भारत का राष्ट्री पुष्प है कमल का फूल बहुत दिन नहीं बीतें हैं ,भारत के झील तालाब विविध रूप वर्णी कमल दल से आच्छादित रहते थे .सत्यम -शिवम् -सुन्दरम का रूपक रचता है ,कमल पुष्प .कमल हस्त ,चरण कमल ,कमल सा खिला खुला दिल ये उसी परमात्मा के ही तो गुन धर्म है .कहा गया :चरण कमल वृन्दों हरिराई ,जाकी कृपा पंगु ,गिरी लंघे ,अंधे को सब कुछ दर्शाइन.वेदों पुराण में कमल का गायन है ,प्रशंशा है .विविध कला रूपों में ,आर्किटेक्चर में कमल मुखरित है ,दिल्ली और पोंडिचेरी (ओर्लेविले विलिज )में लोटस टेम्पल भवन निर्माण को नए आयाम देता है .पद्मा ,पंकज ,नीरज ,जलज ,कमल, कमला ,कमलाक्षी आदि नाम सबने सुने हैं .लक्ष्मी कमल पुष्प में विराजमान है ,उनके हाथ में भी कमल शोभता है .सूरज के उगने के संग खिलता है कमल दल और अस्त होने पर pankhudiyaan बंद हो जातीं हैं .ज्ञान के प्रकाश की प्राप्ति पर ठीक ऐसे ही हमारा मन खिलता विस्तारित होता है ,गांठे (हीन भावना )खुल जातीं हैं ,मन मन्दिर की .तभी तो कहा गया :शीशाए दिल में छिपी तस्वीरे यार जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली .यार यानि परमात्मा .सूफी वाद में तो परमात्मा को बहुरिया ही कह दिया गया है .आशिक माशूक संवाद ही ग़ज़ल है हुजुर .कीचड़ में ,दलदली प्रदेश में भी पुष्पित होता है कमल ,पंक उसका स्पर्श नहीं करता (आत्मा भी कमल के समान सांसारिक वासनाओं से निर्लिप्त रहे ऐसा है कमल का आवाहनहै .ज्ञान की प्राप्ति पर मन का मेल मिट जाता है ,कमल की पंखुडियां (कलियाँ )कब पंक का स्पर्श करती हैं ?अंतस की पवित्रता का प्रतीक है कमल .ज्ञानी पुरूष के तमाम कर्म उसी इश को समर्पित होतें हैं इसीलियें वह सुख दुःख में समान भावः बनाए रहता है ,सदेव ही प्रसन्न रहता है .यही संदेश है कमल का .पाप से घृणा कराओ ,पापी से नहीं .जो ज्ञानी के लिए सही है उसी का अनुकरण तमाम साधक फ़कीर आम जन करें .योग विद्या के अनुसार हमारे शरीर में ऊर्जा के केन्द्र हैं ,सभी का सम्बन्ध लोटस से है ,कमल जिसमे निश्चित संख्या में पिताल्स हैं .सहस्र चक्र में १०००पितल्स हैं ,यह योग साधना की वह अवस्था जिसमें योगी को ज्ञान प्राप्त हो जाता है ,इश्वरत्व से से संपन्न हो जाता है ,वह .पद्माशन की मुद्रा में बैठने का विधान है ,साधकों को .विष्णु की नाभि से निसृत कमल से ब्रह्मा और ब्रह्मा से सृष्ठी की उत्पात्ति हुई बतलाई जाती है .यानि सृष्टि करता से सीधा सम्बन्ध ,संपर्क ,कोन्नेक्टिविटी है ,कमल की .हॉटलाइन है दोनों के बीच .जाहिर है स्वयं ब्रह्मा का प्रतीक है कमल .स्वस्तिक चिन्ह भी इसी कमल से उद्भूत हुआ माना जता है .इसीलियें तो ये अजीम्तर पुष्प राष्ट्रीय है .
बुधवार, 22 जुलाई 2009
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1 टिप्पणी:
काफी कुछ जानकारी मिली आपकी पोस्ट से
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
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