मंगलवार, 7 जुलाई 2009
दीपक से जितना बाती का. (कविता)
पहले क्षण जब तुमने देखा ,मुस्काकर मेरी आंखों में '/मेने तब ही पहचान लिया ,उठती गिरती इन सांसों में /दो चरण नहीं चलना केवल ,हमदोनो युग युग के साथी /जब पूर्व प्यार हो हिरदय में ,तो क्षण भर का परिचय ,काफ़ी /परिचय तो मेरा तुमसेकेवल दो दिन का ,पर सम्बन्ध पुराना है उतना ,दीपक से जितना बाती का /क्षण भर को तुम गए दूर ,लगता था ,जैसे गए भूल /जाने वाले जाते जैसे ,छोड़ पंथ में अपने धुल /परिचय तो मेरा तुमसे केवल दो दिन का /पर सम्बन्ध पुराना है उतना ,साहूकार से होता ,जितना थाती का /प्रीतम से जितना पाती का /मेरा तुम से सम्बन्ध पुराना है उतना /दीपक से जितना ,बाती का .
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4 टिप्पणियां:
दीपक और बाती के संग में सांसों की पहचान।
दो दिन का सम्बन्ध पुराना खूब कहा श्रीमान।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बेहतरीन अभिव्यक्ति!
बहुत बढ़िया
आपके कल्पनाओं के पंखों को सलाम ।
जाने वाले जाते जैसे
छोड़ पंथ में अपने धुल
परिचय तो मेरा
तुमसे केवल दो दिन का
पर सम्बन्ध पुराना है उतना
साहूकार से होता
जितना थाती का
प्रीतम से जितना पाती का
मेरा तुम से सम्बन्ध पुराना है उतना
दीपक से जितना ,बाती का .
अच्छी रचना .....!!
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