शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2017

सुदूर अतीत में हुई न्यूट्रॉन -स्टार्स की मुठभेड़ -तीर या तुक्का ?

सुदूर अतीत में हुई न्यूट्रॉन -स्टार्स की मुठभेड़ -तीर या तुक्का ?

कथा न्यूट्रॉन पुराण :अब से कोई तरह करोड़ बरस पहले की बात है दो सितारे पहले जिनका घेरा (व्यास )कोई बारह किलोमीटर रहा होगा प्रेम बंधन में बंध गए। इनमें से प्रत्येक के पास सूर्य से ज्यादा द्रव्य राशि (mass )थी।नर्तन करते चक्राकार गति में ये एक दूसरे के नज़दीक आते गए  और एक दूजे में ही समा गए। इस पारस्परिक मृत्यु के बाद ये ब्लेक होल ( अंतरिक्ष के अंधकूप )बन गए।

पलक झपकते ही इन्हें नयी योनि प्राप्त हुई।इस घटना का प्रसारण गुरुत्वीय तरंगों एवं दृश्य प्रकाश तरंगों (सतरंगी गोचर प्रकाश तरंगों )के मार्फ़त भी हुआ ,जैसे कि मानो - सुर्र -सुर्र करते  अंतरिक्ष के उस भाग में कोई गोला छूटा  हो।धमाके की आवज़ के साथयह विस्फोट संपन्न हुआ। 

  यह घटना उस समय की है जब हमारी पृथ्वी पर भीमकाय डायनासौर (बड़ी -बड़ी छिपकिलयाँ )मौजूद थीं। अभी इनका प्रसारण सुदूर अंतरिक्ष से पृथ्वी की ओर आधा फासला ही तय कर पाया था ,एक धूमकेतु (जटाधारी सितारा )पृथ्वी से टकराया और इन डायनासौरों का बड़े पैमाने पर (लगभग ७५ फीसद )सफाया हो गया। अभी इनके सफर का पांच फीसद बकाया था कि धरती पर मनुष्य -जाति  (होमोसैपियन्स )का प्रादुर्भाव  हुआ।प्रागैतहासिक काल के पार ये मानव कालान्तर   में अधुनातन होता गया ऐसे उपकरण और टोही मशीनें इसने विकसित कर लीं जिनसे ये इस सुदूर अतीत में चले प्रसारण को पकड़ सकता था दर्ज़ कर सकता था। 

अब से कोई सौ बरस पहले इन गुरुत्वीय तरंगों की अपने गुरुत्व सम्बन्धी सापेक्षवाद के तहत आइंस्टाइन महोदय ने गवेषणात्मक घोषणा की थी। यह भी बतलाया था कैसे और क्या असर हो सकता है अंतरिक्षकाल की बुनावट पर ऐसी ही  सुल्तानी आसामनी घटना का। 


लाइगो ,वर्गों गुरत्त्वतरंग टोहियों (gravitational wave detectors ), नासा के  इतर टेलिस्कोपों ने इस प्रसारण का जो अब पृथ्वी पर पहुँच चुका था १७ अगस्त २०१७ को बाकायदा ज़ायज़ा लिया। अमरीका के लुसियाना और वाशिंगटन राज्यों में स्थापित लाइगो टोहकों ने इस प्रसारण  की भनक पड़ते ही दुनिया भर के खगोल विज्ञानियों ,भौतिक शास्त्रियों को खबरदार कर दिया। पृथ्वी और पृथ्वी की कक्षा में तैनात ७० दूरबीनें अब  उस निहारिका पर अपनी आँख गड़ा चुकी थीं जहां यह घटना सुदूर अतीत में घटी थी। 

तेरह करोड़ प्रकाश बरस के फासले पर है यह नीहारिका हम पृथ्वी वासियों से।

प्रकाश बरस अंतरिक्ष की दूरी नापने वाला पैमाना है। इस खबरदारी  का ही नतीजा था अंतरिक्ष में तैनात फर्मी दूरबीन ने गामा -विकिरण भी कैद कर लिया जो इस अप्रत्याशित टक्कर का ही परिणाम था। इस घटना के फ़ौरन बाद घटना स्थल के आसपास न्यूट्रॉन प्रोटानों की बेशुमार बरसात हुई इतना प्राबल्य था इस बौछार में के अंतरिक्ष में न इनके आपस में टकरने से कोई २३ ०० पृथ्वी के तुल्य द्रव्य राशि लिए विशाल मात्रा में तकरीबन दस अपेक्षाकृत भारी तत्व भी बन गए जिनमें लेड से लेकर यूरेनियम भी हैं  ,विज्ञानियों ने अनुमान लगाया है इस घटना में इतना स्वर्ण पैदा हुआ है जिससे २०० पृथ्वियां बन सकतीं हैं और इतना  प्लेटिनम पैदा हुआ ,जिससे ५०० धरतियां खड़ी की जा सकती हैं।
कुदरत के खेल निराले हैं एक अहंकारी रावण था जिसने सोने की लंका खुद नहीं बनाई थी अपने भाई कुबेर से छीन ली थी। विनम्रता सीख लेनी चाहिए हमें  कुदरत  से वह जिसे जब चाहें कंगाल बना दे और जब चाहे माला -माल कर दे। 

