गुरुवार, 23 जुलाई 2009

मेरे देश में पवन चले पुरबाई ?


क्या इंटेलेकचु़ल अनिमल्स हैं हम लोग ?तभी न सूर्य ग्रहण की आमफहम घटना को जो ग्रहों की अपनी गति का ज़माजोड़ है :हम कई मर्तबा पुरोहिताई दृष्टि से देख लेतें हैं .ये न किया तो वह होजायेगा और वह न किया तो ये होजायेगा .ग्रहण के दौरान बच्चा पैदा किया तो वह अँधा या फ़िर विकलांग इतर जन्म जात विकृतियों का शिकार होगा ,वगेरा वैगेरा (एट सत्रा एट सितरा ),पूछा जा सकता है :पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान जो पशु पक्षी अन्य वन्य जीव बच्चे जनतें हैं वे कोंजिनैतल विकृतियों से ग्रस्त हो जातें हैं ?दीगर है ,ये जीव ,भू कंप ,सूर्य ग्रहण जैसी प्राकृत घटनाओं को हमसे पहले ताड़ लेतें हैं ,उन विशिष्ठ सेसरों (संवेदकों )की मदद से जो पृकृति ने इन्हें दियें हैं .यह भी बहुत अच्छा है :न ये पंडित -ज्योतिष्यों के संपर्क में हैं ,न अंध विशवास खरीदने में इनका यकीं है .२२जुलाइ ,२००९ का अप्रितम सूर्य ग्रहण आया भी और गया भी ,लेकिन मेरे देश में कुछ अभिज्य गैर -जान कार गरीब लोगों ने अपने जन्म जात मंदबुद्धि बालकों को जो डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त थे ,गले तक मिटटी खोद कर जमीं में गाड़ दिया ,गनीमत है ,सुपुर्दे खाक नहीं किया ,इन्हें उम्मीद थी :सूर्य ग्रहण के दौरान बच्चों को जमीं में दबाने से इनका "आई क्यू ",बुद्धि कोशांक बढजायेगा ६० से बहुत ऊपर हो जाएगा .कुछ लोगों को यकीं था :इस दरमियान आसमान से माइक्रोब्स (सूक्ष्म जीव बरसेंगे ),खाद्य सामिग्री संदूषित हो जायेगी ,मेरे देश के विज्ञानियों ने इस मिथक को तोड़ने के लिए ग्रहण के दौरान जन समुदाय के बीच खाया पीया.अलबत्ता सामिष भोजन ग्रहण के दौरान लेना वाँछित नहीं है .ग्रहण के दौरान जीव को जिबह (स्लोटर ) करने की प्रकिर्या के दरमियान गोश्त में खून के थक्के बन सकतें हैं ,मॉस संदूषित और टोक्सिक (विषाक्त ) हो सकता है .आपकी सृद्धा है तो ज़रूर स्नान ध्यान कीजिये ,पाप नही कटेंगे ,(करम गति टारे न तरे....) शरीर ज़रूर शुद्ध हो जाएगा इसमें भी शक है ,नदी नाले संदूषित हैं , इ -कोलाई का डेरा है ,गंगा जल में ,इतर टोक्सिक वेस्ट है ,रसायन हैं ,चर्म रंगाई उद्योग का कचरा है .सूर्य ग्रहण से न रिसेस्सन (आलमी मंदी )घटेगी न बढेगी ,जैसी की ज्योतिष शास्त्र (प्रिदिक्श्नल अस्ट्रोनोमी ) के कई पंडितों ने प्रागुक्ति की है ,जलवायु परिवर्तन तो हमारी अपनी करतूतों से होता है ,दीर्घावधि में ,किसी सूर्य ग्रहण से नहीं .होता तो हमारे विज्ञानी ,क्षात्र ,उद्योग से जुड़े लोग भारी धन राशिः खर्च के कुदरत के इस बिरले नजारे को देखने ,केमरे में कैद करने विशेष एक्लिप्स फ्लाईट एस २ २२७९ में सवार होकर एस्ट्रो -टूरिज्म का मज़ा नहीं लेते .अर्थ नारायांस्त्रम है सूर्य ग्रहणसे ,हमारी ग्रहों की गति ,सोलर प्रोमिनेंसिस (सौर ज्वाला ) ,सौर किरीट ,सौर मुकुट ,सौर ताज ,कोरोना सम्बन्धी ज्ञान में इजाफा हुआ है ,हम प्रकिर्ति के कूट संकेतों को पकड़ रहें हैं ,बे शक हममें से कई "आँख के अंधे नाम नैन सुख है ",बुद्धिमान पशु हैं ,हममें से कई लोग . अरे साहिब ४ मिनिट में (पूर्ण सूर्य ग्रहण की अवधि ,भारत में ) होता भी क्या ?

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