शादी -ब्याह तय करते वक्त हम लोग बहुत सी बातें छिपा जातें हैं .जो बतलाई जातीं हैं उन पर ठीक से गौर नहीं करते .जो बतलाया जाता है वह ज्यादा महत्वपूर्ण होता है ।
मसलन एक लड़की के पिता ने बतलाया ,हमने देखा भी शादी से पूर्व वहां सम्बन्ध जोड़ने से पहले ,वह घर में बने मंदिर में ही सोतें हैं ,जमीन पर गद्दा बिछाकर .हमने देखा एक रिचुअल की तरह गली के दो कुत्तों को नियमित रोटी दूध में चूर कर अपने हाथ से परोस्तें हैं .यह साहिब पेशे से हाकिम है ।
एक लड़की को मैं नज़दीक से जानता हूँ ,कई लड़कों को भी जो अब मर्द बन चुकें हैं ,ग्रिस्थ बन चले हैं ,हफ्ते में एक से ज्यादा व्रत रखतें हैं ,कई बार इनके मनोरोग विद ने एंटी -साईं कोटिक ड्रग्स के साथ ऐसा ना करने की सलाह दी (जी हाँ यह लोग दवा लेतें हैं मनोरोगों की )।
बच्चा ब्रेकफास्ट किये बिना भले ही स्कूल चला जाए ,पति दफ्तर, इनका पूजा पाठ ,इबादत चलती रहनी हैं ,अल्ला ताला के नाराज़ होने का ख़तरा जो है .बिला नागा यह लोग हनुमान मंदिर जायेंगे ,साईं के दरबार में गुरूवार को हाजिरी देंगें ,बंदरों को चने खिलायेंगें ।
भाई साहिब यह सब एब्नोर्मल है .नोर्मल बात नहीं है .कोई भी अति एक ही और बराबर इशारा करती है -एब्नोर्मल बिहेविअर मनोरोगों का बेकग्राउंड .
गुरुवार, 31 दिसंबर 2009
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