मंगलवार, 10 अक्टूबर 2017

Nobel Prize in Physics goes to 'black hole telescope' trio

इस बरस का भौतिकी का नोबेल पुरूस्कार संयुक्त रूप से श्री  राइनेर  वाइस (Rainer Weiss ),श्री  बररय सी बरिश 

(Barry C,Barish )तथा किप ऐस तोरने (Kip S.Thorne )को दिया गया है। इन्हें ब्लेक होल्स तिकड़ी कहा गया है। 

आपके संयुक्त प्रयास से गुरुत्वीय तरंगों की  पहली मर्तबा टोह ली गई है। इस अप्रतिम खोज से यह  उम्मीद  बंध  चली है ,एक दिन इस सृष्टि के उद्गम सोते को भी जान लिया जाएगा। 

ये तीनों ही अमरीकी भौतिकी -विद हैं जिन्होनें लेज़र इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल -वेव ऑब्ज़र्वेटरी के विकास में अहम योगदान दिया है। इसी वैधशाला से अब तक अनुमेय बनी रहीं उन तरंगों का पता लगाया जा सकता है जिनकी सैद्धांतिक गवेषणा आइंस्टाइन ने अपने  गुरुत्व संबंधी सापेक्षवाद (General Theory Of Relativity )के तहत १९१६ में की थी।


गुरुत्वीय तरंगें गुरुत्वीय विकिरण के रूप में ऊर्जा का वाहन बनती हैं। यह भी एक प्रकार का विकिरण ही समझा गया है विद्युतचुंबकीय विकिरण की तरह। 
केलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान के माहिरों के अनुसार जब अंतरिक्ष में दो अंधकूपों (ब्लैकहोल्स ) की शक्तिशाली टक्कर होती तब आंतरिक -काल के ताने बाने में ये तरंगें मुखरित होतीं हैं।  

अंतरिक्ष  -काल के इसी जुड़वां ताने बाने में अंतरिक्ष की काल कोठरियां या ब्लेक होल्स एक ऐसा प्रबल दुर्दमनीय गुरुत्व क्षेत्र समझा गया है जिससे प्रकाश का एक फोटोन  भी बाहर  नहीं निकल  सकता। यानी इस क्षेत्र के अंदर से कोई  बाहर नहीं  जा सकता प्रकाश रश्मि भी नहीं ।
१४ सितंबर २०१५ वह बरस था जब इन तरंगों की पहली मर्तबा टोह ली गयी ,डिटेक्ट किया गया इन्हें इस ब्लेकहोल टेलिस्कोप लाइगो (LIGO) से.
ये तरंगें दो ब्लेक होल्स की टक्कर का ही नतीजा थीं। अपने प्रसव के १. ३ बरस बाद ही यह लाइगो टोही (अमरीका )तक पहुँच सकीं हैं।

यद्यपि पृथ्वी पर पहुँचने पर सिग्नल बेहद कमज़ोर था।लेकिन लाइगो की जुड़वां जोड़ी ने जो न्यूक्लियस के आकार की त्रुटि भी टोह सकती है इन तरंगों को दर्ज़ कर लिया ,इनकी उँगलियों की छाप ले ही ली।
एक अभिनव खिड़की हमारे ज्ञान का परीक्षण करने के लिए इस आविष्कार  के साथ खुल गई है। 
 नोबेल पुरूस्कार की आधी राशि वेइसस (मैस्साच्युसेट प्रौद्योगिकी संस्थान )को मिली बकाया बरिश और तोरने में तकसीम हुई है। आप दोनों कैलिफर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान से सम्बद्ध हैं। 
वर्तमान गुरुत्व विकिरण टोही प्रौद्योगिकी एक मैराथन प्रयास का नतीजा है जिस पर बीस देशों से भी ज्यादा देशों  के  १००० विज्ञानियों ने अहर्निश काम  किया है। आसनिराश में गुज़रे हैं इन सभी विज्ञानियों के गत  चार दशक। .
कोई एक दिन का हासिल नहीं है यह खोज। 
जैसे -जैसे टोही उपकरण विकास की दिशा में दो कदम और आगे की ओर रखेंगे जैसे -जैसे इनकी टोही क्षमता बढ़ेगी सृष्टि के गहन गंभीर रहस्यों से पर्दा उठता जाएगा। 
बहरहाल दो बरस पहले गुरुत्वीय तरंगों की खोज ने अंतरिक्ष अन्वेषण की एक शक्तिशाली खिड़की खोल दी है-यह कहना है प्रोफ़ेसर शीला रोवाण का। आप ग्लास्गो इंस्टीट्यूट फॉर ग्रेविटेशनल रिसर्च की निदेशक हैं तथाआपका योगदान बेहद सराहनीय रहा है लाइगो प्रोजेक्ट में।  
Each of the six Nobel prizes come with an award of 9 million Swedish kronor ($1.1 million), which is shared when there are multiple recipients.
Alfred Nobel created five prizes in his 1895 will for medicine, physics, chemistry, literature and peace. A sixth prize in economics was created, in Nobel's memory, by Sweden's central bank in 1968.
सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ )http://www.physics.gla.ac.uk/igr/
(२ )http://www.cnn.com/2017/10/04/world/nobel-prize-chemistry-2017-cryo-electron-microsopy/index.html
(3 )https://www.nobelprize.org/nobel_prizes/physics/laureates/2017/
(४ )https://www.nobelprize.org/nobel_prizes/physics/laureates/2017/press.html




कोई टिप्पणी नहीं: