सोमवार, 6 जुलाई 2009

थर्ड जेंडर धार्मिक ग्रथों के झरोखे से .

केरला प्रदेश में sअब्रिमाला मन्दिर में "अयप्पा "की पूजा का विधान है .अयप्पा को हरी -हर -पुत्र भी कहा जाता है .वृतांत है :विष्णु ने मोहिनी रूप धारा ,और इस ट्रांस जेंडर रूप -गर्विता पर हर (शिव )मोहित हो गए .एक पुरूष और एक ट्रांसजेंडर पुरूष (मोहिनी रूप धारी विष्णु )के प्रेम -मिलन से "भगवान् अयप्पा "की उत्पत्ति हुई ,तभी से सबरी माला में प्रजनन क्षम महिलाओं का प्रवेश वर्जित है ,ताकि ४० दिन की टाप साधना में कोई रूप गर्विता मोहिनी विघ्न न पैदा करे .महाभारत में "शिखंडी "का वृतान्न्त है (कशी की राज कुमारी ने शिव की अर्चना पूजा से भीष्म से हिसाब किताब चुकता करने के लिए शिखंडी के रूप में( थर्ड जेंडर )दोबारा जनम लिया और "नरो व कुंजरअ "की आड़ लेकर भीष्म का काम तमाम कर दिया .अर्जुन एक साल तक तृतीय प्रकृति में पुंसत्व हिन् रहे ,किन्नर वेश रहे .कौन इनकार कर सकता है .ये सभी उद्धरण इस और इशारा करतें हैं की भारत में तृतीया सेक्स ,ट्रांसजेंडर का उल्लेख रहा है ,धर्म ग्रंथों में ,राधा -कृष्ण के क्रोस रेफ्रेंसिज़ में होमोसेक्स ,इतर सेक्स ,ब्रह्मिनों के लिए वर्जित माना गया है .ऐसा विधान बतलाया गया है .(देखें हिन्दुस्तान टाइम्स ६जुलाइ २००९ .में नारायणी का आलेख ,ख़बरों से इतर ) .कुल मिलाकर धर्म न पक्ष में रहा है ,न विपक्ष में ,चर्च रही है ,बावस्ता रहा है धर्म (हिंदू धर्म )थर्ड जेंडर से .जिससे जो किया जाए ,कर ,ले .

3 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

वीरु भाई जी्राम राम आपका ब्लोग देख कर अपने ब्लोग का भ्रम हो गया अछ्ही जानकारी है आभार्

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

अच्छी जानकारी है। ये टिप्पणीकारों के कर्म पर से वर्ड वेरीफिकेशन का पहरा हटाएँ।

P.N. Subramanian ने कहा…

मोहिनी के रूप में भगवान् विष्णु पूर्ण स्त्री ही थे ट्रांसजेंडर नहीं. हमारे पुराणों में कहीं भी ट्रांसजेंडर के माध्यम से संतानोत्पत्ति की बात नहीं कहीं गयी है. बल्कि हम तो इतने महान हैं की बगैर किसी पुरुष के संसर्ग के ही संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते थे