आज लोग यही समझते हैं ,इलेक्ट्रॉन (लैप्टॉन परिवार )वास्तव में द्रव्य की मूलभूत कणिकायें ही हैं जो किन्हीं और बुनियादी कणों से नहीं निर्मित हुईं हैं। कल क्या हो इसका कोई निश्चय नहीं है। प्रोटोन के बुनियादी कण होने पर सवाल उठ ही चुका है।प्रोटोन्स तो क्वार्क्स हैं (क्वार्क्स की निर्मिति हैं इनका मटीरियल काज ,नैमित्तिक कारण क्वार्क्स हैं। यही हाल इसके सहोदर (न्यूक्लिस में इसके साथी )न्यूट्रॉन का है। न्यूट्रॉन और प्रोटोन क्वार्क्स ही हैं।अलबत्ता इलेक्ट्रॉन बुनियादी है लेपटोन परिवार का सदस्य है जिसके पांच सदस्य और हैं। लेप्टोज़ का मतलब होता है लाइटर देन न्यूक्लिओन्स (न्यूट्रॉन और प्रोटोन से हलके ).
दोहरा दें: प्रोटोन कुआरकों या क्वार्क्स (Quarks )की निर्मिति हैं जो दो "अप"तथा एक "डाउन" क्वार्कों का संगठ्ठ हैं प्रोटोन , बुनियादी नहीं हैं न ही न्यूट्रॉन बुनियादी हैं।
बुनियादी सिर्फ संख्या में छः लेपटोन कण हैं।और इतने ही यानी छः ही क्वार्क। कुल मिलाकर इन बारह कणों से ही सृष्टि बनी है।
चार किस्म के प्राकृत बल सृष्टि में कार्य करते हैं जिनसे संगत एक -एक फील्ड पार्टिकल रहता है।
"बोसॉन" -शेष सभी कणों का कथित भगवान ,एक फील्ड पार्टिकिल ही है जो समझा जाता है कि शेष सभी द्रव्यमान युक्त कणों को द्रव्य की राशि उनका द्रव्यमान मुहैया करवाता है।अंतरिक्ष का वह हर भाग जो खाली है ऊर्जा - पदार्थ से वहां -वहां ये भगवान् है कण -देवता है।
पूरब कहता है कण -कण में भगवान हैं आज कण -भौतिकी ,विज्ञान कह रहा है सृष्टि में मौजूद सब कणों का एक ही भगवान् है -God Of All Particles .इसके होने की पुख्ता पुष्टि होना अभी बाकी है अलबत्ता कयास लगा लिए गए हैं नतीजे भरोसे मंद अभी तक नहीं निकले हैं। ९५ फीसद ही प्रायिकता है संभावना है इसके वहां होने की जहां अभी तक इसे ढूंढा गया है (फ्रांस और स्विट्ज़रलेंड की सीमा पर फ्रांस के एक छोटे से गाँव में )वह भी एक सुरंग के भीतर जहां कॉस्मिक रेडिएशन से यह बचा रहे ।वह रे भगवान तेरा भी बचाव करना पड़ता है।
बोसॉन -टोही प्रयोगों में दो विपरीत दिशाओं से प्रोटानों को प्रकाश की चाल के ९० फीसद करीब लाके एक सर्कुलर व्यवस्था के तहत जो इन कणों को वेगवान बनाती है (पार्टिकली एक्सलरेटर )से दागा गया ,इसके टुकड़े -टुकड़े इस जोरदार टक्कड़ के बाद मिले इन अवशेषों में ही यहीं कहीं ये भगवान हो सकते हैं शेष कणों के।
इस कण - देवता का सुराग मिले तो पता यह भी चले सृष्टि में कितना डार्क -मेटर और डार्क एनर्जी है कितना कुल द्रव्य राशि (Mass of the universe )है।
न्यूट्रॉन और प्रोटोन का तो ये हाल है कि परमाणु के केंद्र में इनकी परस्पर अदला बदली होती रहती है। माइकल जैक्शन की तरह इनका लिंग परिवर्तन होता रहता है। प्रोटोन कभी अपना आवेश खोकर न्यूट्रॉन बन जाता है तो न्यूट्रॉन आवेशित प्रोटोन।
न्यूट्रॉन भी तीन क्वार्कों से बनें हैं दो 'डाउन 'और एक "अप ".
