एक नए अध्धय्यन के अनुसार -शाकाहारी खुराख दीर्घ जीवी होने की कुंजी है .पता चला है एक ख़ास प्रोटीन हैं जो मचछी-मॉस और कुछ नट्स में पाई जाती है .इसकी मात्रा का सेवन सीमित करके बुढ़ानेकी प्रकिर्या का घटाया जा सक्ता है .और फ़िर लम्बी उम्र की कामना भी की जा सकती है ।
अपने अध्धय्यन में ब्रितानी शोध कर्ताओं ने फ्लाईज़ पर कुछ आजमाइशेंकी है जिसके तहत इनकी खुराख में कुछ अमीनो -अम्लों की की मात्रा कम ज्यादा की गई .पता चला अमीनो -अम्ल मेथियोनाइन इनकी जीवन अवधि (लाइफ स्पेन )को प्रभावित करता है ।
हालाकि अन्य सभी प्रोटीनों के संसाधन (तैयार करने में ) "मेथियो -नाइन "एक ज़रूरी प्रोटीन है .मॉस -मच्छी ,ब्राज़ील नट्स ,वीत जर्म्स(दी सेंटर ऑफ़ ऐ ग्रेन ऑफ़ वीत विच इज गुड फॉर हेल्थ एंड इज एडिड तू अदर फूड्स ) और सेसमे सीड्स (एक प्रकार का बीजों वाला पौधा जिसका स्तेमाल सलाद्स में भी किया जाता है ,तेल भी जिसका निकाला जाता है ,तिल का पौधा ,तिल ,तिल का तेल जो खाने में प्रयुक्त होता है )।
बेशक होमियो -सेपियंस (आधुनिक इंसान )में फ्रूट फ्लाई के बरक्स चार गुना ज्यादा जींस (जीवन के सूत्र धार )हैं लेकिन इनमे से कितने ही यकसां हैं जिनका जैविक काम करने का ढंग यकसां है ।
बेशक यह प्रयोग फ्लाईज़ पर किए गए हैं लेकिन माइस पर की गई आजमाइशों के भी ऐसे ही नतीजे मिलें हैं ।
सवाल प्रोटीन संतुलन कायम रखने से जुदा है ,खासकर उन लोगों के लिए जो एटकिन्स खुराख (हाई -प्रोटीन्स डाईट लेतें हैं ),बोदी बिल्डर्स द्वारा लिया जाने वाला प्रोटीन संपूरक ।
बेशक पूर्व में संपन्न अध्धय्यनों में बतलाया गया था ,खुराख में ३० फीसद केलोरीज़ कम करके हृद रोग और कैंसर ले जोखिम को घटाकर आधा और उम्र को एक तिहाई बढाया जा सकता है ।
अब कहा जा रहा है -सवाल यह नहीं हैं आप कितनी केलोरीज़ ले रहें हैं ,सवाल उन खाद्य पदार्थों से छिटकने का है जिनमे इस प्रोटीन का डेरा है .
शनिवार, 5 दिसंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें