शनिवार, 25 जुलाई 2009

अन्तरिक्ष में भगदड़ ,दीपक तले अँधेरा . क्यों ?

ज्योतिर्विज्यानियों की माने तो ये जग एक आदिकालीन एकल महाविस्फोट से जन्मा .ये विस्फोट उस आदिम अणु में हुआ जिसमें सृष्टी का समस्त गोचर -अगोचर पदार्थ ,एक होत सूप के बतौर मौजूद था .यह सूप अति उत्तप्त तथा अतिरिक्त रूप से सघन (डेंस )था ,इसे ही बिग बेंग अथवा सुपर डेंस थेयेअरी कहा गया .इस महाविस्फोट से पैदा मलबा आज भी परस्पर दूर से दूरतर होता छिटक रहा है ,सृस्ठी फ़ैल रही है विस्तारित हो रही है .इसी मलबे से ये गोचर जगत निहारिकाओं (दूध गंगाओं ,गेलेक्सिज़ )के रूप में अस्तित्व में आया .सृस्ठी का ९९फ़िसद अंश आज भी डार्क ऊर्जा के रूप में अन- अनुमेय बना हुआ है .एक प्रति गुरुत्व बल इस फेलाव विस्तार का कारन समझा जाना जाताहै .फलतया जब हम किसी स्टार या गेलेक्सी का वर्ण क्रम उतारतें हैं (छवि अंकन करतें हैं )तो इस स्पेक्ट्रम में रेखाएं वर्ण क्रम के लाल छोर की और अधिकाधिक खिसकाव लिए प्रगट होती हैं .और इस प्रकार दृश्य प्रकाश लगातार अदृश्या प्रकाश मेंtabdil हो रहा है .लाल से परे एक छोर पर और nile से परे दुसरे छोर पर अदृश्य प्रकाश ही तो है ,दृश्या प्रकाश की तो एक छोटी सी सत रंगी पट्टी है .और यही वज़हहै की अन्तरिक्ष में अन्धकार की व्याप्ति है .क्योंकि गेलेक्सिएस प्रकाश के वेग से भी palaayan कर रहीं है ,isliyen unkaa प्रकाश हमारी आँख तक कभी नहीं पहुँच paataa कहा jata है दीपक तले अँधेरा है अन्तरिक्ष में अंधेरे का deraa है .

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