शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

जवान बने रहने के लिए व्यायाम ...

उम्र को लगाम लगाने के लिए ,बुढ़ाने की प्रकिर्या को विलंबित रखने के लिए नियमित व्यायाम ज़रूरी है .एक नए अध्धय्यन के मुताबिक़ ,कसरत रोजाना करने की आदत कोशिका स्तर(सेल्युलर लेवल )पर एजिंग से मुकाबला करती है ,दो हाथ करती है ,जूझती है .सार्लेंद विश्व ०विद्यालय के शोध छात्र कहतें हैं -खिलाड़ियों के तेलोमीयार्स उतनी जल्दी छीज्तें घिसकर छोटे नहीं हो पातें हैं लम्बे प्रशिक्षण के दौरान यह देखा जा सकता है .प्रमुख प्रतिरक्षा कोशिकाओं के बारे में यह बात सोलह आने सच है (बिलकुल सही साबित हुई है )।
डी एन ए के विखंडन को रोककर यही तेलोमीयार्स इसे स्थाईत्व प्रदान करतीं हैं .लेकिन उम्र के साथ इन संरक्षी टोपियों की (प्रोटेक्टिव डी एन ए केप्स )की लम्बाई स्वाभाविक तौर पर कम होने लगती है .यानी यह हिफाज़ती टोपियाँ छीजने लगतीं हैं .इस छीज़ं न को ही नियमित कसरत रोके रखने का भरसक प्रयास करती है .कहा गया है :करत करत अभ्यास के जड़ मति होत सुजान ,रसरी आवत जात के सिल पर पडत निशाँ न ।
शोध कर्ताओं ने खिलाड़ियों के दो समूह तथा दो और ऐसे समूह के रक्त नमूने जुटा कर उनके तेलोमीयार्स की जांच की जो स्वस्थ थे और धूम्र -पान भी नहीं करते थे लेकिन कसरत भी नहीं करते थे ।
पता चला जो वर्ग कसरत करता था उसमे एक एंजाइम "तेलोमरेज़ "सक्रीय हो उठा .यही चाबी है तेलोमीयार्स को स्थाई बनाए रखने की ।
पता चला ल्यूकोसाइट्स में भी तेलोमीयार्स की लघु -तर होने की रफ़्तार को भी इस एंजाइम (किण्वक )ने कमतर कर दिया .सफ़ेद रक्त कोशिकाओं को ही ल्यूकोसाइट्स कहा जाता है जो रोगाणु से हमारी हिफाज़त करतीं हैं .

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