सोमवार, 30 अक्तूबर 2017

क्षमा बड़ेन को चाहिए, छोटन को उत्पात , का रहीम हरि को घटो, जो भृगु मारी लात।

क्षमा शील व्यक्ति ही अपने कर्म-दहन कर पाता है 

क्षमा बड़ेन को चाहिए, छोटन को उत्पात ,

का रहीम हरि को घटो, जो भृगु मारी लात।

क्षमा धीर पुरुष ही नहीं बलशाली का भी आभूषण है। क्षमाशीलता आपको स्वतंत्र करती है ,उस अतीत से जिसमें कईओं की बदसुलूकी आपके अवचेतन में आज भी जगह बनाये हुए है। आपके वर्तमान को आपकी सेहत को असरग्रस्त कर रही है। आपको आगे बढ़ने से रोक रही है।

क्षमा करके आप खुद पर एहसान करेंगे किसी और पर नहीं। वह या वे तमाम लोग जिन्होंने कभी आपकी भावनाओं को आहत किया है उन्हें आपके दर्द का पता ही नहीं है।

दर्द उनको भी है ,इसका इल्म आपको तब तक नहीं होगा जब तक आप उन तमाम लोगों को मुआफ नहीं करेंगे। कई सोल हीलर (आत्म -तत्व -हीलर ) आजकल सुबह उठकर ये प्रार्थना की तरह पाठ करते हैं :

मैं अपने तथा अपने उन तमाम पूर्वजों की तरफ से उन सबसे क्षमा माँगता हूँ जिनका हमनें कभी दिल दुखाया है। साथ ही हम उन तमाम लोगों को मुआफ करते हैं जिन्होंने जाने अनजाने या फिर अदबदाकर भी हमारे दिल को दुखाया है। आप भी ऐसा करके देखिये नित्यप्रति एक विशेष ऊर्जा आपके अंदर  प्रवाहित  होने लगेगी -ऊर्जा-ए -सुकून।

कोई भी अपराध संगी साथियों का दुर्व्यवहार ,दगा -बाज़ी आपके अपने जीवन से बड़ी नहीं है। मनुष्य का दिमाग एक साथ दो काम करता है कुछ नया सीखने के साथ -साथ उसे भूलता भी जाता है। इसीलिए एक ही काम को बार -बार दोहराना पड़ता है। शिक्षक अपना सबक क्लास में जाने से पहले लेसन हर बार ही  तैयार करता है चाहे बरसों बरस से पढ़ा रहा हो। न भूल पाना घटनाओं को एक संवेगात्मक कैंसर बन जाता है।

यदि आप किन्हीं ऐसों की जिन्हें आप दिल के बहुत करीब मानते हैं दग़ाबाज़ी को भूल नहीं पा रहे हैं आपके रोज़मर्रा के जीवन को वह असरग्रस्त कर रही है तब आप चाहे तो इसे भूलने के लिए एक हिप्नोटिस्ट, सम्मोहन करता की मदद भी ले सकते हैं। 
गलती आखिर इंसान से ही होती है। गलतियों का पुतला है इंसान हाँ जब यह इल्म हो मुझसे गलती हुई है बड़ी भूल हुई है आप शीघ्र माफ़ी मांग ले उस व्यक्ति से जो आपके अन -अपेक्षित व्यवहार से आहत हुआ है। आपके ऊपर से बोझ हट जाएगा। 

जो लोग नहीं भूल पाते हैं उनसे हमारा निवेदन है मनोविज्ञान में एक ही टर्म होता है इंफीरि-योरटी  कॉम्प्लेक्स ,सुपीरि-योरटी कॉम्प्लेक्स जैसा कोई लफ्ज़ है ही नहीं। फिर भी मैं ऐसे कई व्यक्तियों को जानता हूँ जो इस बाद वाले कॉम्प्लेक्स से ग्रस्त हैं।अपने को सबसे अलहदा मान श्रेष्ठि भाव से तंग हैं। 

यहां किसी के साथ कभी भी कुछ भी घट सकता है। सौ फीसद खरा २४ कैरट यहां कुछ भी नहीं है और फिर उस का कीजियेगा क्या गहने भी नहीं बन सकते उसके तो।

यदि आप अपने से प्रेम करते हैं अपनों से प्रेम करते हैं ,उनके दोषों को नज़र -अंदाज़ कीजिये। गलती हुई है उनसे तो उन्हें माफ़ करके खुद भी सुकून में आ जाइये जीवन की गति और दिशा आगे की ओर  है। भूत को नहीं वर्तमान को पकड़िए ,भविष्य से इसे जोड़िये।


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सन्दर्भ -सामिग्री :

(१ )https://www.youtube.com/watch?v=2z2XstaFR-E



पर नर व्याघ सुयोधन तुमसे कहो कहाँ कब हारा?


क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा पर नर व्याघ सुयोधन तुमसे कहो कहाँ कब हारा? क्षमाशील हो ॠपु-समक्ष तुम हुये विनीत जितना ही दुष्ट कौरवों ने तुमको कायर समझा उतना ही अत्याचार सहन करने का कुफल यही होता है पौरुष का आतंक मनुज कोमल होकर खोता है क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल है उसका क्या जो दंतहीन विषरहित विनीत सरल है तीन दिवस तक पंथ मांगते रघुपति सिंधु किनारे बैठे पढते रहे छन्द अनुनय के प्यारे प्यारे उत्तर में जब एक नाद भी उठा नही सागर से उठी अधीर धधक पौरुष की आग राम के शर से सिंधु देह धर त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में चरण पूज दासता गृहण की बंधा मूढ़ बन्धन में सच पूछो तो शर में ही बसती है दीप्ति विनय की संधिवचन सम्पूज्य उसीका जिसमे शक्ति विजय की सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है
                                            -----(राष्ट्रीय कवि  रामधारी सिंह दिनकर )

(३ )https://www.youtube.com/watch?v=m66y7M-0E9M

(४ )https://www.youtube.com/watch?v=KpfTfXyfui4

(५ )https://www.youtube.com/watch?v=Ch6m800iHto

(६ )https://www.youtube.com/watch?v=CothocmSzL0

(७ )https://www.youtube.com/watch?v=5Hon6Qh1rYA

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