एक दिशा ओर को रीढ़ का अतिरिक्त झुकाव बोले तो Scoliosis
कई मर्तबा हमारी रीढ़ साइडवेज़ ज़रुरत से ज्यादा वक्रता लिए रहती है चिकित्सा शब्दावली में इसे ही कहा जाता है -Scoliosis .
24 हड्डियों (अस्थियों )की बनी होती है हमारी रीढ़ (स्पाइन )जिन्हें vertebrae कहा जाता है .रीढ़ की हड्डी की गुर्री का एक अंश है ये vertebra जिसे कशेरुका भी कहा जाता है .रीढ़ वाले प्राणियों को कहा जाता है कशेरुकी जीव (vertebrate ).
ये कशेरुका एक के ऊपर एक रखी होतीं हैं .रीढ़ को सामने से पीछे की ओर देखने पर वह सीधी (ऋजु रेखीय )ही दिखलाई देती है .
बेशक रीढ़ एक दम से सीधी नहीं होतीं हैं और ऐसा होना एक दम से सामान्य बात है.नोर्मल ही समझा जाता है .लेकिन जब यही रीढ़ आढ़ी तिरछी टेढ़ी मेढ़ी ज़रुरत से ज्यादा होती है तब यह असामान्य बात है ,एक रोगात्मक स्थिति भी हो सकती है यह जिसका आपको ज़रा भी भान (इल्म )नहीं है .
When the spine curves excessively it can be abnormal and it is called scoliosis (Greek for "crooked ").
क्या वजह बनती है इस असामान्य रीढ़ अति -वक्रता (scoliosis)की ?
रीढ़ अति - वक्रता के ज्यादातर मामलों में वजह नामालूम ही बनी रहती है .देखने में रीढ़ की तमाम अस्थियाँ (vertebrae),रीढ़ संरचना (बनावट ) -डिस्क ,तमाम अश्थी बंध(लिगामेंट्स ) ) ,कंडरा
(मांस पेशी को हड्डी से जोड़ने वाली नसें टेंडन )और तमाम पेशियाँ एक दम से सामान्य लग सकतीं हैं .
बाकी मामलों में रीढ़अति - वक्रता की वजह ट्यूमर (कैंसर गांठ या अर्बुद ,रोगात्मक शरीर में ऊतकों की असामान्य वृद्धि यानी रसौली), रोग संक्रमण ,सेरिब्रल पालसी (cerebral palsy ),मस्क्युलर डिसट्रोफी (muscular dystrophy),birth deformity (प्रसव से पैदा जन्म विरूपता ),डिस्क की समस्या भी हो सकती है .
रीढ़ अति -वक्रता को लेकर एक उलझाव यह भी बना रहा है कि क्यों कुछ मामलों में नामालूम सी वक्रता (minor spinal curves) बद से बदतर हो जाती है जबकि ९०% मामलों में ऐसा कुछ भी नहीं होता है .
लेकिन आम धारणा के विपरीत पूअर पोश्चर स्कोलिओसिस की वजह नहीं हैं .यह भी भ्रांत धारणा है कि जो महिलाएं रीढ़अति - वक्रता से ग्रस्त होतीं हैं उन्हें गर्भकाल पूरा करने में मुश्किल पेश आती है .
दरहकीकत ज्यादार लोगों को न इस स्थिति का कोई इल्म होता है न ही इसके कोई दुष्प्रभाव सामने आतें हैं .सामन्य जीवन जीतें हैं ये लोग .किसी की मौत नहीं होती है स्कोलिओसिस से .
लेकिन अति उग्र मामलों में जब वक्रता ज़रुरत से ज्यादा होती है रीढ़ अति - वक्रता से ग्रस्त व्यक्ति को श्वसन सम्बन्धी समस्या के अलावा दिल से जुडी तकलीफें भी घेर सकतीं हैं .