जी हाँ कथित बुनियादी कणों के नाम और धाम ,थां -ठौर और लीला निराली ही है इसलिए नाम भी देख लीजिए क्वार्कों के -'अप' ,'डाउन' (स्ट्रेंज ,चार्म ,ब्यूटी वगैरह -वगैरह ).
अप-क्वार्क पर +२/३ इलेक्ट्रॉनी चार्ज के तुल्य चार्ज होता है यानी ये आवेशित कण हैं। जबकि डाउन पर (-१/३ इलेक्त्रोनी चार्ज जितना आवेश रहता है। कुल योग हो गया :प्रोटोन के लिए :
(२/३ +२/३ -१/३ )=१ - इकाई इलेक्ट्रॉन आवेश ,
इलेक्ट्रॉन पर जितना धनात्मक आवेश रहता है १ -यूनिट उतना ही प्रोटोन पर धनात्मक आवेश रहता है।तभी तो परमाणु सामन्य स्थिति में आवेश रहित रहता है।क्योंकि इसमें सामान्य अवस्था में जितने प्रोटोन रहते हैं उतने ही इलेक्ट्रॉन भी जितना ऋण आवेश होता है उतना ही धन आवेश।
न्यूट्रॉन आवेश - हीन होने से दो डाउन और एक अप क्वार्क का योग है यानी (+२/३ -१/३ -१/३ )=० (शून्य आवेश यानी कोई आवेश नहीं है न्यूट्रॉन पर ) .
वास्तव में द्रव्य की उस कणिका को मूलभूत या बुनियादी कण कहा जा सकता है जो अपने से और ज्यादा बुनियादी कण या कणों का जमा जोड़ न हो आगे जिसमें कोई संरचना न होवें।आज हालत यह है जिन्हें हम द्रव्य के बुनियादी कण या मूलभूत कण (Fundamental Particles Of Matter )माने समझे हुए हैं उनमें में से कई इतने अल्पकालिक और क्षणभंगुर हैं जैसे असेम्ब्ली लाइन से निकल नै नवेली कोई कार अपने ट्रायल -रन के दौरान ही फैक्ट्री के गेट पर ही टुकड़ा -टुकड़ा होकर बिखर जाए। और इनके होने उंगलियों के निशाँ भी पार्टिकिल टोही युक्तियों (Particle Detectors )को मिलते भी हैं तो बिखरे -बिखरे ,आधे -अधूरे। बस उनसे ही कयास -अनुमान लगाए जाते हैं इनके 'होने' के।
इस पैमाने पर केवल क्वार्क्स और लेपटोन परिवार के सदस्य ही बुनियादी समझे गये हैं। जो "कण -देव"कथित गॉड -पार्टिकिल द्रव्य को उसका द्रव्यमान मुहैया करवाता है कणों को उनका भार ,सृष्टि को उसका अस्तित्व (होना )फिलवक्त उसके बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। ईश्वर की तरह ही अचिन्त्य बना हुआ है ,अवधारणा तक ही सीमा -बद्ध बना हुआ है। योरपीय न्यूक्लिअर रिसर्च सेंटर के अब तक के परीक्षण और उनसे निकाले गये निष्कर्ष अभी तक अनुमान-गुमान ही बने हुए हैं।
समझा जाता है लेप्टोनों और क्वार्कों को परस्पर जोड़े रखने वाले बिखरने से बचाये रखने वाले कण बोसॉन भी हैं। यानी तीन परिवार हो गए बुनियादी कणों के। बल के वाहक कणों का एक परिवार और दो परिवार लेपटोन और क़्वार्क्स के. बल के वाहक कण ही हैं बोसॉन। हिग्स बोसॉन या गॉड का दर्ज़ा पाए बोसॉन की चर्चा संकेत रूप में हम ऊपर कर आयें हैं जो सभी द्रव्य -मान वाले कणों को उनका ये बुनियादी गुण द्व्यमान मुहैया करवाता है। । आकाश -पाताल एक कर रखा है कण -भौतिकी के माहिरों ने लेकिन इनके पगचिन्ह होने के निशाँ अभी तक नदारद हैं इनका कोई सुराग फुराग नहीं मिल सका है अभी तक ,कयास भर हैं।
अलबत्ता इस्ट्रॉन्ग न्यूक्लिअर फ़ोर्स (शक्तिवान बल के वाहक बोसॉन को ग्लुआन कहा गया है। ).
