शनिवार, 25 जुलाई 2009
बहुश्रुत ग्रीनहाउस गेसें और आलमी गर्माहट क्या हैं ?
सबसे पहले ये जानना होगा :गर्मी के दिनों में पार्किंग लाट में खड़ी आपकी कार जब आप वापस लौटते हैं तो अन्दर से खासी गर्म मिलती है ,पहले आप खिड़की से शीशे हठाकर आगे पीछे के गेट खोल कर अन्दर गर्म हो चुकी हवा को बाहर करतें हैं ,फ़िर एसी आन्करतें हैं .दरअसल हमारी कर जिसके शीशे ,बंद थे ,एक ग्रीन हाउस बन जाती है .आप जानते हैं ग्रीन हाउस में पौधे रखे जातें हैं ताकि उनेह एक निश्चित ताप मयस्सर हो सके .इसी तरह हमारा वायु मंडल एक लिहाफ है ,कम्बल है जो पृथ्वी ने ओढ़ रखा है .वायु मंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का बाहुल्य है ,मुख्य गेसों ओक्सिजन नाइट्रोजन के अलावा ,इतर गेसें अल्पांश में है ,ओजोने का एक कवच है ,ओजोने मंडल में ,३०-४० किलोमीटर ऊपर ,अलबत्ता समुन्दर के निकट की हवा में सुबह की ठंडक और ताजगी इसी गैस की वजह से है ,जो अपने मूल स्वभाव में भले ही जहरीली सही ,लेकिन सौर विकिरण के जैव मंडल को क्षति पहचाने वाले परा- बेगनी अंश को रोक कर तमाम वन्य जीवों को एक सुरक्षा कवच मुहैया कराता है .इसीलिए आज ओजोने फ्रेंडली अयारोसोल्स और इतर ओजोने मित्र रसायनों की दरकार है ताकि हमारी करतूतों से टूटते ओजोने कवच को बचाया जा सके । वातावरण में ग्रीन हाउस गेसें जमा हो गईं है रेडियो -अक्तिविती से निसृत गेसों कीतरह ,इसीलियें परिमंडल गरमा रहा है .आप जानियेगा बड़ा ही संवेदी है पृथ्वी का हीट-बज़ट ,इसमें ४सेल्सिअस की घट बढ़ ,हिम युग और जलप्लावन ले आती है .इसीलियें संदेश यही है :अपना कार्बन फुट प्रिंट (फासिल फुएल खर्ची )घटाइए .भले ही हमारी ये खर्ची अम्रीका से २० गुना कम तो योरप से १२ -१६ गुना कम है .लेकिन हम एक ट्रोपिकल कंट्री है (उषण कटी बंधी देश है ).पृथ्वी का १ सेल्सिअस भी गर्माना हमारे लिए ज्यादा बुरी ख़बर है .अति नाज़ुक है हमारा हिम -नद (ग्लेशियरों का लगातार पिघलना एक बुरी ख़बर है ),मुंबई जैसे तटीय क्षेत्र एक हाई टाइड से भी सकते में आ जातें है .तटीय क्षेत्रों का अतिक्रमण रोकना हामारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए .मेंग्रोव की तटीय क्षेत्रों में खेती सुनामी की उत्ताल लहरों को भी तोड़ देती है .वक्त कम है ,नेनो का सम्मोहन छोडिये.अम्रीका एनर्जी गजलर है तो ,रहे ,हमें अपना पार्ट प्ले करना है .और उससे भी नाज़ुक है वायुमंडल का ओढ़ना ,जो बंद कार के शीशों सा गर्मी यानि लम्बी अदृश्य तरन ऊर्जा को तो दाखिल होने देता है ,लेकिन ओजोने कवच की मौजूदगी विकिरण के खतरनाक अंश को रोक लेती है .यही कवच हमारी हरकतों ऊर्जा सम्बन्धी ज़रुरियात की वजह से गरीब की ओधनी सा छीज रहा है .शानदार लिहाफ को क्षतिग्रस्त हो तार- तार होने से बचाइये ,जो ,लम्बी तरंगो ,जीवन के लिए आवश्यक गर्मी को रोके रहता है .क्या यह इत्तेफाक नहीं हैं :हम सूरज से एक खास फासले पर हैं ,न कम न ज्यादा ,जीवन के अनुकूल ,पृथ्वी का गुरुत्व भी परिमंडल को यथा शक्ति थामे है ,वरना गृह तो सौर मंडल के और भी हैं ,जहाँ हम यहाँ से भागकर कूच करने की सोच रहें हैं .जीवन को जैव मंडल के संभालिये ,इसीमें खुद्दारी है ,जिंदादिली है .
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