भौतिक विज्ञानों के झरोखे से :
पहली मर्तबा विज्ञानियों ने न्यूट्रॉन सितारों की टक्कर की घटना को दर्ज़ किया है। इससे इस रहस्य पर से पर्दा हट सकेगा कि कैसे कुछ ख़ास सितारे अपनी ज़िंदगी के आखिरी चरण में जब वह अपना तमाम ईंधन जला फूंक चुके होते हैं न्यूट्रॉन स्टार बनकर , कभी कभार ब्लेक हॉल भी उत्तारोत्तर भारी तत्व बनाते चले जाते हैं। कैसे इनकी एटमी भट्टी में गोल्ड और उससे भी कीमती प्लेटिनम जैसे तत्व भी बनते हैं।हालांकि बिरले ही ऐसा होता है उससे पहले सुपरनोवा विस्फोट हो लेते हैं।
इसका एक बड़ा श्रेय उन ताराविज्ञानियों को भी जाएगा जिन्होनें ऐसी ही टक्करों से निसृत गुरुत्वीय तरंग टोहक यंत्र बनाके प्रस्तुत किये और इस बरस का नोबेल प्राइज़ अर्जित किया।
ज़रा सोचिये अल्बर्ट आइंस्टाइन ने जिन तरंगों की गवेषणात्मक घोषणा १९१५ में अपने गुरुत्व सम्बन्धी सापेक्षवाद के तहत की उनको टोहने में पूरे सौ बरस लग गए हैं।
न्यूट्रॉन सितारे अपनी गोचर लीला अंतरिक्ष में फुलझड़ियाँ सुलगाकर दिखलाते हैं ऐसा तभी होता है जब वह एक दूसरे के करीब आते हैं। यही इनका मिलन मनाने का अंदाज़ है।
इस दृश्य आतिशबाज़ी को दर्ज़ किया १७ अगस्त २०१७ को अमेरिका की ईस्टर्न टाइम ज़ोन के मुताबिक़ प्रात : आठ बजकर इकतालीस मिनिट पर,उसी जाने पहचाने दोस्त 'लेज़र इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव्ज़ ऑब्ज़र्वेटरी ' ने।
इसे संक्षेप में आप LIGO लाइगो कहिये।
इसके ठीक दो सेकिंड बाद ही अमरीकी अंतरिक्ष संस्था नासा के एक टेलिस्कोप (NASA TELESCOPE) ने ज़ोरदार गामा विस्फोट दर्ज़ किया। वहीँ कहीं था इन गामाकिरणों का सोता भी वहीँ जहां यह अद्भुत घटना दो न्यूट्रॉन सितारों की हुई थी।
पीसा मीनार के लिए विख्यात इटली देश के एक और टोही (Detector )वर्गो (VIRGO )
ने भी इस गामा किरण विस्फोट को न सिर्फ दर्ज़ किया इसका रेखांकन भी किया, बतलाया अंतरिक्ष के कौन से हिस्से से मैराथन दौड़ के बाद कितने युगों बाद ये पृथ्वी तक पहुंची हैं।
(ज़ारी )
विशेष :शेष अगली क़िस्त में पढ़िए
सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ )http://www.npr.org/sections/thetwo-way/2017/10/16/557557544/astronomers-strike-gravitational-gold-in-colliding-neutron-stars?utm_source=npr_newsletter&utm_medium=email&utm_content=20171016&utm_campaign=breakingnews&utm_term=nprnews
पहली मर्तबा विज्ञानियों ने न्यूट्रॉन सितारों की टक्कर की घटना को दर्ज़ किया है। इससे इस रहस्य पर से पर्दा हट सकेगा कि कैसे कुछ ख़ास सितारे अपनी ज़िंदगी के आखिरी चरण में जब वह अपना तमाम ईंधन जला फूंक चुके होते हैं न्यूट्रॉन स्टार बनकर , कभी कभार ब्लेक हॉल भी उत्तारोत्तर भारी तत्व बनाते चले जाते हैं। कैसे इनकी एटमी भट्टी में गोल्ड और उससे भी कीमती प्लेटिनम जैसे तत्व भी बनते हैं।हालांकि बिरले ही ऐसा होता है उससे पहले सुपरनोवा विस्फोट हो लेते हैं।
इसका एक बड़ा श्रेय उन ताराविज्ञानियों को भी जाएगा जिन्होनें ऐसी ही टक्करों से निसृत गुरुत्वीय तरंग टोहक यंत्र बनाके प्रस्तुत किये और इस बरस का नोबेल प्राइज़ अर्जित किया।
ज़रा सोचिये अल्बर्ट आइंस्टाइन ने जिन तरंगों की गवेषणात्मक घोषणा १९१५ में अपने गुरुत्व सम्बन्धी सापेक्षवाद के तहत की उनको टोहने में पूरे सौ बरस लग गए हैं।
न्यूट्रॉन सितारे अपनी गोचर लीला अंतरिक्ष में फुलझड़ियाँ सुलगाकर दिखलाते हैं ऐसा तभी होता है जब वह एक दूसरे के करीब आते हैं। यही इनका मिलन मनाने का अंदाज़ है।
इस दृश्य आतिशबाज़ी को दर्ज़ किया १७ अगस्त २०१७ को अमेरिका की ईस्टर्न टाइम ज़ोन के मुताबिक़ प्रात : आठ बजकर इकतालीस मिनिट पर,उसी जाने पहचाने दोस्त 'लेज़र इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव्ज़ ऑब्ज़र्वेटरी ' ने।
इसे संक्षेप में आप LIGO लाइगो कहिये।
इसके ठीक दो सेकिंड बाद ही अमरीकी अंतरिक्ष संस्था नासा के एक टेलिस्कोप (NASA TELESCOPE) ने ज़ोरदार गामा विस्फोट दर्ज़ किया। वहीँ कहीं था इन गामाकिरणों का सोता भी वहीँ जहां यह अद्भुत घटना दो न्यूट्रॉन सितारों की हुई थी।
पीसा मीनार के लिए विख्यात इटली देश के एक और टोही (Detector )वर्गो (VIRGO )
ने भी इस गामा किरण विस्फोट को न सिर्फ दर्ज़ किया इसका रेखांकन भी किया, बतलाया अंतरिक्ष के कौन से हिस्से से मैराथन दौड़ के बाद कितने युगों बाद ये पृथ्वी तक पहुंची हैं।
(ज़ारी )
विशेष :शेष अगली क़िस्त में पढ़िए
सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ )http://www.npr.org/sections/thetwo-way/2017/10/16/557557544/astronomers-strike-gravitational-gold-in-colliding-neutron-stars?utm_source=npr_newsletter&utm_medium=email&utm_content=20171016&utm_campaign=breakingnews&utm_term=nprnews
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