न्यूक्लियस के अंदर न्यूट्रॉन -प्रोटोन जोड़ीदार इसी शक्तिशाली बल के वाहक ग्लुओन के परस्पर क्वार्कों के बीच होने वाले आदान प्रदान का परिणाम बने रहते हैं।
गुरुत्वीय बल के वाहक ग्रेविटोन कहे गए हैं जो आदिनांक पकड़ में न आये हैं।अवधारणा में ही बने सिमटे हुए हैं।
कुलमिलाकर कुदरत में चार प्रकार के प्राकृत बल पाए गयें हैं :
(१ )स्ट्रॉंग न्यूक्लिअर फ़ोर्स (शक्तिशाली नाभिकीय बल ):शार्ट रेंज यानी कम परास कम दूरी तक अपना असर दिखाता है यह बल नाभिक के अंदर -ही अंदर क्वार्कों पर पड़ता है उन्हें ही असरग्रस्त करता है। आखिर नाभकीय कण न्यूट्रॉन और प्रोटोन के अवयव ही तो हैं क्वार्क। ग्लुओन बनते हैं इस बल के वाहक।फील्ड पार्टिकिल कह सकते हैं आप इसे।
(२)वीक -न्युक्लीअर फ़ोर्स (कमज़ोर नाभिकीय बल ):यह कमज़ोर बल लेप्टानों और क्वार्कों के बीच कार्य करता है और इसकी सीमा भी न्युकिअस के अंदर-अंदर ही सिमटी रहती है। दो किस्म के बोसॉन (w -boson और z-boson )बनते हैं इस बल के वाहक।
(३ )इलेक्ट्रोमेग्नेटिक फ़ोर्स (विद्युतचुंबकीय बल ):यह बल लेप्टानों और क्वार्कों के बीच सभी दूरियों तक पड़ता है। फोटोन बनते हैं इस बल के वाहक। फोटोन प्रकाश का क्वांटम है यानी प्रकाश की सबसे छोटी इकाई जिसका और आगे विभाजन नहीं है। द्रव्यमान शून्य होता है प्रकाश का यह सबसे नन्ना कण। और इसीलिए सबसे द्रुत बना रहता है।
(४) गुरुत्वीय बल (फ़ोर्स आफ ग्रेविटी ):यह भी लेप्टानों और क्वार्कों के बीच ही पड़ता है लेकिन सभी दूरियों तक काम करता है ,वास्तव में इसका असर अनंत तक पड़ता है। अभिकल्पित कण ग्रेविटन बनते हैं इस बल के वाहक।
एक मोटा नियम यह है जितना अधिक ताकतवर बल उतनी ही कमतर उसकी एक्शन -रेंज यानी परास .
stronger the force shorter its range of action .
गुरुत्व बल सबसे कमज़ोर बल है (माइक्रोस्कोपिक लेवल पर )अलबत्ता मैक्रो -लेवल पर तमाम नीहारिकाओं ,अंतरिक्ष के तमाम मनोरम पिण्डों का सम्मिलित प्रभाव पूरी सृष्टि को चलायमान रखे है। इस स्तर पर यह सबसे शक्तिशाली बल हो उठता है ) इसीलिए इसका असर अनंत दूरी तक पड़ता है इसीलिए न्यूटन ने कहा था -
when you a raise a finger the gravitaional balance of the universe is disturbed .
जो हो सब कुछ माया की तरह बना हुआ है जिसे धर्म शास्त्र और दर्शन अनिवर्चनीय कहता है ,जो है भी नहीं भी है और दोनों ही नहीं है। "सो माया "-यानी जो होवे न लेकिन प्रतीत हो जिसके होने की ।
ये सृष्टि ऐसी ही है जो बारहा बनती है बार -बार बिगड़ती है फिर बनती है एक कालावधि के बाद। ऐसे में किसी चीज़ के बुनियादी होने का प्रश्न ही कहाँ पैदा होता है।
पुनरपि जन्मम ,पुनरपि मरणम ,
पुनरपि जठरे जननी शयनम।
शीर्षक :द्रव्य के बुनियादी कणों का माया -संसार
विशेष :(१ )द्रव्य के प्रत्येक बुनियादी कण परिवार के लिए या उससे संगत एक क्षेत्र या फील्ड होता है मसलन इलेक्ट्रॉनों के लिए एक इलेक्ट्रॉन फील्ड होता है जिसका क्वांटा (यह बहुवचन होता है क्वांटम का )या एनर्जी पेकिट इलेक्ट्रॉन ही होता है अखंडनीय है यह कण। विद्युतचुंबकीय क्षेत्र के लिए क्वांटा फोटोन होते हैं (प्रकाशऊर्जा का एक पेकिट ),विद्युतचुंबकीय ,कमज़ोर और शक्तिशाली बलों के लिए वाहक क्वांटा गेज बोसॉन होते हैं।
(१)There is one kind of field for every type of elementary particle. For instance, there is an electron field whose quanta are electrons, and an electromagnetic field whose quanta are photons. The force carrier particles that mediate the electromagnetic, weak, and strong interactions are called gauge bosons.
