शनिवार, 14 अक्टूबर 2017

शोध की खिड़की से :कैसे काम करता है और क्या है क्रायो -इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (दूसरा भाग ,समापन क़िस्त )?

शोध की खिड़की से :कैसे काम करता है और 

क्या है क्रायो -इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (दूसरा भाग ,समापन क़िस्त )?

उन्नीस सौ अस्सी के दशक के आरम्भिक बरसों में (Early 1980s)जेक्स डुबोशे ने जैविक अणुओं (ऊतकों आदि )के सैंपलों को द्रुत गति से प्रशीतित करने की एक ऐसी विधि विकसित की जिसके तहत साम्पिल्स  ठीक उसी समय हिमीकृत हो उठते जब उन्हें इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से देखने की चाह एवं   तैयारी  होती। तात्कालिक प्रशीतली - करण था यह एक किस्म का जो पलक झपकते ही संपन्न हो जाता था। और विधि भी इतनी सरल एक धातु के तार की जाली पे लिक्विड - ड्रॉपर जैसी एक युक्ति से साम्पिल को स्प्रेड भर करने की देर -बस साम्पिल जाली पे अनेक घुमावदार (Thin meniscuses)महीन सतह बुन लेते थे।
A meniscus is a rubbery C-shaped disc,a curved surface .

बस यकायक मेनस्क्सिज समेत जाली  को इधर तरल इथेन (-90 C)में दागा उधर वे हिमीकृत भी हो गईं तत्काल प्रभाव के साथ । वही जल जो जैविक ऊतकों का एक आवश्यक अंग रहता है और इलेक्ट्रॉन सूक्ष्म -दर्शी  के लिए अभी तक दुर्जेय शत्रु की तरह  बना रहा था ,अब मित्रवत था। यानी अब माइक्रोस्कोप फ्रेंडली हो गये थे जल -महोदय। 
इधर १९७५ के बाद के बरसों में ही इनके सहकर्मी जो-आकिम फ्रेंक ने सूक्ष्मदर्शी से ली गई दो -आयामीय अनेकानेक छवियों(Images ) को त्रिआयामी छवियों में  संयुक्त करने का काम संपन्न कर लिया था। 
१९९० में इनके तीसरे साथी रिचर्ड हेंडरसन ने इसी काम को और परिष्कृत कर एक प्रोटीन(bacteriorhodospin ) की त्रिआयामी इमेज बनाके दिखला दी.कहाँ कौन सा परमाणु इस प्रोटीन में विराजमान है यह भलीभांति देखा जा सका। यही परमाणुविक स्तर का आरम्भिक  विभेदन था।आगे इसी विभेदन का (resolving power of microscope )और परिष्करण किया गया। 

Atomic resolution typically means a distance of 3.3 angstrom (Å) – more than 250-times smaller than the HIV virus (1 Å is one-tenth of a nanometre).

यह एचआईवी -एड्स वायरस से ढाईसौ गुना छोटा आकार है। 

१ एंगस्ट्रोम =एक नैनोमीटर का भी  दसवां भाग (टेन टू दी पावर टेन मीटर्स ),एंगस्ट्रोम सूक्ष्मतर स्तर पर लम्बाई नापने की एक इकाई है। सूक्ष्मतर तरंगों की लम्बाई के मापन के  लिए इसे स्तेमाल किया जाता है। 
२०१५  में अमरीकी जीवन विज्ञानों के माहिरों  की एक टोली ने इस विभेदन को नै परवाज़ देकर और भी परिष्कृत किया। ३. ३ एंगस्ट्रोम से विज्ञानी अब २. ८ एंगस्ट्रोम रिज़ॉल्यूशन पर आ गए थे। बस देखते ही देखते औषध निगमों के लिए Cryo -TEM का महत्व बढ़ गया ,अब हिमीकृत ट्रॅन्समिशन इलेक्ट्रॉन माई - क्रोस्कोप 'संरचना -आधारित -दवाओं 'के निर्माण की ओर  एक कदम और आगे की ओर रख चुके थे  ।  

इस प्रकार जीवन के लिए ज़रूरी कच्चे माल प्रोटीनों के अंदर तांक - झाँक करने का एक रास्ता खुला।जीवन के रसायन को अब थोड़ा और आगे निकलके देखा जा सकेगा ऐसी उम्मीद बँध  चली है। लाइलाज रहे आये बुढ़ापे के रोग एल्जाइमर्स के लिए उत्तरदाई एम्लोयड प्रोटीन की संरचना का अब और  भी सूक्ष्म -तर स्तर पर खुलासा हो सकेगा।  ( समाप्त )

सन्दर्भ -सामिग्री :
https://thewire.in/184432/nobel-chemistry-cryo-electron-microscopy-dubochet-henderson-proteins-biology/ 

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