बुधवार, 22 जुलाई 2009

भारतीय संस्कृति में ॐ ध्वनी का महातम्य क्या है ?


भारत में यदि कोई एक शब्द अब तक सबसे ज्यादा उच्चारित हुआ है तो वह ॐ है .हमारे तन मन हीनहीं पारिस्तिथि -पर्यावरण ,तमाम तरह के एको सिस्टम पर भी इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है .ज्यादा तर वैदिक मंत्रो ,रिचाओं ,प्रार्थनाओं का श्री गणेश इसी आखर ॐ से होता है ,यहाँ तक के स्वयं साड़ी कयानात ,साड़ी सृष्ठी ,यूनिवर्स का आरम्भ भी इस बीजाक्षर ॐ से ही हुआ माना जाता है .ॐ ,हरी ॐ ,ॐ शान्ति अभिवादन (राम राम )के बतौर भी चल निकला है .ॐ का जाप ध्यान बन गया है .इसका रूप आकार पूजन चिंतन में आ बसा है .शुभ ,मांगलिक चिन्ह है ॐ .आख़िर ॐ जाप क्यो ?परमात्मा का सार्देशीय ,सार्वकालिक (यूनिवर्सल) नाम है ॐ .यह अंग्रेजी वर्णमाला के तीन अक्षरों "ऐ" " यु " और "एम् "का जमा जोड़ है .धवन विज्ञान (फोनेतिक्स )की बात करें तो ऐ की ध्वनी अराउंड से है ,यु जैसे पुट में है और एम् जैसे मम में है (माम ).ऐ स्वर्तंत्री के आधार ,मूल यानि बेस से उपज रहा है ॐ में ,शेष ओष्ठ्य हैं ,लिप्स को बंद कीजियेगा यु की आकृति बन जायेगी ,खोलियेगा होठों को ,तमाम ध्वनियाँ जो ॐ से उपज्तीं हैं ,एम् में संपन्न होती हैं .ये तीनो अक्षर (ऐ यु एम् )जागृत अवस्था (अवेकिंद )स्टेट ,सुप्तावस्था तथा गहन निद्रा को दर्शातें हैं .त्रि -देव ब्रहमा -विष्णु -महेश का रूपक रचते , हैं ये :ॐ परमात्मा इन है इनसे परे भीye ध्वनियाँ और aum .parmatma in सब में भी hai inse pare bhi है .परमात्मा का निर्गुण निराकारी रूप मुखरित होता है दो ॐ ध्वनियों के बीच.प्रणव है ॐ अर्थात वह ध्वनी जिसे परमात्मा प्रसन्न होतें हैं ,वेदों का सार भी यही ध्वनी ॐ है .भगवान् ने कहा :ॐ और अथ और ये कयानात ,सृष्ठी अवतरित हो गई .इसीलियें हर शुभ काम की शुरुआत इसी ॐ से की जाती है ,और समापन ॐ शान्ति से ,.ॐ जाप में मदिरों की घंटी का आवर्तन ,गुंजन रिवरबरेशन है .मन को प्रशांत कर देता है ॐ (चित्त प्रशामक है ॐ ),इसीलियें इसके अर्थ और रूप का चिंतन और ध्यान किया जाता है .ॐ गणेश का प्रतिक है ,इस अक्षर की संरचना में उपरी कर्व गणेश जी के सर का ,निचला उनके उदर का और बगलिया (पार्श्व कर्व ) उनके ट्रंक को रूपायित करता है .और चन्द्र बिन्दु ,मोदक यानि लड्डू का प्रतीक है .जीवन का साध्य और साधन है ॐ ,ये भौतिक संसार और इसके पीछे का सच भी यही ॐ है ,भौतिक और पराभौतिक ,आकारीय और निराकार ,पाकीजा ,पवत्र तं भी यही है .बड़ा ही सुंदर ये मन्त्र मनहर ॐ शान्ति ॐ .

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