(२ )हिग्स बोसॉन को गॉड पार्टिकल नवाज़े जाना पीटर हिग्स समेत कई भौतिकी के माहिरों को रास नहीं आया है। इसे उन्होंने टीआरपी भूख से ग्रस्त इलेक्त्रोनी मीडिआ की सनसनी फैलाना बतलाया है। पार्टिकिल फ़िज़िक्स के स्टेंडर्ड मॉडल में हिग्स बोसॉन अनावेशित शून्य आवेश या शून्य कलर ,शून्य घूर्णन नर्तन या स्पिन वाला कण है। यहां कलर का वास्तव में रंग से कुछ लेना देना नहीं है।
संदर्भ -साणिग्री :
(१ )https://www.google.com/search?q=Fundamental+Particles+of+matter+%2Care+they+really+fundamental&rlz=1CAACAP_enUS646US647&oq=Fundament
(२) https://www.ck12.org/c/physical-science/fundamental-particles/lesson/Fundamental-Particles-MS-PS/
(३ )http://www.ibtl.in/video/6425/discovery-of-higgs-boson-god-particle-ibtl-exclusive-interview-with-dr-meenakshi-narain/
(४)https://www.theguardian.com/commentisfree/2012/jul/03/higgs-boson-western-science
(५ )http://atheistnexus.org/group/originsuniverselifehumankindanddarwin/forum/topics/is-the-god-particle-a-myth-stephen-hawkings-bet-against-it-s
(६)https://books.google.com/books?id=A6IlBAAAQBAJ&pg=PT68&lpg=PT68&dq=God+particle+myth+or+reality&source=bl&ots=k2_GaQtrUC&sig=1Mh2
(७ )https://en.wikipedia.org/wiki/Fundamental_interaction
(८ )https://www.britannica.com/science/fundamental-interaction
(९ )http://www.quantumdiaries.org/2014/03/14/the-standard-model-a-beautiful-but-flawed-theory/
शीर्षक :द्रव्य के बुनियादी कणों का माया -संसार
दोहरा दें: प्रोटोन कुआरकों या क्वार्क्स (Quarks )की निर्मिति हैं जो दो "अप"तथा एक "डाउन" क्वार्कों का संगठ्ठ हैं प्रोटोन , बुनियादी नहीं हैं न ही न्यूट्रॉन बुनियादी हैं।
बुनियादी सिर्फ संख्या में छः लेपटोन कण हैं।और इतने ही यानी छः ही क्वार्क। कुल मिलाकर इन बारह कणों से ही सृष्टि बनी है।
चार किस्म के प्राकृत बल सृष्टि में कार्य करते हैं जिनसे संगत एक -एक फील्ड पार्टिकल रहता है।
"बोसॉन" -शेष सभी कणों का कथित भगवान ,एक फील्ड पार्टिकिल ही है जो समझा जाता है कि शेष सभी द्रव्यमान युक्त कणों को द्रव्य की राशि उनका द्रव्यमान मुहैया करवाता है।अंतरिक्ष का वह हर भाग जो खाली है ऊर्जा - पदार्थ से वहां -वहां ये भगवान् है कण -देवता है।
पूरब कहता है कण -कण में भगवान हैं आज कण -भौतिकी ,विज्ञान कह रहा है सृष्टि में मौजूद सब कणों का एक ही भगवान् है -God Of All Particles .इसके होने की पुख्ता पुष्टि होना अभी बाकी है अलबत्ता कयास लगा लिए गए हैं नतीजे भरोसे मंद अभी तक नहीं निकले हैं। ९५ फीसद ही प्रायिकता है संभावना है इसके वहां होने की जहां अभी तक इसे ढूंढा गया है (फ्रांस और स्विट्ज़रलेंड की सीमा पर फ्रांस के एक छोटे से गाँव में )वह भी एक सुरंग के भीतर जहां कॉस्मिक रेडिएशन से यह बचा रहे ।वह रे भगवान तेरा भी बचाव करना पड़ता है।
