आपने निरअभ्र आकाश के नीचे लेटे हुए शुक्ल पक्ष की रातों में अपने बचपन में ज़रूर आकाश को निहारा होगा .हो सकता है सितारे गिनने की कोशिश भी की हो .आपने सितारों को रंग बदलते भी देखा होगा ,कोई सितारा लाल कोई नीला तो हरा भी दिखा होगा .यहाँ रंग सितारे के तापमान का द्योतक होता है ,तापमान की ख़बर देता है .रंग का मतलब सितारे से निकलने वाले प्रकाश की तरंग की लम्बाई भी है ।
लाल रंग का प्रकाश तरंग दीर्घता (वेव लेंग्थ )में सबसे ज्यादा और नीले रंग का न्यूनतम लम्बाई की वेव लिए होता है .इसका मतलब लाल दिखलाई देने वाला सितारा अपेक्षतया कम गर्म तथा नीला सबसे ज्यादा गर्म होता है .गर्मी की मात्रा (तीव्रता )तापमान है .इसका निर्धारण आकलन करने के लिए यूँ हमारे पास "वीन्स-डिस्प्लेसमेंट ला "है .जो हमें बतलाता है :दी प्रोडक्ट ऑफ़ वेव लेंग्थ फॉर मैक्सिमम एमिशन फॉर ऐ स्टार एंड दी फोर्थ पावर ऑफ़ इट्स टेम्रेचार रेमेंस कोंस्तेंत ।इसे यूँ भी कह सकतें हैं :तेम -रिचर ऑफ़ ऐ स्टार इज इन्वार्ज्ली प्रोपोर्शनल तू दी फोर्थ पावर ऑफ़ इट्स एब्सोल्यूट टेम्रेचार .
ताप मान के आकलन के लिए इन दिनों प्रकाश विद्युत् प्रकाश मापी (photoelectric फोटोमीटर )का स्तेमाल किया जाता है ,जिसमे प्रकाश को अलग अलग कई फिल्टरों से गुजारा जाता है ,तथा इनके पार गई प्रकाश की मात्रा का मापन किया जाता है .अब प्रकाश की इस तीव्रता (मात्रा )के आधार पर ही तापमान का आकलन स्तान्दर्द स्केल्स पर किया जाता (यह एक प्रकार का केलिब्रेशन ही होता है ,देत इज कम्पेरिज़न ऑफ़ ऐ अन -नॉन क्वान्तिती विद ऐ नॉन स्तान्दर्द ).
रविवार, 6 दिसंबर 2009
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