बुधवार, 17 अगस्त 2011

पन्द्रह मिनिट कसरत करने से भी सेहत की बंद खिड़की खुल जाती है .

पन्द्रह मिनिट का नियमित व्यायाम बहुविध सेहत की खिड़की खोल सकता है ,यही सन्देश और निष्कर्ष है एक ताइवान में संपन्न हालिया प्रेक्षण आधारित अध्ययन का .ताइवान नेशनल हेल्थ रिसर्च इंस्टिट्यूट के रिसर्चरों ने पता लगाया है कि जो नर -नारी हफ्तें में सिर्फ ९२ मिनिट के लिए भी व्यायाम कर्लेतें हैं उनकी मृत्युदर व्यायाम बिलकुल भी न करने वालों के बरक्स १४ %कम होजाती है .कुल मिलाकर ये अपनी जीवन (अवधि)प्रत्याशा तीन बरस तो बढा ही लेतें हैं .विज्ञान पत्रिका "लांसेट "में प्रकाशित हुआ है यह अध्ययन .
अध्ययन में शामिल ऐसे कुल ४,१ ६,१७५ लोगों का सर्वेक्षण किया गया था जिन्होनें दिन भर में वह कितने मिनिट व्यायाम को देतें हैं इस बात का खुद ही जायजा लिया था .सर्वे में शामिल लोगों से यह याद करने के लिए कहा गया कि उन्होंने पिछले महीने कौन सी कसरत की थी .किस किस्म का व्यायाम किया था ?
साधारण सैर ,तेज़ कदमी ,जोगिंग ,रनिंग ?जिन्हें क्रमश :-"मामूली या अक्रिय /इनएकटिव",लो ,मीडियम और "हाई"वर्ग में रखा ,देखा गया .
इनमें ५४ %इनएक्टिव मिले ,२२%लो ,१४ %मीडियमवर्ग और केवल ५%हाईवर्ग या इससे भी अधिक सक्रीय देखे गए। .
आइन्दा आठ सालों तक इन पर नजर रखी गई ,प्रत्येक वर्ग के लिए इनकी जीवन प्रत्याशा और मृत्यु दर का आकलन किया गया .
पता चला जिन लोगों ने सिर्फ १५ मिनिट के लिए भी रोजाना मोडरेट इंटेंसिटी का भी व्यायाम किया था उन्हें इसका अच्छा स्वास्थ्य लाभ मिला था बरक्स उनके जो इनएकटिव रहे थे .
न सिर्फ सक्रीय वर्ग की मृत्यु दर कम पाई गई इनमें कैंसर से होने वाली मृत्यु दर की भी संभावना कमतर रही ,यदि निष्क्रिय रहने वाले लोग रोज़ "लो वोल्यूम "व्यायाम को ही अपना लें ,तो तमाम वजहों से होने वाली ६ में से एक मौत को परे धकेला जा सकता है ,मुल्तवी रखा जा सकता है .माहिरों का यही सन्देश और अन्वेषण निकला .
People who exercised had less deaths and less cancer-related deaths than inactive individuals. “In Taiwan, if inactive individuals engage in low-volume daily exercise, one in six all-cause deaths could be postponed,” wrote lead author, Dr. Chi Pang Wen.
बेशक विश्व -स्वास्थ्य व्यायाम निर्देशों के मुताबिक़ हरेक व्यक्ति को सप्ताह में पांच दिन आधा घंटा रोज़ कसरत करनी चाहिए लेकिन हर -किसी की अति -व्यस्त दिनचर्या ऐसा करने कहाँ देती है .
कुछ न करने से कुछ करना ही भला .न सही ३० मिनिट १५ मिनिट ही सही हालाकि जितना ज्यादा सक्रीय जीवन आइन्दा के लिए उतना ही आराम ,जीवन की गुणवत्ता ,दमखम बरकारार रहने के मौके उतने ही ज्यादा ।
लेकिन कम भी उतना कम नहीं हैं फायदे इसके भी हैं -
"मधुमेह ,दिल की बीमारियों और कैंसर से होने वाली मृत्युदर इससे भी कमतर होती है .".


RSS
Even a little exercise could improve health

Even a little exercise could improve health

Even a little exercise – about 15 minutes a day - can translate to health benefits, according to an observational study from Taiwan.

Researchers from Taiwan’s National Health Research Institutes found that individuals who exercised an average of 92 minutes a week had 14 percent reduced mortality compared with inactive people. This extended to three more years of life expectancy, according to the study published in the Lancet.

The authors surveyed 416,175 people who self-assessed how much they exercised. Participants were asked to recall the examples of exercises they did the previous month such as walking, brisk walking, jogging or running, which were categorized into inactive, low, medium, high or very high activity.

Most of the participants, 54% were inactive. In the findings, 22% identified as low, 14% as medium, and 5% each for high and very high activity levels.

They followed up with participants after an average of eight years to calculate mortality risk and life expectancy for each category. Researchers found that even 15 minutes of moderate intensity exercise “had significant health benefits when compared with individuals who were inactive,” according to the study.

People who exercised had less deaths and less cancer-related deaths than inactive individuals. “In Taiwan, if inactive individuals engage in low-volume daily exercise, one in six all-cause deaths could be postponed,” wrote lead author, Dr. Chi Pang Wen.

The World Health Organization's exercise guidelines recommend exercising at least 30 minutes, five days a week. But busy schedules, lifestyle and other reasons prevent people from getting that amount of activity.

“Individuals are more likely to do 15 minutes of daily exercise than they are 30 minutes of daily exercise,” the authors wrote.

Basically, a little exercise is better than nothing. And more is better.

But the study was an observational study, so it’s impossible to determine that the health outcomes were entirely due to exercise. Plus, the exercise behaviors were self-reported, which may not always be accurate.

“Because of its observational nature, Wen and colleagues’ study cannot establish causality, but their results are entirely consistent” with previous findings regarding exercise," wrote Anil Nigam of the Montreal Heart Institute and Martin Juneau of Université de Montréal in an accompanying commentary in the Lancet. Common causes of death such as cancer and heart disease are related to poor nutrition, inflammation and physical inactivity.

“If the minimum amount of exercise we suggest is adhered to, mortality from heart disease, diabetes, and cancer could be reduced,” wrote the study authors.




7 टिप्‍पणियां:

शिखा कौशिक ने कहा…

लेकिन आज कल के व्यस्त लोंगो पर १५ मिनिट भी कसरत पर व्यर्थ करने हेतु नहीं हैं .नुक्सान उनका ही है . .बहुत सटीक बात कही है आपने .शुक्रिया
blog paheli

SANDEEP PANWAR ने कहा…

दो घन्टे बिना रुके अपनी साईकिल चलती है,

पूरे तीस किलोमीटर तय होता है।

और भी जरुरत तो नहीं है?

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बढ़िया , काम की जानकारी ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सेहत हजार नियामत है।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

अपनी सेहत को समय दें हम सबके लिए ज़रूरी है.... जागरूक करती पोस्ट....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

१५ मिनट ... वो तो निकालने आसान होंगे ... शुक्रिया इस जानकारी और जगाने के लिए ...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

आभार।

------
लो जी, मैं तो डॉक्‍टर बन गया..
क्‍या साहित्‍यकार आउट ऑफ डेट हो गये हैं ?