एक अध्धय्यन में उन लोगों को आगाह किया गया है जो प्रोढा -वस्था में पहुंचकर भी ज़रूरत से ज्यादा व्यायाम करतें हैं .जाने -अनजाने ऐसे लोग अपने घुटनों को नुक्सान पहुंचा सकतें हैं ,देर सवेरओस्टियो -आर्थ -राईतिसका शिकार हो सकतें हैं ।
घुटनों को नाकारा बनादेने वाला एक ऐसा अप -विकासी रोग है -ओस्टियो -आर्थ -राईतिस जिसमे धीरे धीरे ही सही जोड़ों की अस्थियाँ का क्षय होने लगता है .(ओस्टियो -आर्थ -राईतिस इज ऐ फॉर्म ऑफ़ आर्थ -राईतिस करेक्तराइज़्द बाई ग्रेज्युअल लोस ऑफ़ कार्टिलेज ऑफ़ जोइंट्स युज्युअली अफेक्तिंग पीपुल आफ्टर मिडिल एज़िज़ ।)
केलिफोर्निया विश्व -विद्यालय ,सांन - फ्रांसिस्को के क्रिस्टोफ स्तेह्लिंग के अनुसार एक अध्धय्यन से पता चला है जो लोग प्रोढा -वस्था में आने के बाद भी ज़रूरत से ज्यादा एक्सरसाइज़ करतें हैं उनमे नी -एब्नोर्मेलिती का ख़तरा बढ़ जाता है .इसी के साथ ओस्टियो -आर्थ -राईतिस का जोखिम भी मुह्बाये खडा हो जाता है ।
जोड़ों की इस तकलीफ में जोड़ों में दर्द सूजन (शोजिश )के अलावा अकडन भी पैदा हो जाती है ।
सेंटर फॉर डीज़ीज़ कंट्रोल के अनुसार दो करोड़ सत्तर लाख अमरीकी जोड़ों के दर्द की शिकायत लिए हुए हैं .
मंगलवार, 1 दिसंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें