सोमवार, 6 जुलाई 2009

शक ,आशंका और अनुमान अफवाह की मानिंद बिन पाखी सा पंछी .

संदेह और आशंका का बिज कितना घातक हो सकता है ,अन -अनुमेय है .शक बिना पंख का पाखी (पंछी ) है जो अफवाह की तरह ऊँचा और ऊँचा उड़ता है .मद्रास हाई कोर्ट के ज़ज रघुपति जी ने सिर्फ़ इशारा किया है एक मंत्री की और उनके काम में दखल अंदाजी का .न्यायाधीश की अपनी गरिमा है .ये क्या कम है :इंगित तो किया .निशाँ देही भी वाही करें .क्यों ?ख़ुद न्यायालय करे ,आगे बढ़कर .कपिल सिब्बल जी ने तो दो ताका सा मुह खोल दिया :यदि ऐसा हुआ है तो वो मंत्री का नाम तो बताएं ,तभी करवाई हो सकती है .आप के घर में चोर कौन है आप को पता नहीं .शक की ऊँगली अपूर्व चर्चित डी rआजा की और उठ गई है .यदि ग़लत है तो जिम्मेवारी आप की है .जिसके साथ बलात्कार हुआ ,सुबूत भी वही जुटाए । आप ,जिसे सरकार कहा जाता है किस मर्ज़ की दवा हैं ?कृपया बतलाये ,बड़ी मेहरबानी होगी ,सिब्बल साहिब आप की भी ,आपकी सरकार की भी ,हाई कमान की भी ,मंमोहंसिंघ्जी की भी .यूपी ऐ के पुरे कुनबे की भी बड़ी ही मेहरबानी होगी इस देश पर .जज साहिब को पागल कुत्ते ने तो कटा नहीं है ,न ही बैठे बैठे उनका दिमाग चल गया है .कपिल सिब्बल्जी आप कौन सी लाजिक का इस्तेमाल कर रहें हैजहाँ तर्क चुक जाता है ,वहाँ से दर्शन शुरू होता है .जज साहिब के अन्दर शर्म हया है ,क्या ये न काफ़ी है ?इस मामले की सोनिअजी मनमोहन जी फ़ौरन जांच कराएँ .सब जानते है और मानते है डी राजा को गठबंधन की मज़बूरी के तहत लिया गया था ,अब ये मगर मच्छ नहीं तो क्या सिद्ध हो रहें हैं ,मछली तो नहीं हैं ये ,बेशक एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है .आपकी सरकार तो पर्यावरण संवेदी है ,राजनितिक पर्यावरण गंदा क्यों ?

कोई टिप्पणी नहीं: