बुधवार, 3 अगस्त 2011

यौन शोषण और मानसिक सेहत कल की औरत की ....इसीलिए

सत्रह फीसद अमरीकी महिलायें इस बात की तसदीक करतीं हैं ,उनका या तो यौन शोषण ज़बरिया किया गया या ऐसा करने का भरसक प्रयास किया गया .
नवीनतम अन्वेषण इस तथ्य को रोशनी में लातें हैं ,यौन शोषण और यौन सदमा मन को रोग ग्रस्त बना देता है औरत के .दोनों का दांत काटी रोटी सा रिश्ता संग साथ बना रहता है भावी जीवन में ।
मनोरोगों के माहिरों और काया चिकित्सकों के लिए इसीलिए पूर्व में घटित ऐसे यौन हादसों का व्यतीत(इतिहास ,पूर्व वृत्तांत ) जुटाना ज़रूरी हो जाता है ।
जीवन के प्रभात में ही घट जातें हैं यह लिंगभेद -आधारित (जेंडर बेस्ड )हादसे .
अमरीकी चिकित्सा संघ की एक विज्ञान पत्रिका (जर्नल ऑफ़ दी अमरीकन मेडिकल असोशियेशन )में सद्य प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक़ बलात्कार ,साथी द्वारा उत्पीडित ,यौन हिंसा और यौन शोषण के भय से पीछा करने वालों से आतंकित पीड़ित शोषित महिलाओं के लिए जीवन के किसी न किसी सौपान में आगे चलके मनो -रोगों की गिरिफ्त में आजाने की संभावना बहुत अधिक पैदा हो जाती है .इसीलिए बरसों बरस पहले घटे इन यौन हादसों का पूरा ब्योरा जुटाना डॉक्टरों के लिए रोग निदान के लिए एक ज़रूरी टूल बन जाता है ।
ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चरों ने १६-८५ साला ऐसी औरतों का इतिहास खंगाला जो राष्ट्रीय प्रतिनिधिक साम्पिल था ऑस्ट्रेलियाई औरत का .इस समूह की २७ % महिलाओं के साथ ऐसी यौन बदसलूकी अपने उग्र रूप में हुई थी .इन्हीं में से ५७% अवसाद (डिप्रेशन ),बाईपोलर मेजर डिप्रेसिव डिस -ऑर्डर (बाईपोलर इलनेस ),पोस्ट ट्रौमेतिक स्ट्रेस ,सब्सटेंस एब्यूज (नशीले पदार्थों की लत )और एन्ग्जायती (बे -चैनी ,बे -कलि ,औतुस्क्य ,अधैर्य ,उतावलापन ),पैनिक डिस -ऑर्डर ,ओब्सेसिव कम्पल्सिव डिस -ऑर्डर की चपेट में आ गईं थीं जबकि जिनके साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ था जो जेंडर आधारित हो उनमें से केवल २८ % ही ऐसे मनो -रोगों की चपेट में आईं थीं .
लेकिन महिलाओं के उस वह वर्गमें से जो एक साथ तीन- तीन प्रकार का बहु -विध यौन शोषण झेल चुका था ८९%महिलायें इन मानसिक रोगों की गिरिफ्त में आके रह गईं थीं ।
यौन हिंसा एक अति सक्षम ट्रिगर रहा है मनो रोगों का भले मूल वजह न भी रही हो लेकिन मनोरोगों का पारिवारिक पूर्व वृत्तांत लिए जो महिलाएं थीं उनके साथ ऐसी यौन हिंसा की संभावना और भी ज्यादा बढ़ी हुई दिखलाई दी है इस अध्ययन में .(यह हाल तो ऑस्ट्रेलियाई जैसे विकसित आर्थिक तौर पर अगुवा बने समाज काहै . हमारा क्या हाल होगा सहज अनुमेय है .)।
इसी प्रकार की यौन हिंसा रिसर्चरों के मुताबिक़ अमरीकी समाज में भी व्याप्त है ,यदि शोध की जाये तो नतीजे वहां भी इस से अलग नहीं आयेंगें .
वहां कुल महिलाओं का पांचवां हिस्सा ऐसी यौन हिंसा की हामी भरता है और १७%बलात्कृत होना स्वीकार करतीं हैं ।
ज़ाहिर है महिलाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा विकसित समाजों में जन स्वास्थ्य से चस्पां एक एहम हिस्सा बनचुका है ।
हर्ष का विषय है अमरीकी समाज ने एक बचावी मुहीम छेड़ दी है इस यौन हिंसा के खिलाफ और २०१२ से घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की मेडिकल स्क्रीनिंग वहां निश्शुल्क होने लगेगी .
फेडरल वायोलेंस अगेंस्ट वोमेन एक्ट इस बरस री -औथराइज़ेशन के लिए आरहा है .उम्मीद पे दुनिया कायम है ।
अपना (भारतीय समाज का )तो अल्लाह ही मालिक है .यहाँ सब कुछ होते हुए भी कुछ भी नहीं है यही विडम्बना है .सरकारें क़ानून का पालन करना करवाना भूल चुकीं हैं .


