रविवार, 26 जुलाई 2009

दानवी त्रिकोण बरमुडा :मिथ या यथार्थ ?


उत्तरी अंध महासागर का पश्चिमी क्षेत्र सनसनी खेज बर्मूडा त्राएन्गिल के लिए जाना जता है .इस त्रिकोण की आधारीय लाइन के एक सिरे पर बर्मूडा है तो दूसरे पर पुटोरिको तथा अपेक्स पर है मेक्सिको की खाड़ी (गल्फ आफ मेक्सिको ).ट्रोपिकल स्टोर्म्स (हुर्रिकेंस ,चक्र्वातीय ) का क्षेत्र है ,यहाँ समुंदरी जहाजों ,नावो का बह जाना ,पानी पर उतरने वाले छोटे हवाई जहाजों का यकायक गायब हो जाना ,एक परा भौतिक ,दैवीय घटना ,एक सनसनीखेज कथा (स्कूप )के रूप में प्रचारित प्रसारित किया जाता रहा है .दरसल रहस्य रोमांच बुनने वाली कथाएं ,फिक्शन सिनेमा ,फिल्में इस दौर में खूब बिकती हैं .स्टीवन स्पाइल -बर्ग की :क्लोज़ एन्कौन्तर्स ऑफ़ दी थर्ड काइन्द जैसी फिल्में बॉक्स आफिस हिट साबित इसीलियें होती हैं ,क्योंकि वे बर्मूडा त्रिकोण से sambaddh flaait nambar १९ का bhometar (bhu -itar ,एक्स्ट्रा -तेर्रेस्त्रिअल ) प्राणियों द्वारा अपहरण दर्शातीं हैं .अपहरण करता है ,एक उड़न तस्तरी .जिसमे भोमेतर(अन्य ग्रह के वासिंदे ) प्राणी विराज मान है .कोई नहीं बतलाता की गल्फ स्ट्रीम (खाड़ी -धारा ) मेक्सिको की खाड़ी की एक समुंदरी धारा है जो स्ट्रेट्स ऑफ़ फ्लोरिडा होते हुए उत्तरी अंध महासागर की और बढ़ जाती है .यह समुन्दर के अन्दर एक वेगवती नदी है जो तक़रीबन साढे पाँच (५.६मील प्रति घंटा ,या फ़िर २.५मितर प्रति सेकिंड )मील प्रति घंटा की चाल से बहती रहती है .एक ऐसी छोटी नौका जिसका इंजन खराबी दरसा रहा है ,पानी पर उतरता एक छोटा जहाज इस धरा में आसानी से बह जाता है .केबिन क्रूज़र "विचक्राफ्ट "दिसम्बर २२,१९६७ में इसी धरा में बह गया था .गल्फ स्ट्रीम से नावाकिफ कथाकारों ने एक रहस्य मूलक रिपोर्टिंग कर डाली .भाई साहिब इस क्षेत्र में शक्तिशाली हुरिकेंस पानी को मथे रहतें है .समुन्दर के नीचे मड-वोल्केनोज़ भी हैं ,यहाँ आवधिक तौर पर ,बारहा ,मीथेन इरुप्स्हंस होतें हैं .फलतया पानी झाग -बुलबुले बनने लगते हैं ,ऐसे में समुन्दर के इस भाग पर तैरते -इठलाते जहाजों को आवश्यक ,बोयेंसी (उत्प्लावन बल ,ऊपर की और पर्याप्त उछाल नहीं मिलती ,आर्किमिडिज़ का सिद्धांत :जब कोई वस्तु किसी द्रव में आंशिक या पूर्ण तया डुबोई जाती है तो उसके भार में कमी आ जाती है ,और यह कमी वस्तु द्वारा हठाये गए ,विस्थापित जल के भर के बराबर होती है ,उपरी उछाल ही उत्प्लावन बल है ,ज़नाब ).मीथेन हाई -द्रेट्स समुन्दर के नीचे यहाँ वहाँ मौजूद हैं ,कोंटीनेंटल-सेल्व्स पर इनका डेरा है .पानी के बुलबुले पानी का घनत्व (डेन्सिटी )घटा कर उत्प्लावन बल घटा देतें हैं ,जहाज डूब जाता है ,उसका मलबा धाराएं जिनका ज़िक्र था बहा ले जातीं हैं ।कहा जाता रहा है ,बर्मूडा क्षेत्र में दाखिल होते ही कम्पास की सुंया अपना नेविगेशन धर्म निभाना छोड़ देती हैं ,कप्तान जहाज का भ्रमित हो जाता है .