दिल्ली से प्रकाशित "नवभारत टाइम्स "ने अपने सम्पादकीय "सुंदर कौन ,३०जुलाइ ,०९"के मार्फ़त ये मुद्दा उठाया है .हेलसिंकी विस्व्विद्द्यालय के मार्कस जकोला तथा लन्दन स्कूल आफ इकोनोमिक्स के उद्भव एवं विकासात्मक ,मनोविज्ञानी (इवोलुश्नरी साइकालाजिस्ट ) के शोध निष्कर्षों का हवाला देते हुए सम्पादकीय कहता है :सुंदर माताएं सुंदर कन्याएं ही पैदा करती हैं ,और इस प्रकार सुन्दरता का संवर्धन -संरक्षण पीढी -डर -पीढी चलता रहता है .गोरियाँ होतीं हैं ये तमाम माताएं और इनकी बेटियाँ .लेकिन ज़नाब हमने अक्सर देखा है जो माताएं "ड्रीम गर्ल "होती हैं ,हेमा मालिनी सी सुंदर उनकी कन्याएं उनके मुकाबिल १९ ही रह जाती हैं .और रूप सुंदरी गौर -वर्णी ही हो ,ये कहाँ ज़रूरी है .बेशक ,बलराम (दाउजी )जब कृष्ण के साँवले वर्ण पर कटाक्ष करते हुए कहते है:गौरे नन्द जसोदा गौरी ,तू जसुमति कब जायो ,मैया मोहे ,दाऊ बहुत खिजायो ,तब कृष्ण मातु यशोदा से दाऊ जी की शिकायत करते हैं .अलबत्ता ,प्रेम पगी मीरा गातीं हैं :श्याम रंग में रंगी चुनरिया ,अब रंग दूजो ,भावे ना ,जिन नैनन में श्याम बसे हो ,और दूसरो आवे ना .श्याम वर्णी कृष्ण सब की आंखों के तारे हैं .बिहारी दास भी कहतें हैं :मेरी भव बाधा हरो ,राधा नागर सोय ,जा तन की झाइन परे श्याम (काले कलूटे कृष्ण )हरित (प्रसन्न )द्युति होय .लेकिन कृष्ण की अपनी पीडा है ,वो मातु यशोदा से बहुविध पूछ्तें हैं :राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला .तो ज़नाब जैसे अमीरी का मानकीकरण हो चुका है ,वैसे ही सुन्दरता का तो हो ले .सुन्दरता के प्रतिमान कौन गढेगा ?काले या गोरे ?जैसे अभी तक बुद्धिमत्ता (इंटेलिजेंस )aparibhaashit है ,बुद्धि के मूल तत्व क्या हैं ,इसका फैसला विज्ञानी नहीं कर पायें है ,वैसे ही सुन्दरता क्या है इसका nirdhaaran दो विज्ञानी नहीं कर सकते .सुन्दरता विषयी मूलक है ,sabjektiv है ,aabjektiv नही ।
aai kyu को लेकर भी बड़ा jhamelaa है .jhuggi jhonpdi में palne vaalaa bachchaa अपने parivesh के बारे में jyadaa mukhar है जान kaari से bharpur है ,aai kyu का nirdhaaran aagrh मूलक hotaa है ,और फ़िर sundarta तन की ही नहीं मन की भी होती है ,karmon की भी ।sahjany lagaav भी पहले प्रेम और फ़िर prem पगी को सुंदर मानने lagtaa है .कहा भी gayaa है :दिल lagaa gadhi से तो परी क्या karegi .तो ज़नाब सुन्दरता का nirdharan vyektik है ,jyaanendriyon से hotaa है .कोई एक paimaanaa नहीं इसे naapne aazmaane का .progshaalaa में aazmaaishen कैसे kijiyegaa ?byuti laaiz इन दा aaiz आफ daa biholdar ,byutiful इस who beautiful does etc etc .maashuk को aashik की नज़र से dekhnaa hogaa ।
गुरुवार, 30 जुलाई 2009
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1 टिप्पणी:
mahoday aajkal to keval mahilaon me hi sundarta dekhi jaane lagi hai,aur jo jyada nagn ho sake use sundar bataya jata hai.tensionpoint.blogspot.com
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