मंगलवार, 21 जुलाई 2009

तुलसी की पूजा क्यों ?


भारतीय घरों में तुलसी पादप का डेरा रहा है ,आँगन के बीचों बीच,कोर्टयार्ड के आगे या फ़िर पिछवाडे इसका वास होता था एक वेदी में .आज भी ये गमलों में मौजूद है .सुबह शाम स्तुति के बाद दिया जलाया जाता है तुलसी को अर्पित .आराध्य देव का प्रसाद बनता है तुलसी का पावनपत्ता .दक्षिण भारत में देवता को chadhaaya jata hai तुलसी का पौधा ,ये अकेला ऐसा पादप है जो पुनर प्रयोज्य है ,स्वयं शुद्ध हो जाता है .भागवानvइष्णु और उनके अवतार रूपों को अर्पित किया जाता है तुलसी का पौधा .जो अतुलनीय है ,वह तुलसी है .(तुलना नास्ति अथेवा तुलसी ).किम्वदंती है ,कथा है :तुलसी चंद्रचूड की पत्नी थी ,नटखट कृष्ण ने इन्हें अपने मोहपाश में आबद्ध करना चाहाथा ,इन्होने कुपित हो लोर्ड कृष्ण को शाप दिया "शालिग्राम "बन जाने का .तभी से कृष्ण का एक रूप शालिग्राम भी है जिसकी पूजा होती है .कृष्ण तुलसी के सदाचरण और मर्यादा से आप्लावित हो उठे ,आशीष दिया ,तुलसी को एक स्तुत्य पादप हो जाने का ,आज कोई भी पूजा अर्चना तुलसी के बिना संपन्न नहीं होती ,अधूरी समझीं जाती है .ऐसा है तुलसी का महातम्य .लक्ष्मी रूपा है तुलसी ,विष्णु जी की संगिनी .बाकायदा लोग विधि विधान से तुलसी का विवाह रचातें हैं .परमेश्वर के आशीष से तुलसी को ये स्थान प्राप्त हुआ .एक और रोचक वृतांत है ,तुलसी के सन्दर्भ में :एक बार सत्य भामा ने भगवान् कृष्ण को अपनी धन सम्पदा से तौलने की चेस्थ्था की ,साडी दौलत चढ़ गई ,पलडा कृष्ण की और झुका रहा ,तब रुकमनी ने भक्ति भावः से तुलसी का एक पत्ता दौलत वाले पलडे में रख दिया .दोनों और का भार बराबर हो गया .सत्य भामा की साड़ी दौलत एक तरफ़ और तुलसी का एक पत्ता एक तरफ़ .भक्ति भावः से अर्पित तुच्छ से तुच्छ चीज़ बेमिसाल बन जाती है ,सवाल छोटे बड़े का नहीं है ,भावः का है .आज तुलसी का औषधीय पादप कामन कोल्ड से लेकर एच आई वि एड्स तक की दावा बनाहुआ है .बहुविध उपयोगी है तुलसी का बिरवा .दुर्भाग्य देश का ,आज की स्तिथि देखिये :तुलसी के पत्ते सुखें हैं ,और केक्टस आज हरे हैं ,आज राम को भूख लगी है ,रावन के भण्डार भरें हैं ।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

आपने बहुत सही लिखा है. हम अपनी संस्कृति को भूल चुके हैं . जबकि हमारी संस्कृति का हरेक आयाम वैज्ञानिक है , तुलसी एक औषधि है तथा हरेक घर में होना यानि आपके घर में एक औषधि...