मंगलवार, 21 जुलाई 2009
शान्ति ,शान्ति ,शान्ति तिन बार क्यों ?
त्रि -वाराम सत्यम ,अर्थात जो बात तीन बार कही ,दोहराई जाए वह सच हो जाती है (या उसे सच मान लिया जाता है ,प्लेसिबो इफेक्ट आफ दा ड्रग ), कचेहरी में कहा जाता है :जो भी कहूँगा सच कहूँगा ,पुरा सच कहूँगा और सच के अलावा कुछ नहीं कहूँगा .तलाक़ ,तलाक ,तलाक कहने से तलाक हुआ मान लिया जाता है ,त्रि -वाराम आग्रह मूलक है ,आवेग बढ़ाने के लिए किसी भावः का ,भावदशा का एक शब्द तीन मर्तबा दोहराया जाता है ,इसीलिए कहा जाता है :शान्ति शान्ति ,शान्ति .शान्ति की उत्कट अहिलाषा का द्योतक है ,शान्ति ,शान्ति ,शान्ति का दोहराव .व्यक्ति का मूल स्वभाव (होना मात्र )शान्ति है (आत्मा का बुनियादी गुन ,शान्ति है .कोई चीज़ जब तक अपनी जगह कायम रहती है ,जब तक विक्षोभित न हो ,उसे आंदोलित ,डिस्टर्ब न किया जाए ,विज्ञान में इसे जड़त्व (जड़ता या इनर्शिया )कहतें हैं .अध्यात्म की शब्दावली में शान्ति .अशांत होने पर जब विक्षोब कारी बाहरी कारक ( बल या फोर्स ) हठालिया जता है ,व्यक्ति शांत हो जाता है ,स्वभाव गत स्तिथ होजाता है .इसीलियें कहा जाता है :विस्फोटों में मौन छिपा है .शान्ति हमारे अन्दर बाहर के (मानस )आन्दोलन को रेखांकित करती है .शान्ति तो पहले थी ,पहले से ही थी ,आन्दोलन बाहर से आया है .हर कोई शान्ति चाहता है ,क्योंकि शान्ति ही प्रसन्नता है ,हमारा अपना अंतस ही उसे आच्छादित किए रहता है .बिरले ही झंझाओं से घिर जाने पर भी शांत रहतें हैं ,यही योग की स्तिथि है .कुछ और हर दम "विघ्न संतोष बन अपने होने की ख़बर देतें हैं ,तो कुछ ट्रबुल- शूटर्स भी होतें हैं विपदा से घिर जाने पर मात्र साधना ,आराधना ,प्राथना करतें हैं ,मूल मन्त्र है :शान्ति ,शान्ति ,शान्ति .आधिदेविक आपदाओं (प्राकृत आपदाओं )यथा ,भू कंप ,बाढ़ ,तुषारापात ,ज्वाला मुखियों का फटना हमारे बस की बात कहाँ ,कुदरत की लीला कह्देतें हैं हम इनको .आधी भौतिक कारक हैं :प्रदुषण ,आदमी की आदमी से भिडंत ,दुर्घटना ,अपराध .आधाय्त्मिक (तन मन का संताप ,साइको -सोमाटिक बीमारियाँ .तीन बार कहिये शान्ति ,शान्ति ,शान्ति ,पहली मर्तबा अदृश्य ताकतों को बल पूर्वक ,दूसरी मर्तबा मृदु स्वर में परिवेश को ,आस पास को और तीसरी मर्तबा धीरे से ,स्वगत कथन सी ख़ुद को संबोधित होती है :शान्ति .
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