बोसॉन -टोही प्रयोगों में दो विपरीत दिशाओं से प्रोटानों को प्रकाश की चाल के ९० फीसद करीब लाके एक सर्कुलर व्यवस्था के तहत जो इन कणों को वेगवान बनाती है (पार्टिकली एक्सलरेटर )से दागा गया ,इसके टुकड़े -टुकड़े इस जोरदार टक्कड़ के बाद मिले इन अवशेषों में ही यहीं कहीं ये भगवान हो सकते हैं शेष कणों के।
इस कण - देवता का सुराग मिले तो पता यह भी चले सृष्टि में कितना डार्क -मेटर और डार्क एनर्जी है कितना कुल द्रव्य राशि (Mass of the universe )है।
न्यूट्रॉन और प्रोटोन का तो ये हाल है कि परमाणु के केंद्र में इनकी परस्पर अदला बदली होती रहती है। माइकल जैक्शन की तरह इनका लिंग परिवर्तन होता रहता है। प्रोटोन कभी अपना आवेश खोकर न्यूट्रॉन बन जाता है तो न्यूट्रॉन आवेशित प्रोटोन।
न्यूट्रॉन भी तीन क्वार्कों से बनें हैं दो 'डाउन 'और एक "अप ".
जी हाँ कथित बुनियादी कणों के नाम और धाम ,थां -ठौर और लीला निराली ही है इसलिए नाम भी देख लीजिए क्वार्कों के -'अप' ,'डाउन' (स्ट्रेंज ,चार्म ,ब्यूटी वगैरह -वगैरह ).
अप-क्वार्क पर +२/३ इलेक्ट्रॉनी चार्ज के तुल्य चार्ज होता है यानी ये आवेशित कण हैं। जबकि डाउन पर (-१/३ इलेक्त्रोनी चार्ज जितना आवेश रहता है। कुल योग हो गया :प्रोटोन के लिए :
(२/३ +२/३ -१/३ )=१ - इकाई इलेक्ट्रॉन आवेश ,
इलेक्ट्रॉन पर जितना धनात्मक आवेश रहता है १ -यूनिट उतना ही प्रोटोन पर धनात्मक आवेश रहता है।तभी तो परमाणु सामन्य स्थिति में आवेश रहित रहता है।क्योंकि इसमें सामान्य अवस्था में जितने प्रोटोन रहते हैं उतने ही इलेक्ट्रॉन भी जितना ऋण आवेश होता है उतना ही धन आवेश।
न्यूट्रॉन आवेश - हीन होने से दो डाउन और एक अप क्वार्क का योग है यानी (+२/३ -१/३ -१/३ )=० (शून्य आवेश यानी कोई आवेश नहीं है न्यूट्रॉन पर ) .
वास्तव में द्रव्य की उस कणिका को मूलभूत या बुनियादी कण कहा जा सकता है जो अपने से और ज्यादा बुनियादी कण या कणों का जमा जोड़ न हो आगे जिसमें कोई संरचना न होवें।आज हालत यह है जिन्हें हम द्रव्य के बुनियादी कण या मूलभूत कण (Fundamental Particles Of Matter )माने समझे हुए हैं उनमें में से कई इतने अल्पकालिक और क्षणभंगुर हैं जैसे असेम्ब्ली लाइन से निकल नै नवेली कोई कार अपने ट्रायल -रन के दौरान ही फैक्ट्री के गेट पर ही टुकड़ा -टुकड़ा होकर बिखर जाए। और इनके होने उंगलियों के निशाँ भी पार्टिकिल टोही युक्तियों (Particle Detectors )को मिलते भी हैं तो बिखरे -बिखरे ,आधे -अधूरे। बस उनसे ही कयास -अनुमान लगाए जाते हैं इनके 'होने' के।
