हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी )की अवधारणा को आत्म सात करने से पहले हमें यह समझना होगा "ऊर्जा स्रोतों के संरक्षण और निरंतरता "से हमारा क्या आशय है ?आज हम जिन ऊर्जा स्रोतों को बरत रहें हैं कहीं हम उनका बिलकुल सफाया ही ना कर दें ,आइन्दा आने वाली पीढ़ियों के लियें भी कुछ सोचें .यानी किसी भी ऊर्जा स्रोत का "होणा" उसकी "इज्नेस "बनी रहे भावी पीढ़ियों के लिए .अलबत्ता ग्रीन एनर्जी एक ब्रोड -स्पेक्ट्रम टर्म है ,व्यापक अर्थ है हरित ऊर्जा का .कायम रहने लायक ऊर्जा स्रोतों को ग्रीन ऊर्जा कहा जा सकता है .पुनर प्रयोज्य ऊर्जा स्रोतों का भी यही अर्थ लगाया समझा जाएगा ."क्लीन डिवेलपमेंट मेकेनिज्म "स्वच्छ ऊर्जा को भी हम ग्रीन एनर्जी कहेंगें .ज़ाहिर है उत्पादन की ऐसी प्रकिर्या हमें चाहिए जो हमारे पर्यावरण को कमसे कम क्षति पहुंचाए .यही कायम रह सकने लायक विकास है .जब हम ही नहीं रहेंगे तो हमारी हवा पानी मिटटी को निरंतर गंधाने वाले ऊर्जा स्रोतों की प्रासंगिकता का मतलब ही क्या रह जाएगा ?इसीलिए "ग्रीन एनर्जी /क्लीन एनर्जी "इस दौर की ज़रूरीयात है ,महज़ लफ्फाजी नहीं है .इस दौर में हम कोयला और जीवाश्म ईंधनों का बला की तेज़ी से सफाया कर रहें हैं ,कल यह स्रोत रहें ना रहें .पर्यावरण तो टूट ही रहा है जलवायु का ढांचा ,मौसम का मिजाज़ डांवां-दोल है .इसे बचाने के लिए "ग्रीन एनर्जी चाहिए ।
जैव ईंधनों (बायो -फ्यूल्स )सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा तरंग ऊर्जा ,भू -तापीय एवं ज्वारीय ऊर्जा जिनका स्तेमाल अभी अपनी शैशव अवस्था में हैं ग्रीन एनर्जी के तहत ही आयेंगी ।
ऊर्जा दक्षता में इजाफा करने वाली अभिनव प्रोद्योगिकी को इसी श्रेणी में रखा जाएगा इनमे पहली पीढ़ी की जल और भूतापीय ऊर्जा दूसरी की सौर एवं पवन ऊर्जा तथा तीसरी की "जैव -मात्रा गैसीकरण "यानी बायोमास गैसीफिकेशन सौर -तापीय इसी वर्ग में जगह पाएंगी .
रविवार, 27 दिसंबर 2009
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