Sexual assault, domestic violence can damage long-term mental health

By Amanda MacMillan, Health.com
August 2, 2011 4:01 p.m. EDT
Seventeen percent of women in the U.S. say they have been victims of rape or attempted rape.
Seventeen percent of women in the U.S. say they have been victims of rape or attempted rape.
STORY HIGHLIGHTS
  • New findings highlight how strongly mental health and trauma are intertwined
  • It's important for doctors to ask women about past episodes of violence
  • Episodes of gender-based violence often occur very early in life, mental disorders later

(Health.com) -- Women are drastically more likely to develop a mental disorder at some point in their lives if they have been the victim of rape, sexual assault, stalking, or intimate-partner violence, according to a new study in the Journal of the American Medical Association.

While the connection between these harrowing experiences and poor mental health is hardly surprising, experts say the new findings highlight just how strongly the two problems are intertwined -- and how important it is for doctors and other health-care workers to ask women about past episodes of violence, even if they happened years ago.

"When professionals are treating women with depression or mental health issues, it's best to be clued in to the fact that violence might be behind [it]," says Andrea Gielen, Sc.D., director for the Center for Injury Research and Policy at Johns Hopkins University, in Baltimore, who was not involved in the study.

Health.com: 10 things to say (and not say) to someone with depression

Researchers in Australia analyzed health data from a nationally representative sample of Australian women between the ages of 16 and 85. Episodes of sexual assault, stalking, and other "gender-based violence" were all too common, with 27% of the group reporting at least one episode of abuse.

Fifty-seven percent of the women with a history of abuse also had a history of depression, bipolar disorder, post-traumatic stress, substance abuse, or anxiety (including panic disorder and obsessive-compulsive disorder), versus 28% of the women who had not experienced gender-based violence.

Among women who had been exposed to at least three different types of violence, the rate of mental disorders or substance abuse rose to 89%.

"The extent and strength of the association we found was surprising and very concerning," says lead author Susan Rees, Ph.D., a senior research fellow in psychiatry at the University of New South Wales, in Sydney.

Health.com: Subtle signs of bipolar disorder

Rees and her colleagues can't say for sure whether the mental health problems in the study were triggered by the violence, or whether women with preexisting mental health issues were more likely to experience violence. (They did, however, control for a range of potential mitigating factors, including socioeconomic status and a family history of psychiatric problems.)

But there is "ample evidence" that traumatic events -- especially interpersonal traumatic events, such as domestic abuse -- can trigger mental problems, Rees says.

Moreover, she adds, episodes of gender-based violence often occur very early in life, whereas mental disorders often don't surface until years later.

Rates of gender-based violence in the U.S. and Australia are comparable, so a study of this kind conducted in the U.S. would likely yield similar results, Rees says. Roughly one-fifth of women in the U.S. say they have experienced intimate-partner violence (which includes domestic abuse), stalking, or both, and 17% say they have been victims of rape or attempted rape, according to the study.

