सोमवार, 16 अक्तूबर 2017

जिस समय आप मुस्कुराते हैं भगवान आपकी ओर मुड़कर चलने लगतें हैं। अभिमान टकराता है घर टूट जातें हैं ,राम दोनों भाइयों के बीच की कड़ी बनते हैं

जो भी जीवन में आ रहा है घटित है उसका विधान मानकर स्वीकार कर लेना चाहिए। उसका विधान ही ऐसा है निर्मम निरपेक्ष  जिससे स्वयं भगवान् के पिता दशरथ भी नहीं बचते और रामवियोग में  पृथ्वी पर मछली की तरह तड़प- तड़प कर प्राण त्याग देते हैं। फिर यदि हमारी संतानें भी हमें दुःख देतीं हैं तो इसमें आश्चर्य क्या। विडंबना कैसी ?

इस संसार में भरत का जन्म नहीं हुआ होता तो  धर्म की ध्वज धर्म का धुरा कौन उठाता ?भरत पर संदेह करते हैं लक्ष्मण उन्हें दल-बल के साथ वन की और निकट आते देखकर।


हमारे घर के बड़ों का काम है छोटों के मतभेद सुलझाएं अव्वल तो उन्हें पनपने ही नहीं दें ,आशंकाएं दूर करें एक दूसरे के विषय में। मतभेदों को बढ़ने न दें।

राम दिल की जुबां से बोलते हैं

'न आँखों से आंसू यूं छलकाइये ,

दिल की जुबां से ही समझाइये ,

मुस्कुराइए जी ज़रा ,मुस्कुराइए।'  

मुस्काना सुख और दुःख को जोड़ने की एक कड़ी बन जाती है 

मुस्कान एक सेतु है। 

सुख दुःख की हरेक घड़ी  की ये औषधि बड़ी है ......  

भरत प्रेम का प्रतीक हैं ,प्रेम अमृत है ,विरह मन्दराचल परबत है ,भरत जी गहरे समुन्द्र हैं।भरत वह व्यक्ति हैं जिन्होनें अपना उपयोग होने दिया ,आज समाज में ऐसे लोग बिरले ही हैं जो औरों के लिए अपना सब कुछ न्योंछावर कर देते हैं औरों के लिए जीते हैं।  
जिस समय आप मुस्कुराते हैं भगवान आपकी ओर मुड़कर  चलने लगतें हैं। 
अभिमान टकराता है घर टूट जातें हैं ,राम दोनों भाइयों के बीच की कड़ी बनते हैं।  

https://www.youtube.com/watch?v=gkadPvQstB0

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