गुरुवार, 28 जनवरी 2010

विकिरण चिकित्सा फायदे और नुक्सानात ?

जानतें हैं आप स्कॉट जेरोमे -पार्क्स की आखिरी इच्छा जो उसने मरने से पहले आम करने के लिए विल के रूप में रखी।
"आम और ख़ास को बतलाया जाए जेरोमे की यह खौफनाक हालत विकिरण चिकित्सा की ओवरडोज़ (गैरज़रूरी अतिरिक्त खुराख) ने की है ,उसे सुनाई देना बंद हो चुका है ,रेडियेशन उसकी श्रवण शक्ति ले उड़ा ,दिखलाई भी उसे ले दे कर ही देता है ,बीनाई भी साथ छोड़ रही है .कुछ भी गले के नीचे उतारना उसके लिए मुमकिन नहीं रह गया है ,उसके मुख और हलख में गहरे ज़ख्म हो चुकें हैं ,गला जैसे जल चुका है ,मितली हर दम आती रहती है .पता लगाया जाए ऐसा क्यों हुआ औरों को इस खोफ्नाक जानलेवा दुःख से बचाया जाए ,आखिर में इसी विकिरण की ओवरडोज़ से उसका दम घुट गया ,मर गया जेरोमे ।"
मरने से पूर्व उसने आखिरी बार क्रिसमस मनाने की इच्छा ज़ाहिर की ,उसके संगी साथी उस सागर तट की दो बाल्टी रेत ले आये ताकि वह पुरानी यादों से बावास्ता हो सके .४३ साल की उम्र में आखिर जेरोमे इस दुनिया को अलविदा कह गया ।
nyuyaark सिटी अस्पताल उसका ज़बान के कैंसर के लिए इलाज़ कर रहा था.लेकिन कंप्यूटर की उस गलती को अस्पताल कर्मी पकड़ नहीं पाए जिसके चलते लिनीयर एक्स्लारेटर ने विकिरण की अतिरिक्त डोज़ से उसका ब्रेन स्टेम खातिग्रस्त कर दिया .विकिरण ने उसका गला जलाकर रख दिया ,दांत जबड़ा छोड़ गए .और ऐसा अतिरिक्त विकिरण की बमबारी तीन दिनों तक होती रही ।
इसके बाद ही ज़ारी हुई सैंट विन्सेंट्स अस्पताल ने जो मेनहटन में स्तिथ है ,विकिरण की ओवर डोज़ के बारे में अतिरिक्त सावधानी बरतने के अनुदेश ज़ारी किये .लिनीइअर एक्स्लारेटर विकिरण (तेज़ तर्रा र ,अति शक्तिशाली विकिरण पुंज )पैदा करता है ।
स्तिथि की विडंबना देखिये ,जिस दिन यह अलर्ट ज़ारी किया गया उसी दिन स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयार्क डाउन स्टेट मेडिकल सेंटर (ब्रूकलिन )में दाखिल ३२ साला ब्रेस्ट कैंसर की एक मरीजा जन -चार्ल्स विकिरण की ज़रुरत से तीन गुना ज्यादा डोज़ फिर उसी गलती के चलते दी गई ।
दोनों की मृत्यु में एक महीने का फासला रहा .दोनों ने विकिरण का खौफ नाक मंजर झेला .बेशक इसी विकिरण ने एक बेहतरीन डायग्नोस्टिक टूल के रूप में दोनों का समय रहते रोग निदान किया लेकिन घातक खुराख ने दोनों की समय से पहले जान भी ले ली ।
इस दौर में अमरीकी विकिरण की गैर ज़रूरी और फालतू खुराख से दो चार हो रहें हैं .रोग निदान (डायग्नोसिस )के लिए प्रयुक्त विकिरण की मात्रा में १९८० के बरक्स अब सात गुना इजाफा हो चुका है .लाइफ टाइम औसत डोज़ बढ़ी है .अब आधे से ज्यादा कैंसर मरीज़ इसी विकिरण चिकित्सा के भरोसे हैं ।
बेशक विकिरण चिकित्सा ने बेशुमार जिंदगियों को बचाया है ,दुर्घटनाए भी आम नहीं हैं (रेडियेशन एक्सिदेंट्स आर रेयर )
लेकिन लोगबाग विकिरण चिकित्सा के नुक्सानात से वाकिफ नहीं हैं .

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