रंगों का अपना मनो विज्ञान ,मनो -भावः है ,इसीलिए कवि बिहारी (रीतिकालीन कवि श्रेष्ट )ने कहा :मेरी भव भाधा हरो ,राधा नागर सोय ,जा तन की झाई परे शयाम हरित दुति होय .यहाँ श्लेशार्थ है ,द्वि अर्थी है ये दोहा :हे राधा रूपी चतुर नागरी (स्त्री ) मेरी सांसारिक बाधाओं को ,मनस ताप को दूर करो ,जिसके शरीर की परछाई मात्र से श्याम वर्णी कृष्ण प्रमुदित हो जातें है .यहाँ हरा रंग प्रसन्न चित्त होने ,संताप हरण ,प्रसन्न होने ,आनंदित होने का प्रतीक है .लाल रंग शौर्य का तो पीत (पीला) वैभव सम्पन्नता का ,और हरा आह्लाद का ,काला विषाद का प्रतीक होता है ..माता यशोदा भी कृष्ण को काला टीका लगाती थी ,काली कमली वाले कहा गया है कृष्ण को ,इसीलियें ट्रक चालक वाहन के पीछे लिख देते हैं :बुरी नज़र वाले तेरा मुह काला ,देखो मगर प्यार से ...नै नवेली इमारतों पर काला टायर टांग दिया जाता है या फ़िर काला मुखोटा ,कोई तो साक्षात देवी काली का मुखोटा ही टांग देते है ,ताकि राक्षसी प्रवत्ति का नाश हो ,किसी की बुरी नज़र न लगे .तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसी की नज़र ना लगे ,चश्मे बद्दूर ...तुलसी ने कहा :तुलसी हाय गरीब की कभी ना खाली जाय ,बिना साँस के चाम से लोह भस्म हो जाए (आपने गाडुले लुहार लुहारिन को मुसक नुमा बेग में फूंक मारते देखा होगा ,ये थैली बकरी की खाल की होती है ,उसी की साँस से ,बद्दुआ से लोहा भी नस्ट होकर पिघल जाता है गल जाता है .बुरी नज़र और गरीब की हाय खाली नहीं जाती ,ऐसी मान्यता है ,इसीलियें ट्रक चालक लिख देतें है,बुरी नज़र वाले तेरा मुह काला . दरअसल काला रंग सभी प्रकार के विकिरण तरंगों को शोख लेता है ,रोक लेता है ,अवशोषित कर लेता है ,इसीलिए इमारतों पर काले रंग का चिन्ह ,टीका - टोटका कर दिया जाता है ,बचपन में हमारी माँ ने कितनी बार हमारी नज़र उतारी ,इसका कोई हिसाब नहीं ,आपकी भी आपकी माँ -बहिन ,चहेती ने ज़रूर उतारी होगी .ट्रेफिक सिग्नलों को लाल रंग दिया गया है ,जानतें हैं क्यों ?लाल के सिग्नल पर , रंग पर, जब रौशनी (लाईट ,सतरंगी ,सात तरंगी प्रकाश )पड़ता है ,तब तब शेष अन्य रंगरोक लिए जातें हैं ,सबसे लम्बी लाल तरंग यानी लाल रंग रह जाता है ,इसीलियें स्वेत प्रकाश से आलोकित होने पर सड़कों पर बने ट्रेफिक सिग्नल सुलग कर सुर्ख लाल दिखने लगतें हैं ,संध्या के वक्त सूर्य जब अस्ताचल को जाता है ,आसमान रक्त रंगी हो जाता है ,क्योंकि सूर्य की रौशनी हमारी आंखों में दाखिल होने से पूर्व धूलकणों से टकरा टकरा एक लंबा सफर तय करती है ,चारो और बिखर जाती है. ये लाल रंग लालिमा बन ,बाकी सभी रंग रोक लिए जातें हैं ,काला रंग सभी रंगों को रोक लेता है ,सभी भाव -अनुभाव -दुर -भाव तिरोहित हो जातें हैं इसीलियें माथे पर काला टीका जड़ देती है मात् यशोदा .,ताकि किसी दुर्मुख की बुरी नज़र ना लगे .
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2 टिप्पणियां:
बच्चों को तैयार करने के क्रम में काला टीका लगाने की प्रथा हर जगह है .. यह सोंचकर कि किसी का ध्यान बच्चे की खूबसूरती में न जाकर टीके पर जाएगा !!
HAR LADKI KE LIYE SHIKSHA ATYADHIK MAHATVPURNA HAI....ISLIYE HAR LADKI KO SHIKSHA PRAPT HO IS KARYA ME MUJHE SANYOG DENA HAI....KYA AAP MUJHE BATA SAKTE HAIN KESE?
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