भा और स्मा दो अक्षरों का योग है भस्म भा यानि भरत्स्नम यानि विनस्टकरना ,तू देस्त्रॉयस्मा यानि स्मरण ,याद .जब दुर्गुणों का नाश होता है तब उस परम तत्व (परमेश्वर शिव से हम मिलन मनाते हैं ),उसकी याद आती है .भस्म को विभूति भी कहा जाता है जिसका एक अर्थ है ,ग्लोरी ,उस प्राणी की रक्षा ,उसकी सेहत की हिफाज़त ,बुरी शक्तियों से बचाव का एक कवच .इसीलियें कुछ लोग सिर्फ़ माथे पर ,कुछ बाजुओं के उपरले हिस्से (अप्पर आर्म्स )पर ,सिने पर (चेस्ट )तो कुछ तमाम शरीर पर भस्म मल लेतें हैं .शिव भक्त माथे पर भस्म से त्रिपुंड (तीन समांतर रेखाएं खीच कर बीच में कुमकुम की लाल्बिंदी लगा लेतें हैं .लाल बिंदी को शिव शक्ति (एनर्जी -मैटर )को एक तत्व के रूप मेंरूपायित करती है .मान्यता है कि शंकर भोले अपने तमाम शरीर पर भस्म लगाये rahten हें .darsal भस्म दहन कि किर्या (कोम्बस्चन ) कम्बुस्चन का अन्तिम up पाद है ,अवशेष है .अन्तिम सत्य है ,शिव है जो कभी विनस्ट नहीं होता .होम कर देतें हैं हम yajy कि jyanagni में अपने एहम को एहम केंद्रित एश्नाओं को ,havy samigri की विशेष लकड़ी हमारे jadatv (inertia )की pratik है .हम सिर्फ़ शरीर नहीं हैं ,भस्म lepan इस khayaal से mukti है .शरीर के बारे में तो कहा गया है :haad जले जो laakdi ,kesh जले ज्यों ,ghas ,सब jag jalta देख कर ,kabira bhaya उदास .भस्म हमें याद dilati है ,karm karon ,समय कम है ,सब कुछ वक्त आने पर वक्त की shasvat aanch में जल janaa है shesh रह jani है "भस्म ",asli तत्व ,karm fal क्या किया इस जीवन में जो इतना अनमोल था ?मौत का एक pal ,muaiyan है ,नींद क्यों रात bhar नहीं आती ,iisliyen तुलसी बाबा ने कहा :तुलसी भरोसे ram के रहो ,khat पे soy ,anhoni होनी नहीं ,होनी होय सो होय .यानि pramaad नहीं karm कीजिये उसकी याद में ,chinta नहीं ,chinta चिता समान .भस्म ही srishthi का अन्तिम सत्य है जिसका aavadhik vinash और nirman होता रहता .big bang ,होते रहें हैं होते रहेंगे .shesh bachegi भस्म ,एनर्जी -मैटर soup .भस्म शरीर से atirikt nami sokh लेती है ,सर्दी jukaam से bachati है ,कई aayurvedik davaaon में काम आती है भस्म .भस्म trinetri शिव की याद में lagai jati है ,जो दुःख bhajak है ,mukti data है ,जनम janmantar से chutkara dilvata है ,यही है भस्म lepan का falsafa ,विभूति के piche का दर्शन .होम ,yajy abni का अवशेष है "भस्म ".sadharan राख नहीं है .,विशेष है ,jyan अग्नि का fosil है अवशेष है .
सोमवार, 20 जुलाई 2009
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