रविवार, 28 अगस्त 2011

संसद को इस पर भी विचार करना चाहिए .

सांसद एक छोटे से भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है ,भले वह बाजू बल ,झूठ बल ,जाति- बल, छल कपट फरेब से जीत कर संसद में चले आने में कामयाब रहता है .आने को फूलन देवी जी भी संसद में आ गईं थीं .आज भी अनेक चोर उच्चके संसद में आ गएँ हैं .सविधान निर्माताओं ने सोचा नहीं होगा एक दिन पशुओं का चारा भी हजम करने वाले संसद में आ जायेंगें .और यहाँ आकर मजमा लगायेंगें ,चुटकले सुनायेंगे ,देश की नैतिक शक्ति और बल का उपहास उड़ाएंगें ।
सवाल आज यह मुखरित है :आम आदमी का पैसा ऐसे लोगों पर क्यों अपव्य किया जाए .जो संसद में आके चुटकले सुनातें हैं .जोकर की भूमिका निभातें हैं .पान का बीड़ा मुंह में लगाके गोल गोल घुमातें हैं .भाषा को भ्रष्ट करके बोलतें हैं ।
और अगर संसद में ऐसे जोकरों की ज़रुरत कभी कभार पड़ती है तो वह बाहर से भी बुलाये जा सकतें हैं .किराए पर पैसे देकर .उन्हें पहले तनखा और बाद में ताउम्र पेंशन देने की कहाँ ज़रुरत है .
और अगर लचर कानूनी प्रावधानों की आड़ में आ ही गए हैं ,नैतिकता को ताक पे रखके तो संसद के स्पीकर को लालू जैसे प्राणियों को राष्ट्रीय मुद्दों पर बोलने का हक़ नहीं देना चाहिए ।
निर्बुद्ध लालू जी को यह समझ ही नहीं आता क़ि नैतिक बल अश्व बल से,संख्या बल से ,वोटों के सिरों सेबहुत बड़ा होता है .लालू जी का दुर्भाग्य जिस जनता की अदालत में जाने की बात ,बात- बात में वह करतें हैं उसी जन अदालत का कल संसद में अपमान कर गए जिसके प्रतिनिधि आज देश की नैतिक ताकत के प्रतीक अन्ना जी हैं .
माननीय अन्ना जी ने संसद में "जन लोक पाल "मुद्दे पर लालू के अनर्गल प्रलाप का जो करारा ज़वाब दिया है हम तो वहां तक सोच भी नहीं सकते-"लालू जी आपका काम बच्चे पैदा करना है ,आप क्या जाने ब्रह्मचर्य व्रत क्या होता है ।उसकी आंच क्या होती है .
संसद के लिए यह विचारणीय होना चाहिए आइन्दा के लिए संसद के फ्लोर पर ऐसे जोकरों को उतारकर संसद की ठेस न लगने दी जाए .................कपिल मुनि के तोते भी पढ़िए जो जल्दी ही बड़ी खबर बनने जा रही है ,बोनस के रूप में शुक्रिया देश के अन्नाओं .
हमसे हमारे भतीजे साहब शाम को पूछ रहे थे -फूफा जी ये "स्वामी अग्नी बीज "अचानक मंच से रंग मंच में कैसे पहुँच गए .हमने कहा भैया ये "कपिल मुनि उर्फ़ अपने काले कोट वाले भैये के तोते निकले ",ये फोनवा पे बतिया रहे थे -कपिल मुनि आपने जल्दी गिव अप कर दिया ,वरना इस अन्ने की क्या औकात "पिद्दी पिद्दी का शोरबा ",अपने वीरू अन्ने भाई ने सुन लिया पेलवान .अब ये भगवा कपट पंडित ,कुतर्क मुनि छिपता दोल रिया है .अपने अन्ने वीरू भाई की टीम इस घुन्ने चकर घन्ने प्रोफ़ेसर अभूत- पूर्व से बारहा पूछ रही है -भैये ये कपिल मुनि कौन हैं जो अब तक जनतंत्र की अर्थी निकाल रहे थे ,अपने अन्ने की तेरहवीं करने की फिराक में थे .भैये ये तभी से लापता हैं ,साथ में मंद मति बालक को लिए हैं जो कल तक किसी राजा -छिद्दी के साथ था .


11 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

संसद सदस्य बनने की योग्यता मे बदलाव होना ही चाहिए जिससे नौटंकी बाज वहाँ ना जा सके।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपकी बात से सहमत हूँ ... बहुत से जोकर आ गए हैं ... सही समय आ गया है उनको जवाब देने का बस जनता को ये सब बाते याद रखनी हैं समय आने तक ...

डॉ टी एस दराल ने कहा…

कुछ तो मांप दंड होना ही चाहिए ।
अच्छा नहीं लगा कल संसद में लाफ्टर चैलेन्ज देखकर ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कुछ लोगों का प्रतिनिधित्व यदि देश की नब्ज़ समझने की क्षमता दे दे तो क्या कहना?

रेखा ने कहा…

वह हंसी में उड़ाकर इस मुद्दे को अहमियत नहीं देना चाहते थे . सच्चाई तो "खिसयानी बिल्ली खम्भा नोचे" वाली थी.

Bharat Bhushan ने कहा…

जन प्रतिनिधियों का स्तर ऊँचा होना ही चाहिए. सही कहा.

Sunil Kumar ने कहा…

नेताओं की भी कुछ योग्यता हो चाहिए जिसको पूरा करने के बाद ही उनको टिकट मिले | वैसे यह संभव नहीं है .......

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

संसद में यूं पहुंचने वाले निर्बुद्ध नहीं होते हैं वे तो वोटरों की अज्ञानता का लाभ उठा कर उन्हें लालच व भटकाव देने की पारंगता के मंझे हुए खिलाड़ी होते हैं.

लोकतंत्र में बहुतमत की विचारधारा ही जीतती है, फिर बहुमत कैसा भी क्यों न हो... अब देखो न, देश कह रहा है कि भ्रष्टाचार विरोधी कानून लाओ तो उन्हें तकलीफ़ इस बात की है कि ये बताने वाले तुम शहरी कौन हो, जिन अंधों ने हमें आजतक चुनकर हर साल भेजा है वे तो ये मांग ही नही रहे...

Bharat Bhushan ने कहा…

वीरूभाई जी, यह लिंक देख कर दिल टूट सा गया- http://www.youtube.com/watch?v=x8plWkPwdiQ&feature=player_embedded

रविकर ने कहा…

बहुत सुन्दर
बधाई ||

Maheshwari kaneri ने कहा…

संसद में योग्य सदस्य ही आने चाहिए ....