दरअसल विस्कोंसिन से गल्फ की खाड़ी तक एक ऐसी लाइन है जिस पर मेग्नेटिक नॉर्थ (कम्पास )तथा भूगोलीय नॉर्थ एक लाइन में आ जातें हैं ,कोंसैद करने लगतें हैं ,ऐसे कम्पास मार्ग दर्शन कैसे करे ?जबकि नेविगेशन का मतलब है ,आधार है :मेग्नेटिक वेरिएशन .मानवीय भूल भी समुन्दर में हादसों की वजह बनती हैं ,बर्मूडा के गिर्द रहस्य रोमांच बुनने वाले लिखाडी इस तथ्य की अदबदा कर अनदेखी कर जातें हैं .वाष्प शील बेंजीन अवशेष (वोलाटाइलबेंजीन रेज़िदू ) की पर्याप्त प्रसिक्षणके अभाव में साफ़ अनदेखी होती है ,१९७२ में टेंकर एस एस वि ऐ फोग इसी लापरवाही के चलते जल समाधि ले गया था .दरअसल बर्मूडा एक अरबी दंत कथा है .बहामास के अन्तर -राष्ट्रिय जल के गिर्द बुनी गई है ये कथा .स्ट्रेट्स आफ फ्लोरिडा ,बहामास ,सम्पूर्ण केरिबिआइद्वीपीय क्षेत्र ,अतलांतिक ईस्ट तो दा अजोरेस ,गल्फ आफ मेक्सिको बर्मूडा त्रिकोण की हदबंदी करतें हैं ।मियामी ,सान-जुएन,पुएर्तो -रिको ,मिड अतलांतिक कोस्ट आफ बर्मूडा इस क्षेत्र का सीमांकन करतें हैं .ज्यादा तर जहाजों के गायब होने की ख़बर इसी क्षेत्र से जुड़ी रहीं हैं .लेकिन किसी ने भी यहाँ के सम्बद्ध मौसम की घटनाओं के साथ ख़बर नहीं दी .१९७५ में लारेंस ने इस धांधली का परदा फास किया .मौसम का हवाला दिया जिसके अनुसार दुर्घटना होना अजूबा नहीं था .समुन्दर में ऐसा होता रहता है ,बर्मूडा क्षेत्र इसका अपवाद कैसे हो सकता था .यूके चेनल _४ ने रही सही कसार पुरी करदी .बर्मूडा त्रिकोण से रहस्य का परदा अब उठने लगा था ,यह रहस्य कथा सितम्बर १९५० में इ। वी.डब्लू जोन्स ने लिखनी शुरू की .असोसिएतिड प्रेस के सौजन्य से पहली कथा छपी .दो साल बाद फेट पत्रिका ने छापा ;सी मिस्त्री एट आवर बेक डोर .जिसमें फ्लाईट नंबर १९ ,५ अमरीकी लडाकू विमानों (नेवी टी .बी .एम् .अवेंजर )के ला पता होने की ख़बर चाशनी लगाके छापी गई .कथाकार थे :जोर्ज एक्स सेन .१९७२ में अमरीकी लिजन पत्रिका ने फ्लाईट नंबर १९ के लापता होने की कथा कुछ यूँ छापी :समुन्दर का पानी हरा दिखने लगा था ,तो कभी वाईट ,देखते -देखते ही हवाई जहाज मंगल ग्रह की और उड़ गया ,जैसे मंगल ना हुआ ,खाला जी का घर हो गया .फरवरी १९६४,अर्गोसी पत्रिका ने छापा :हताशा का जल (वाटर्स आफ दिस्पेअर) ,अदृश्य क्षितिज १९६९ में जान वालेस स्पेंसर ने "लिम्बो आफ दी लोस्ट केप्शन से कथा छापी,जिसका १९७३ में दोबारा प्रकाशन हुआ .चार्ल्स बर्लित्स ने १९७४ में "दी बरमूडा त्राएन्गिल" तथा रिचर्ड्स वैनर ने "दी डेविल्स त्राएन्गिल लिखा .आदिनांक लिखा जा रहा है ,लिखा जाता रहेगा ,इस दौर में ज़िन्दगी से थ्रिल
नदारद है ,इसीलियें कथाओं में चला आया है .

1 टिप्पणी:

निशांत मिश्र - Nishant Mishra ने कहा…

इसमें कुछ पारलौकिक या रहस्य नहीं है. उस क्षेत्र में विशेष भोगौलिक रचना के कारण सागर तल से उठती हुई मेथेन गैस उस क्षेत्र के पानी और हवा के घनत्व को परिवर्तित कर देती है जिसके कारण कभी-कभी दुर्घटनाएं हो जाती हैं.
क्या आपका लेख अंगरेजी लेख का मशीनी अनुवाद है? ऐसा लग रहा है.