हाइपो -स्पाडिया /ह्य्पोस्पदिअस :इट इस ऐ कोंजिनैतल बर्थ डिफेक्ट ,एन एब्नोर्मल कोंजिनैतल ओपनिंग ऑफ़ दी मेल युरिथ्रा अपों- न दी अन्दर सर्फेस ऑफ़ दी पेनिस /आल्सो इन केस ऑफ़ ऐ फेमेल चाइल्ड ऐ युरेथ्रल ओपनिंग इनटू दी वेजैना ।
न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर ऑफ़ टोक्सिकोलोजी एंड ओक्युपेश्नल हेल्थ के बतौर कार्य रत च्रिस विंदर ने अपने एक अध्धय्यन में बतलाया है ,ऐसे बच्चों की संख्या अप्रत्याशित तौर पर बढ़ रही है जिनकी संतानें जन्मजात विकृतियों से ग्रस्त हैं .हाइपो -स्पदिअस भी उनमे से एक है जिसमे बच्चे के शिश्न की निकासी (ओपनिंग )का स्थान अपनी सुनिश्चित सामान्य जगह पर ना होकर अगर सिरे से हठकरशिश्न (पेनिस )की सतह से नीचे की और चला आता है ।
मच्छर भगाओ नुस्खे भी इस जन्मजात विकृति को हवा दे रहें हैं ,अध्धय्यन से ऐसी आशंका ज़रूर पैदा हो गई है ,बेशक अभी ऐसे और भी अध्धय्यन और भी होने चाहिए ,इस आशंका की पुष्टि के लिए ।
अपने अध्धय्यन में ज़नाब च्रिस विंदर साहिब ने हाइपोस्पेदिआस् से ग्रस्त ४७१बच्चों की माताओं से तथा ४९० अनन्य शिशूं ओं की माताओं से जिनका चयन रेंडमली किया गया गर्भावस्था के दौरान इनकी जीवन शैली तथा स्तेमाल में लिए गए रसायनों के बारे में विस्तृत पूछताछ की गई ।
गर्भावस्थाकी पहली तिमाही में मच्छर भगाने वाले रसायनों का स्तेमाल हाइपो स्पदिअस के जोखिम को ८१ फीसद बढ़ाने वाला पाया गया ।
मच्छर भगाने वाले रसायनों का आम इन्ग्रेदियेंत एन ,एन -दाई इथाइल -मेटा -टोलू -अमा -ईद होता है ,हालाकि इन तमाम माताओं ने प्रयुक्त इन्सेक्ट -रिपेलेंट का ब्योरा उपलब्ध नहीं करवाया था .मच्छर भगाओ रसायनों में आम तौर पर पाये जाने वाले इस रसायन को दीत (दी इ इ टी )भी कहा जाता है ।
सलाह यही है संतान चाहने वाली महिलायें इन रसायनों से बचें या फ़िर इनका कमतर स्तेमाल करें .हैपोस्पडिया नर शिशुओं के पाये जाने वाली आम जन्मजात विकृति बन रहा है ,पर्यावरण में मौजूद हैं इस रोग के कारक ,बचा जाए इनसे .
गुरुवार, 3 दिसंबर 2009
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