रविवार, 6 दिसंबर 2009

क्या है ट्रिपल वेट हाइड्रोजन यानी ट्रा-इतीयं ?

कुदरत में बहुत ही कम मात्रा (अल्पांश )में पाया जाने वाला एक रेडियो -आइसा -टॉप है ट्रा -इतीयं जिसकी उत्पात्ति तब होती है जब सुदूर अन्तरिक्ष से आने वाली शक्ति शाली कोस्मिक रेज़ (ब्रह्माण्ड ईय किरणे)हमारे वायुमंडल में दाखिल होकर नात्रोजन अणुओं से टकरातीं हैं ।
प्रकृति में यह हाइड्रोजन का १२.३ वर्ष अर्द्ध जीवन अवधि वाला रेडयो -धर्मी समस्थानिक(रेडियो -आसो -टॉप विद ऐ हाल्फ लाइफ ऑफ़ १२.३ ईयर्स )रंग और गंध हीन जल के रूप में ही ट्रेस -अमाउंट (अल्पांश )में दिखलाई देता है यूँ नाभिकीय अश्त्रों के विस्फोट में भी इसका अल्पांश पैदा हो जाता है ।एटमी बिजली घरों में यह एक उप -उत्पाद के रूप में हासिल होता है ।
इसका अल्पांश (बहुत कम अंश )हमारे वायुमंडल में रोजाना पसरा रहता है यहाँ तक की यह हमारी खाद्य -श्रृंखला में भी बहुत कम मात्रा में ही सही शरीक ज़रूर है ।
अक्सर इसकी एक न्यूनतम निर्धारित मात्रा निरापद समझी बतलाई गई है ,क्योंकि इससे निसृत बीटा किरणें (फास्ट मोविंग इलेक्त्रोंस ) की हमारी चमड़ी को बींधने की क्षमता बहुत ही नामालूम सी है ।
आम तौर पर त्रैत्रियम युक्त जल पीने से यह हमारे शरीर तंत्र में दाखिल हो जाता है ।
हाल फिलाल इस रेडियो -धर्मी -आइसोटोप की चर्चा तब हुई जब हमारे भारी पानी चालित एक एटमी बिजली घर के परिसर में (बिजली घर से दूर )रखेएक कूलर के जल में इसके कुछ वायाल्स चुराकर कुछ शरारती तत्वों ने ,मिलाकर जल को संदूषित कर दिया ,तथा इस जल को पीने से कई मुलाजिम बीमार हो गए ।
यह बहुत खतरनाक भी हो सकता था क्योंकि यह सीधे सीधे कोशिकाओं को ही नष्ट कर देता अधिक डोज़ होने पर ।
ऐसे में कैंसर का ख़तरा भी सहज ही पैदा होजाता है ।
यह कुदरत की हम पर इनायत है इसकी कम मात्रा शरीर में दाखिल होने पर पेशाब और बारास्ता पसीना अपशिष्ट के रूप में बाहर आ जाती है ।
एटमी बिजली और एटमी अश्त्रों के अलावा इसका स्तेमाल कई स्वय्यम प्रदीप्त (सेल्फ ल्युमिनिसेंत )दिवैसिस (युक्तियों )में किया जाता है ।
एयर क्राफ्ट डायल हो या किसी इमारत के प्रवेश और निकासी द्वार चिन्ह (एंट्री एंड एक्सिट साइन ऑफ़ ऐ बिल्डिंग ),कई गेज़िज़ और हाथ घड़ी के डायल इसी से प्रदीप्त होतें हैं ।
लाइफ साइंस रिसर्च में भी यह रेडियो -सक्रीय सम -स्थानिक प्रयुक्त होता है .कैगा बिजली घर मिस -हेप को लेकर यह पिछले दिनों ख़बरों में था ,इसी के साथ हमारे एटमी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का भी सवाल उठा था .

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