कन्त्रा बेन्ड(चोरी - छिपे तस्करी द्वारा लाया गया सामान ),टेरर बोम्म्स ,दवाओं का पता लगाने के लिए अब एक्स रेज़ से ज्यादा ,अन्दर तक बींधने वाली (पेनित्रेतिंग )टी रेज़ का स्तेमाल किया जा सकेगा .टेरा-हर्ट्स फ़्रीक्युएन्सि (ए मिलियन मिलियन हर्ट्स ) का विकिरण जल्दी ही कई जगह" एक्स रे आई "की जगह हथिया लेगा ।
विद्युत् चुम्बकीय विकिरण के एक छोर पर बहुत अधिक लम्बी उतनी ही कमतर आवृत्ति की रेडियो -विकिरण हैं तो दूसरे सिरे पर एक दम से छोटी गामा -किरणें हैं जिनकी आवृत्ति सबसे ज्यादा है .कास्मिक किरणों का यही बहुलांश हैं .इनके नीचे टेरा रेज़ और नीचे एक्स रेज़ ,परा -बेंगनी (अल्ट्रा -वायलट लाईट ),बेंगनी ,नीली हरी पीली नारंगी लाल रोशनियाँ हैं .फिर परा -लाल (अवरक्त ),माइक्रो वेव्स ,रेडियोवेव्स आदि हैं बढती हुई लम्बाई की तरंगों के रूप में कम होती आवृत्ति के रूप में ॥
इन दिनों ए एंड एम् यूनिवर्सिटी में असोशियेत प्रोफ़ेसर के पद पर आसीन अलेक्सी बेल्यानिं जो तेक्साज़ में फिजिक्स और खगोल विज्यान पढ़ा रहें हैं ,टेरा रेज़ का विकाश कर रहें हैं ताकि अब तक कमतर स्तेमाल में ली गईं इन किरणों का चलन खुफिया तंत्र में अधिकाधिक किया जा सके ।
इनका पूरा ध्यान पूरी तवज्जो इन दिनों टी एच जेड (टेरा -हर्ट्स )आवृत्ति की तरंगों अदृश्य विकिरण पर है जो एक्स रेज़ की जगह लेंगी .इन्हें ही आम भाषा में टी -रेज़ कहा जा रहा है .जिनकी भेदन क्षमता अपार है .(जितनी ज्यादा भेदन क्षमता किसी विकिरण की होती है उसी अनुपात में उसकी आयनी करणक्षमता (आयोनाइज़िन्ग पावर )कमतर होती चली जाती है .जांच किये गए सामान को वह उतना ही कमतर नुक्सान पहुंचा पाती है .
मंगलवार, 22 दिसंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें