शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया डॉक्टर सतीश त्यागी जी
आपने हमें प्रस्तुत पोस्ट का कच्चा माल पकड़ा दिया।
बिलकुल सही निष्कर्ष निकाला है चेताया है इस मंदमति को -
"ये जीजू को मरवाएगा"
इसमें एक कमज़ोरी अंग्रेजी भाषा की भी रही है -'जहां ब्रदर -इन -ला 'संज्ञा और सम्बोधन दोनों से ही यह पता नहीं
चलता कि जीजा कौन है और साला कौन है। इसलिए हिंदी भाषा ने -तमाम जीजाओं ने -बड़ी चालाकी से सालिग्राम
(साले साहिब अर्थात )
'आधे- मालिक' हमारे ये भी हैं कहकर तमाम सालों का परिचय करवाना कब का शुरू कर दिया था। ).हिंदी भाषा में कई
जगह ध्वनित अर्थ साले का गाली भी निकाला जाता है। खासकर जब हम किसी को चुनौती देते हुए देख लेने की धमक
देते हैं -कहते हुए साले तुझे तो देख लूंगा।
अब इस वंशीय राजकुमार के यहां तो परम्परा से संबंधों का मतलब जैविक -संबंध ही रहा है। इसीलिए एक मर्तबा इनकी
बहिना के लिए अपने एक सम्बोधन में नरेंद्र मोदी ने कहा -वह तो मेरी बेटी समान है ,बेटी ही है तो अगले दिन इनका
रिजॉइंडर चला आया -मेरे पिताजी तो राजीव गांधी थे मैं किसी की बेटी फेटी नहीं हूँ।
यहां ज़नाब सतीश त्यागी जी
रागात्मक संबंधों के लिए गुंजाइश ही नहीं है।
राहुल अपनी कुशाग्र -बुद्धि से जानते हैं 'साला' एक गाली है। इसीलिए हो सकता है वह अपने को वाड्रा का साला मानने
में हीनता अनुभव करते हों।
बहरसूरत सब जानते हैं कांग्रेस ने अमित शाह को गुजरात में कितना तंग किया था ,कैसे -कैसे आरोप पत्र मढ़े -गढ़े थे। अमित शाह तो साफ़ बच गए क्योंकि उनके खिलाफ कुछ प्रमाणित न हो सका।
लेकिन वाड्रा मारा जाएगा ,उसके ठंडे बस्ते में पड़े मामले में अब तेज़ी आएगी।
अमित शाह के पुत्र के खिलाफ आरोप मढ़ने वाले भी अब बैकफुट पे आये दीख रहे हैं ,बचावी भूमिका में आ गए हैं "रेलवे मंत्री को उनका बचाव नहीं करना चाहिए था "कह रहें हैं।
हमारा मानना है ,जांच से जो सामने आये सो आये ,जांच चले खूब चले ,चिंता किसे है ,ये बात ये मंदमति समझ ले तो उचक -उचक बोलने से कमसे कम इस मामले में तो बाज़ आये। वरना इसका तो जो बिगड़ेगा सो बिगड़ेगा जीजू ज़रूर मारा जाएगा।
आखिर में एक शैर इस मंद मति के नाम (भगवान् इन्हें सुमति प्रदान करे ):
एक ग़ज़ल कुछ ऐसी हो ,
बिलकुल तेरे जैसी हो ,
मेरा चाहे जो भी हो,
तेरी ऐसी -तैसी हो।
तुलसीदास मानस में कहते हैं :
जहां सुमति तहाँ संपत (संपति ) नाना ,
जहां कुमति तहाँ विपत निदाना .
आपने हमें प्रस्तुत पोस्ट का कच्चा माल पकड़ा दिया।
बिलकुल सही निष्कर्ष निकाला है चेताया है इस मंदमति को -
"ये जीजू को मरवाएगा"
इसमें एक कमज़ोरी अंग्रेजी भाषा की भी रही है -'जहां ब्रदर -इन -ला 'संज्ञा और सम्बोधन दोनों से ही यह पता नहीं
चलता कि जीजा कौन है और साला कौन है। इसलिए हिंदी भाषा ने -तमाम जीजाओं ने -बड़ी चालाकी से सालिग्राम
(साले साहिब अर्थात )
'आधे- मालिक' हमारे ये भी हैं कहकर तमाम सालों का परिचय करवाना कब का शुरू कर दिया था। ).हिंदी भाषा में कई
जगह ध्वनित अर्थ साले का गाली भी निकाला जाता है। खासकर जब हम किसी को चुनौती देते हुए देख लेने की धमक
देते हैं -कहते हुए साले तुझे तो देख लूंगा।
अब इस वंशीय राजकुमार के यहां तो परम्परा से संबंधों का मतलब जैविक -संबंध ही रहा है। इसीलिए एक मर्तबा इनकी
बहिना के लिए अपने एक सम्बोधन में नरेंद्र मोदी ने कहा -वह तो मेरी बेटी समान है ,बेटी ही है तो अगले दिन इनका
रिजॉइंडर चला आया -मेरे पिताजी तो राजीव गांधी थे मैं किसी की बेटी फेटी नहीं हूँ।
यहां ज़नाब सतीश त्यागी जी
रागात्मक संबंधों के लिए गुंजाइश ही नहीं है।
राहुल अपनी कुशाग्र -बुद्धि से जानते हैं 'साला' एक गाली है। इसीलिए हो सकता है वह अपने को वाड्रा का साला मानने
में हीनता अनुभव करते हों।
बहरसूरत सब जानते हैं कांग्रेस ने अमित शाह को गुजरात में कितना तंग किया था ,कैसे -कैसे आरोप पत्र मढ़े -गढ़े थे। अमित शाह तो साफ़ बच गए क्योंकि उनके खिलाफ कुछ प्रमाणित न हो सका।
लेकिन वाड्रा मारा जाएगा ,उसके ठंडे बस्ते में पड़े मामले में अब तेज़ी आएगी।
अमित शाह के पुत्र के खिलाफ आरोप मढ़ने वाले भी अब बैकफुट पे आये दीख रहे हैं ,बचावी भूमिका में आ गए हैं "रेलवे मंत्री को उनका बचाव नहीं करना चाहिए था "कह रहें हैं।
हमारा मानना है ,जांच से जो सामने आये सो आये ,जांच चले खूब चले ,चिंता किसे है ,ये बात ये मंदमति समझ ले तो उचक -उचक बोलने से कमसे कम इस मामले में तो बाज़ आये। वरना इसका तो जो बिगड़ेगा सो बिगड़ेगा जीजू ज़रूर मारा जाएगा।
आखिर में एक शैर इस मंद मति के नाम (भगवान् इन्हें सुमति प्रदान करे ):
एक ग़ज़ल कुछ ऐसी हो ,
बिलकुल तेरे जैसी हो ,
मेरा चाहे जो भी हो,
तेरी ऐसी -तैसी हो।
तुलसीदास मानस में कहते हैं :
जहां सुमति तहाँ संपत (संपति ) नाना ,
जहां कुमति तहाँ विपत निदाना .
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