इस पैमाने पर केवल क्वार्क्स और लेपटोन परिवार के सदस्य ही बुनियादी समझे गये हैं। जो "कण -देव"कथित गॉड -पार्टिकिल द्रव्य को उसका द्रव्यमान मुहैया करवाता है कणों को उनका भार ,सृष्टि को उसका अस्तित्व (होना )फिलवक्त उसके बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। ईश्वर की तरह ही अचिन्त्य बना हुआ है ,अवधारणा तक ही सीमा -बद्ध बना हुआ है। योरपीय न्यूक्लिअर रिसर्च सेंटर के अब तक के परीक्षण और उनसे निकाले गये निष्कर्ष अभी तक अनुमान-गुमान ही बने हुए हैं।
समझा जाता है लेप्टोनों और क्वार्कों को परस्पर जोड़े रखने वाले बिखरने से बचाये रखने वाले कण बोसॉन भी हैं। यानी तीन परिवार हो गए बुनियादी कणों के। बल के वाहक कणों का एक परिवार और दो परिवार लेपटोन और क़्वार्क्स के. बल के वाहक कण ही हैं बोसॉन। हिग्स बोसॉन या गॉड का दर्ज़ा पाए बोसॉन की चर्चा संकेत रूप में हम ऊपर कर आयें हैं जो सभी द्रव्य -मान वाले कणों को उनका ये बुनियादी गुण द्व्यमान मुहैया करवाता है। । आकाश -पाताल एक कर रखा है कण -भौतिकी के माहिरों ने लेकिन इनके पगचिन्ह होने के निशाँ अभी तक नदारद हैं इनका कोई सुराग फुराग नहीं मिल सका है अभी तक ,कयास भर हैं।
अलबत्ता इस्ट्रॉन्ग न्यूक्लिअर फ़ोर्स (शक्तिवान बल के वाहक बोसॉन को ग्लुआन कहा गया है। ).
न्यूक्लियस के अंदर न्यूट्रॉन -प्रोटोन जोड़ीदार इसी शक्तिशाली बल के वाहक ग्लुओन के परस्पर क्वार्कों के बीच होने वाले आदान प्रदान का परिणाम बने रहते हैं।
गुरुत्वीय बल के वाहक ग्रेविटोन कहे गए हैं जो आदिनांक पकड़ में न आये हैं।अवधारणा में ही बने सिमटे हुए हैं।
कुलमिलाकर कुदरत में चार प्रकार के प्राकृत बल पाए गयें हैं :
(१ )स्ट्रॉंग न्यूक्लिअर फ़ोर्स (शक्तिशाली नाभिकीय बल ):शार्ट रेंज यानी कम परास कम दूरी तक अपना असर दिखाता है यह बल नाभिक के अंदर -ही अंदर क्वार्कों पर पड़ता है उन्हें ही असरग्रस्त करता है। आखिर नाभकीय कण न्यूट्रॉन और प्रोटोन के अवयव ही तो हैं क्वार्क। ग्लुओन बनते हैं इस बल के वाहक।फील्ड पार्टिकिल कह सकते हैं आप इसे।
(२)वीक -न्युक्लीअर फ़ोर्स (कमज़ोर नाभिकीय बल ):यह कमज़ोर बल लेप्टानों और क्वार्कों के बीच कार्य करता है और इसकी सीमा भी न्युकिअस के अंदर-अंदर ही सिमटी रहती है। दो किस्म के बोसॉन (w -boson और z-boson )बनते हैं इस बल के वाहक।
(३ )इलेक्ट्रोमेग्नेटिक फ़ोर्स (विद्युतचुंबकीय बल ):यह बल लेप्टानों और क्वार्कों के बीच सभी दूरियों तक पड़ता है। फोटोन बनते हैं इस बल के वाहक। फोटोन प्रकाश का क्वांटम है यानी प्रकाश की सबसे छोटी इकाई जिसका और आगे विभाजन नहीं है। द्रव्यमान शून्य होता है प्रकाश का यह सबसे नन्ना कण। और इसीलिए सबसे द्रुत बना रहता है।
(४) गुरुत्वीय बल (फ़ोर्स आफ ग्रेविटी ):यह भी लेप्टानों और क्वार्कों के बीच ही पड़ता है लेकिन सभी दूरियों तक काम करता है ,वास्तव में इसका असर अनंत तक पड़ता है। अभिकल्पित कण ग्रेविटन बनते हैं इस बल के वाहक।
एक मोटा नियम यह है जितना अधिक ताकतवर बल उतनी ही कमतर उसकी एक्शन -रेंज यानी परास .
stronger the force shorter its range of action .