Health.com: Domestic violence and your health

The findings drive home that violence against women is a major public health concern.

"It underscores the impact on society as more than just the immediate consequences, more than just treating women in an emergency department for a violent injury," Gielen says.

Mental health specialists and providers of women's health services should collaborate and develop a unified approach to more effectively screen and treat mental health problems in women who have experienced violence, Rees and her colleagues say.

The U.S. has already taken a promising step in this direction, Gielen says. On Monday, the U.S. Department of Health and Human Services issued new guidelines for preventive care for women that, among other things, require all new health plans to offer no-cost domestic-violence screenings to women beginning in August 2012.

Health.com: Medical tests women need

"Almost every public health organization in the country recommends screening for violence, so we're in a really good situation to really move forward," Gielen says. "The big challenge, though, is to work toward what happens after screening: How do we make [screenings] maximally effective, to make sure they really help women?"

Those questions may soon be addressed in the federal Violence Against Women Act, which is up for reauthorization this year. The renewal of the law may provide opportunities for grants, community interventions, and training programs for mental health professionals, Gielen says.

"I think this study really sets up a very hopeful future for providing help to these women who really need it," she says.

13 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

जानकारी भरी पोस्ट,
ऐसा तो लगभग पूरी दुनिया में ही होता है।

भारत तो जुगाड के भरोसे चल रहा है।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मानसिक प्रभाव अन्ततः परिवारों में परिलक्षित होता है।

Arvind Mishra ने कहा…

यह खेल प्रकृति खेल रही है या हमारा समाज इस पर ज्ञानार्जन करें गुरुदेव!

Urmi ने कहा…

बहुत ही अच्छी जानकारी के साथ बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! क़ाश हमारा समाज इस बात की तय तक पहुँच पाता तो शायद आज उन्नति कर पाता!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://www.seawave-babli.blogspot.com/

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

मैं प्रवीण भाई की बात से सहमत हूँ


मालिक फॉन्ट की साइज़ थोड़ी बड़ी कीजिये न!!!!!!!!!!!!!!! पढ़ने में काफ़ी दिक़्क़त हो रही है|

सुधीर राघव ने कहा…

बहुत ही अच्छी पोस्ट। भाई साहब सही कहा आपने, अपना तो अल्लाह ही मालिक है।

डॉ टी एस दराल ने कहा…

घरेलु हिंसा , यौन शोषण और यौन उत्पीडन --महिलाओं के लिए ये तीन अभिशाप समाज में पूरी तरह से फैले हैं . अमेरिका ही नहीं बल्कि सभी देशों में . पुरुष प्रधान समाज में महिलाएं एक वीकर सेक्स ही साबित होती हैं . लेकिन ये घटनाएँ महिलाओं के व्यक्तित्त्व पर गहरा असर करती हैं , यह निश्चित है . इसलिए इन्हें रोकना अत्यंत आवश्यक है .
अच्छा है की अब सरकारें भी यह समझने लगी हैं .

Amrita Tanmay ने कहा…

चौंकाने वाला विवरण .क्या कहा जाय ? बढ़िया पोस्ट .

कुमार राधारमण ने कहा…

हिंसा किसी भी प्रकार की हो,वह एक विकृति है। उससे निज़ात पाया ही जाना चाहिए,चाहे वह क़ानून के सहारे हो अथवा आत्मबल के बूते।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

हिंसा तो अंततः मानसिक शारीरिक तकलीफें ही देती है..... न जाने यह अभिशाप कब तह महिलाओं के जीवन पर ग्रहण लगाये रखेंगें ....

Arvind kumar ने कहा…

ek nayi jaankari se rubaru karaya hai apne....

khamiyaan har jagah hain.....chahe bharat ho ya koi aur jagah....
isitarah kuchh khaamiyaan kanoon men hain.....aur bahut saari hamaare andar....

Urmi ने कहा…

मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com

Urmi ने कहा…

You are welcome at my new posts-
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