Unknown Controlling Factor
माहिरों के अनुसार ऐसा मालूम होता है , कि रीढ़ की अति वक्रता (अति वक्र रीढ़ )के लिए कुछ ऐसे घटक हैं ज़रूर जिनका हमें कोई इल्म नहीं हैं ,हमारे लिए फिलवक्त ये अबूझ ,अज्ञेय ,अन -अनुमेय ही बने हुएँ हैं .यही फेक्टर्स अच्छी खासी नोर्मल रीढ़ को अजीबोगरीब लहरदार आकृति दे देतें हैं .
लेकिन क्या कोई आनुवंशिक चीज़ें भी इसके लिए कुसूरवार ठहराई जा सकतीं हैं ?
कोई संवेगात्मक फेक्टर्स भी क्या रीढ़ की सामान्य आकृति को इस कदर बिगाड़ सकतें हैं ?
क्या इसके लिए व्यक्ति विशेष का स्नायुविक तंत्र ही तो जिम्मेवार नहीं हैं ?
किस्सा गो ये है कि अब तक केवल एक ही राय है जिस पर सहमती है कि कोई एक राय नहीं है .
Bracing And Other treatments
विरूपण की ,बे -इंतिहा आकृति परिवर्तन की दुरुस्ती के लिए रीढ़ को तार से बाँधना टेढ़े मेढ़े दांतों की दुरुस्ती की मानिंद तथा अन्य उपाय
क्या ब्रेसिंग वास्तव में मददगार सिद्ध होती है ?आरम्भिक अध्ययनों से यह पता ज़रूर चला ,लहरिया या रीढ़ की यह अति वक्रता स्कोलिओसिस ५०% मामलों में औसतन समाप्त हो जाती है लेकिन दीर्घावधि में यह लाभ जाता रहता है ,लॉन्ग टर्म फोलो अप से यह भी पता चला है .
विद्युत् उत्तेजन (इलेक्ट्रिकल स्तिम्युलेशन )भी अकसर निष्प्रभावी साबित हुआ है तथा प्लास्टर कास्ट भावात्मक रूप से ठेस पहुंचाने वाले सिद्ध हैं .
Overtreatment ?
According to Robert Mendelsohn ,MD : "Scoliosis is not serious unless the curvature of the spine is severe ,but it is overtreated almost as often as it is overdiagonosed .If your child is diagnosed as a victim of scoliosis ,don't accept surgical procedures or even bracing without first exploring all of the less radical treatment alternatives.
"Epidemiological studies on scoliosis are so scanty that we know next to nothing .There are no prospective controlled studies regarding the effects of orthotic treatment on the natural history of idiopathic scoliosis ......Is anything actually prevented or is progression merely delayed until a later period of time ?The answers are simply not known .
यहाँ ओर्थोटिक का मतलब अश्थियों की विकृति की दुरुस्ती में इस्तेमाल होने वाली युक्तियों यथा ब्रेसिज़ का अध्ययन करने वाला विज्ञान .चिकित्सा इंजिनीयरिंग की एक विधा है यह शाखा .ईडीयो-पैथ -इक का मतलब एक ऐसा विकार या बीमारी होता है जिसकी वजह मालूम नहीं होती .
Neurological Disturbance
क्या संकेत मिल रहें हैं अभिनव शोध से ?
रीढ़ अति वक्रता से ताल्लुक रखने वाले अभिनव शोध कार्य से पता चलता है कि इस स्थिति की एक वजह स्नायुविक तंत्र के उस भाग में गडबडी या विक्षोभ का होना बन सकता है जो पोश्चर(व्यक्ति की खड़ा होने ,बैठने ,लेटने की मुद्रा ) को नियंत्रित करता है ,संतुलन को बनाए रखता है और जिसका सम्बन्ध पोजिशनिंग से बना रहता है .
क्या किया जाता है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा के तहत ?
