रविवार, 10 जनवरी 2010

रेगिस्तान में भी चींटियाँ अपना बिल (घर )ढूंढ लेती हैं ,कैसे ?

सहारा रेगिस्तान में पाए जाने वाली चींटियों पर जिन्हें "केता ग्लैफिस फोर्टिस "कहा जाता है जर्मनी के साइंस दानों ने कुछ दिलचस्प आज -माइशों (प्रयोगों ,एक्सपेरिमेंट्स )के बाद पता लगा -या है ,रास्ता तलाशने के लिए चींटियाँ जिस नेविगेशन का स्तेमाल करतीं हैं ,उसे "पाथ-इंटीग्रेशन "कहा जाता है ।
इस के अंतर्गत घर से निकलने के बादहर मोड़ से दूरी का जायजा लिया जाता है दूरी नापी जाती है .अपने घरोंदे की याद बनाए रखी जाती है .हर मोड़ से तय की गई दूरी ,हर दिशा में तय की गई दूरी याद रखी जाती है .यही है -"पाथ -इंटीग्रेशन "।
आदमी की बात और है वह बे इरादा भी घूम सकता है ,मटर गस्ती कर सकता है ,कुछ इस तरह :
"कुछ लोग इस तरह जिंदगानी के सफ़र में हैं ,दिन रात चल रहें हैं ,मगर घर के घर में हैं ."

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