रविवार, 3 जनवरी 2010

एक आभासी और गैरहाजिर बल भी है .....

गतिशील चीज़ों (वस्तुओं ,पिंडों ) की आकाश -काल में गति को एक आभासी लेकिन गैरहाजिर बल प्रभावित करता है जिसका सम्बन्ध पृथ्वी की घूर्न्रणगति (रोटेशन )से है .यह एक काल्पनिक बल है जिसे कोरिओलिस फ़ोर्स कहा जाता है ।
कोरिओलिस प्रभाव को हम देख समझ सकतें हैं .मसलन गुलेल से दागा गया कंकर ,भाला फेंक प्रतियोगिता में खिलाड़ी द्वारा फेंका गया भाला (जेवलिन ),पृथ्वी से दागी गई "पृथ्वी -मिज़ाइल "की आकाश काल में त्रेजेक्त्री (डिफ्लेक्शन )पृथ्वी की स्पिन (रोटेशन ,नर्तन ,घूर्न्नन गति )से ही अपना आकाश में मार्ग तय करती है ।
एक फ्रांसीसी गनितज्य(फ्रेंच मेथेमेतिशियाँ)गस्पर्द दे कोरिओलिस (१७९२-१८४३ ) की याद में इसे यह नाम दिया गया है ।
यह कोरिओलिस बल की ही लीला है ,उत्तरी गोलार्द्ध में पवनें दाहिनी ओर तथा दक्षिणी अर्द्ध -गोल में बाएं दिफ्लेक्त (मुड) जातीं हैं .इसे" फेरेल्स ला "भी कहा जाता है .दक्षिणी -पूरबी व्यापारिक पवनों के डिफ्लेक्शन के लिए यही नियम जिम्मेवार है .भारतीय प्रायद्वीप की जीवन रेखा मानसून (साउथ -वेस्ट मानसून )यही ट्रेड -विंड्स हैं .

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