशाओं में कुछ तोते पाले हुएँ हैं जो गाली देने में बड़े सिद्धस्त हैं .ये किसी भली शिष्ट सरकार के तोते नहीं लगते किसी पहुंची हुई वैश्या के तोते प्रतीत होतें हैं जो गाली -गुफ्तार में माहिर हैं .इनमें कुछ मुखरित होने के बाद भूमि गत हो चुकें हैं कुछ आज भी मुखर हैं.किसी वेदांती पंडित के तोते होते तो मन्त्र जाप करते ,पूजा पाठ करते ,वनिक के होते तो हिसाब किताब रखते लेकिन ये तो ..चलिए जाने दीजिये नाम में रख्खा क्या है नाम तो किसी का भी हो सकता है :मनीष तिवारी ,राशिद अल्वी ,दिग्विजय सिंह ,शकील एहमद वगैरा वगैरा ,सवाल उस सरकार का है जो खुद मतलब निकल जाने के बाद "तोता चश्म" हो गई है अपने ही तोतों के प्रति ,अब इनमे से कुछ से आँखें भी नहीं मिलाती .कहती है ये हमारे तोते नहीं हैं .आँख मूंदे है इनसे .

रविवार, २१ अगस्त २०११

सरकारी "हाथ "डिसपोज़ेबिल दस्ताना ".

सरकार इस दौर में "अपने चुनाव चिन्ह हाथ का स्तेमालडिसपोज़ेबिल "दस्ताने के रूप में कर रही है .हर हथ- कंडा अपना रही है .चित्त होने के बाद भी ऊपर टांग उठाकर हारने वाले पहलवान की तरह हराने वाले के कंधे टांग उठाके रख देती है .इसने कुछ प्राधिकृत पार्टी प्रवक्ता सिर्फ विपक्ष और विरोधियों के लिए इस दौर में सिर्फ गाली देने के लिए नियुक्त किये हुएँ हैं अब उनके अधिकृत बयानों को उनकी व्यक्तिगत राय बतला कर डिसपोज़ेबिल दस्ताने की तरह उनका परित्याग कर चुकी है .उनका कहीं अता पता नहीं है .कहाँ हैं वो किस हाल में हैं वो ।खुदा जाने .
सरकार अब भी राष्ट्रीय सौमनस्य ,सद्भाव ,शान्ति बनाए रखने का कुशल अभिनय कर रही है .तटस्थ होने दिखने का भाव पल्लवित कर रही है जन मानस में .अन्दर की कुटिलता इसके चिरकुट आदतन छिपा नहीं पा रहें हैं ।
सरकार किसी मुगालते में न रहे -यह एक बहु -आयामीय आन्दोलन है .इस का एक पक्ष स्व -स्फूर्त ,स्वयं चालित है ,इस देश की आम जनता ,बे -रोज़गार जनता ,नौकर शाहों इस देश के मैकाले पुत्रों से पस्त होकर सड़कों पर निकल आई है जो बिना भेंट पूजा परसाद पाए अपनी दफ्तरी मुद्रा बदलने से इनकार कर देतें हैं .भ्रष्टाचार से आजिज़ हर आदमी इस दौर में पस्त है ,हताश है .दूसरा एंगिल इस आन्दोलन का पूर्व नियोजित बहु -पार्टीय थिंक टेंक से ऊर्जा प्राप्त कर रहा है .यह सारा देश रातों रात व्यवस्थित या ऑर्डरली नहीं हो गया है इसके लिए लोग दिन- रात काम कर रहें हैं ,जरा सी हिंसा पूरे आन्दोलन को रेडिओ -एक्टिव ,विखंडन शील बना सकती है .इसलिए कहीं कोई हिंसा न हो इसकी पूरी एहतियात बरती जा रही है .दुर्भाग्य है इस देश का जो लोग विपक्ष में होतें हैं वे संत होने दिखने का अभिनय करने लगतें हैं या फिर सरकारी लालू और अमरसिंह बन जातें हैं .जनता वहीँ की वहीँ रह जाती है .ठगी जाती है .पांच पांडव एक तरफ है ,कौरव सेना एक तरफ ."किसन"रास रचाए है .

11 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

ये तोते तो वकालत तक पास कर चुके है?

SANDEEP PANWAR ने कहा…

अब बारी हाथ की,
ठाकुर ये हाथ मुझे दे-दे,
ये हाथ नहीं फ़ांसी का फ़ंदा है?

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

धारदार और बिल्कुल सही लिखा है आपने !

आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

अशोक सलूजा ने कहा…

वीरू भाई राम-राम ......!
क्या कहूँ...? सब कुछ तो कह दिया आप ने ...
बस हम जैसो की आवाज हो.तुम ...
और उस पर कहना : अपनी तो ये आदत है कि हम कुछ नही कहते ...जिंदाबाद !

Amrita Tanmay ने कहा…

इन्ही नेतागण को जब बड़ी-बड़ी बातों में सुनना पड़ता है तो काया कट सा जाता है.बेहतरीन पोस्ट.

Urmi ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

डॉ टी एस दराल ने कहा…

जब पाप का घड़ा भर जाता है , तब श्री कृष्ण अवतार लेते हैं ।
जय श्री अन्ना । जय श्री कृष्ण ।

Dr Ved Parkash Sheoran ने कहा…

कलम तोड़ दी सर आपने तो,,,,, हा हा हा ,,,,,,,,, वैश्या के तोते प्रतीत होतें हैं

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

बहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने.......
इस पर विचार किया जाना चाहिए...

Rakesh Kumar ने कहा…

क्या कह रहे हो मियां ?
सुबह सुबह मजाक कर रहे हो.
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.

समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

राम राम वीरू भाई.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सटीक और विचारणीय