गुरुत्व बल सबसे कमज़ोर बल है (माइक्रोस्कोपिक लेवल पर )अलबत्ता मैक्रो -लेवल पर तमाम नीहारिकाओं ,अंतरिक्ष के तमाम मनोरम पिण्डों का सम्मिलित प्रभाव पूरी सृष्टि को चलायमान रखे है। इस स्तर पर यह सबसे शक्तिशाली बल हो उठता है ) इसीलिए इसका असर अनंत दूरी तक पड़ता है इसीलिए न्यूटन ने कहा था -
when you a raise a finger the gravitaional balance of the universe is disturbed .
जो हो सब कुछ माया की तरह बना हुआ है जिसे धर्म शास्त्र और दर्शन अनिवर्चनीय कहता है ,जो है भी नहीं भी है और दोनों ही नहीं है। "सो माया "-यानी जो होवे न लेकिन प्रतीत हो जिसके होने की ।
ये सृष्टि ऐसी ही है जो बारहा बनती है बार -बार बिगड़ती है फिर बनती है एक कालावधि के बाद। ऐसे में किसी चीज़ के बुनियादी होने का प्रश्न ही कहाँ पैदा होता है।
पुनरपि जन्मम ,पुनरपि मरणम ,
पुनरपि जठरे जननी शयनम।
शीर्षक :द्रव्य के बुनियादी कणों का माया -संसार
विशेष :(१ )द्रव्य के प्रत्येक बुनियादी कण परिवार के लिए या उससे संगत एक क्षेत्र या फील्ड होता है मसलन इलेक्ट्रॉनों के लिए एक इलेक्ट्रॉन फील्ड होता है जिसका क्वांटा (यह बहुवचन होता है क्वांटम का )या एनर्जी पेकिट इलेक्ट्रॉन ही होता है अखंडनीय है यह कण। विद्युतचुंबकीय क्षेत्र के लिए क्वांटा फोटोन होते हैं (प्रकाशऊर्जा का एक पेकिट ),विद्युतचुंबकीय ,कमज़ोर और शक्तिशाली बलों के लिए वाहक क्वांटा गेज बोसॉन होते हैं।
(१)There is one kind of field for every type of elementary particle. For instance, there is an electron field whose quanta are electrons, and an electromagnetic field whose quanta are photons. The force carrier particles that mediate the electromagnetic, weak, and strong interactions are called gauge bosons.
(२ )हिग्स बोसॉन को गॉड पार्टिकल नवाज़े जाना पीटर हिग्स समेत कई भौतिकी के माहिरों को रास नहीं आया है। इसे उन्होंने टीआरपी भूख से ग्रस्त इलेक्त्रोनी मीडिआ की सनसनी फैलाना बतलाया है। पार्टिकिल फ़िज़िक्स के स्टेंडर्ड मॉडल में हिग्स बोसॉन अनावेशित शून्य आवेश या शून्य कलर ,शून्य घूर्णन नर्तन या स्पिन वाला कण है। यहां कलर का वास्तव में रंग से कुछ लेना देना नहीं है।
संदर्भ -साणिग्री :
(१ )https://www.google.com/search?q=Fundamental+Particles+of+matter+%2Care+they+really+fundamental&rlz=1CAACAP_enUS646US647&oq=Fundament
(२) https://www.ck12.org/c/physical-science/fundamental-particles/lesson/Fundamental-Particles-MS-PS/
(३ )http://www.ibtl.in/video/6425/discovery-of-higgs-boson-god-particle-ibtl-exclusive-interview-with-dr-meenakshi-narain/
(४)https://www.theguardian.com/commentisfree/2012/jul/03/higgs-boson-western-science
(५ )http://atheistnexus.org/group/originsuniverselifehumankindanddarwin/forum/topics/is-the-god-particle-a-myth-stephen-hawkings-bet-against-it-s
(६)https://books.google.com/books?id=A6IlBAAAQBAJ&pg=PT68&lpg=PT68&dq=God+particle+myth+or+reality&source=bl&ots=k2_GaQtrUC&sig=1Mh2
(७ )https://en.wikipedia.org/wiki/Fundamental_interaction
(८ )https://www.britannica.com/science/fundamental-interaction
(९ )http://www.quantumdiaries.org/2014/03/14/the-standard-model-a-beautiful-but-flawed-theory/
शीर्षक :द्रव्य के बुनियादी कणों का माया -संसार
1 टिप्पणी:
पता नहीं कितना और टूटेंगे, ये कण।
एक टिप्पणी भेजें