विज्ञानियों का अनुमान है मर कर ये न्यूट्रॉन सितारे ब्लेक होल्स ही बने हैं क्योंकि परस्पर जुड़ जाने के बाद न्यूट्रॉन सितारों का भार दो सौर्य -भार (दो सूरज में मौजूद द्रव्य राशि से ज्यादा हो जाता है और न्यूट्रॉन सितारे इतने भार के कभी सर्वाइव नहीं कर  सकते इसलिए बनने वाला नया पिंड एक ब्लेक होल ही रहा है।

विशेष :कालक्रम में अव -परमाणुविक कणों की खोज में इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन के बाद न्यूट्रॉन तीसरा कण रहा है। जो सदैव नाभिक के अंदर ही मिलता है मुक्तावस्था में नहीं। 

मुक्त-अवस्था  में यह न्यूट्रॉन -बम बन के घातक रूख इख्तयार कर लेता है इसकी छेदन क्षमता कुछ मामलों में गामा -विकिरण से भी ज्यादा हो जाती  है ,न्यूट्रॉन बेम में ऐसा ही होता है।जिसके विस्फोटित होने पर न धमाका होता है न किसी को कानों -कान खबर होती है पता तब चलता है जब न्युट्रोन - फ्ल्क्स (न्यूट्रॉन विकिरण की छिपी हुई बौछार) हमारे शरीर को छलनी कर  कोशिका दर कोशिका मारने लगती है।(बहु -चर्चित रहा है रणनीतिक अस्त्र -न्यूट्रॉन बम जिसे काम में लिया जा सकता है जो प्रयोज्य है ).  

न्यूट्रॉन सितारे सुपरनोवा विस्फोटों के अवशेष होते हैं। कुछ भारी सितारे जिनमें ८ -३० सौर -भार (सोलर मॉस )के बराबर द्रव्य राशि होतो है अपने विकास की अंतिम अवस्था में एक भारी विस्फोट के साथ फट जाते हैं।इनका बाहरी खोल पहले तो  बाहर को उड़ जाता है लेकिन फिर रिबाउंड करता है इतना के बचे हुए केंद्र में मौजूद इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन जुड़कर केंद्र की और   काम करते गुरुत्वीय -दाब (गुरुत्वीय कोलेप्स ,gravitational  collapse ) के कारण न्यूट्रॉन बना डालते हैं सितारा तेज़ी से लट्टू  की मानिंद थिरकने लगता है। बस यही न्यूट्रॉन सितारा है। अंतरिक्ष का एक बेहद का मनोरम पिंड है जिसकी लीला आपने देखी  सुनी। 

इसी के बारे में एक मर्तबा आइंस्टाइन ने कहा था -भविष्य में भूला भटका यदि कोई अंतरिक्ष यात्री इन पिंडों के नज़दीक पहुंच गया तो उसकी घड़ी  की सुइयां ठहर के खड़ी हो जाएंगी ,उसके लिए काल का प्रवाह रुक जाएगा। पदार्थ की मौजूदगी अंतरिक्ष को वैसे ही घुमावदार बना देती है जैसे कोई हेवी बाल टेम्पोलिन को करवेचर दे देती है। जितना अधिक पदार्थ होता जाएगा  उसी परिमाण में अंतरिक्ष का घुमाव बढ़ता जाएगा।

चाडविक को जाता है न्यूट्रॉन के अन्वेषण का श्रेय जिसने इसे १९३२ में खोज निकाला। इस अन्वेषण के लिए उन्हें १९३५ का नोबेल पुरूस्कार दिया गया।

रदरफोर्ड ने बतलाया था परमाणु के अंदर बराबर संख्या में इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉनों के अलावा एक विद्युत् - आवेशहीन विद्युत् शून्य कण और होना चाहिए।

देखें सेतु :

http://dev.physicslab.org/Document.aspx?doctype=3&filename=AtomicNuclear_ChadwickNeutron.xml

सन्दर्भ -सामिग्री :

(१ ) https://www.google.com/search?q=colliding+neutron+stars+produce+gold&rlz=1CAACAP_enUS646US647&oq=collisions+of+neutron+stars+ 

(२ )https://spaceflightnow.com/2017/10/17/neutron-star-collision-an-astronomical-gold-mine/

(३ )https://www.cnbc.com/2017/10/16/scientists-discover-neutron-star-collisions-make-gold-other-elements.html

1 टिप्पणी:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

अंतरिक्ष एक पहेली है जो सैंकड़ों राज दबाये हुए है।