काइरो -प्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली एकल रोगों का इलाज़ नहीं है और न ही अति -रीढ़ वक्रता का होता है .इसका मकसद vertebral subluxation complex की दुरुस्ती होता है -यह एक ऐसी कायिक स्थिति होती है जो स्नायुविक प्रणाली के समुचित काम करने के ढंग को असरग्रस्त करती है .Subluxation is partial dislocation of bones that leaves them misaligned but still in some contact with each other .आम भाषा में कहें तो रीढ़ की हड्डियों का परस्पर विरूपण ,विचलन या विक्षोभ है ,संरेखण या सीध खो देना है . काया पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है .स्कोलिओसिस का संभावित रिश्ता स्नायुविक दोषों से ताल्लुक रखे हो सकता है जैसा की नै रिसर्च अब इशारा कर रही है .यही इशारा काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा को पुनर्बलित करता है ,सुदृढ़ करता है ,नया विश्वास पैदा करता है इसके प्रभावी होने में .
Fred Barge ,DC,in Idiopathic Scoliosis : Identifiable causes ,Detection and Correction ,gives 22 examples of cases of adolescent idiopathic scoliosis with significant improvement with chiropractic .One report of 100 chiropractic patients revealed 84%improved .In 6.8 % the correction was total ; in 35.6 % there was significant correction ; in 41.2%there was a small correction ,while 16.4% showed no change or worsening of curves.
Case Studies
अध्ययनों के झरोखे से
एकल मामलों की यहाँ भरमार है .
एक दस साला लड़की की रीढ़ में ४८ डिग्री का झुकाव था .सीवीयर स्कोलोसिस ऑफ़ ४८ डिग्रीज़ का माला था यह .काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा के दस समायोजन (एडजस्टमेंट सत्र )लेने के बाद उसकी रीढ़ वक्रता घटकर १२ डिग्रीज़ पर आ गई .अब वह मज़े से है रोगों का मुकाबला करने की पहले से कहीं बेहतर स्थिति में है बकौल उसकी माँ अब वह एक खुशहाल बालक है .
दूसरा मामला एक नौ साला बच्चे का है जो जन्म से ही अति -रीढ़ वक्रता लिए आया था .ईडियोपैथ -इक स्कोलिओसिस का मामला था यह .रुक रुक कर इस बालक को कमर दर्द होता था .इसे काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा के लिए लाया गया था .पहले ही समायोजन के बाद इसका पोश्चर सुधरने लगा .पांच महीने की कायरोप्रेक्टिक चिकित्सा (आवधिक समायोजन)के बाद इसकी स्कोलिओसिस में ८८%घटाव आया .
एकल मामले सभी उम्र के लोगों से ताल्लुक रखतें हैं यहाँ सिर्फ बच्चों के दो मामलों को हवाला दिया गया है .
आपको पुन :स्मरण करवा दें केवल एक काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा व्यवस्था से ताल्लुक रखने वाला चिकित्सक (काइरोप्रेक्टर )ही रीढ़ में पैदा विरूपण को दूर कर सकता है .रीढ़ की गड़बड़ियां (vertebral subluxations ) असामान्यताएँ केवल रीढ़ को ही नहीं हमारी पूरी काया को असर ग्रस्त करतीं हैं .
स्कोलिओसिस से पीड़ित व्यक्ति को काइरोप्रेक्टिक देखभाल के लिए आगे आना चाहिए .
subluxations से मुक्त काया ही कायिक असामान्यताओं ,तमाम तरह की बीमारियों का बेहतर ढंग से मुकाबला कर सकती है .चाहे फिर वह स्कोलिओसिस (रीढ़ वक्रता )ही क्यों न हो .
4 टिप्पणियां:
reedh kee pareshaniyon ko jhelne vale sabhi logo ke liye aapki ye post ramban kahi jayegi.nice presentation.तुम मुझको क्या दे पाओगे?
आपकी पोस्ट पढ़ते पढ़ते सीधा बैठना सीख गये।
मतलब रीड सीधी कर के बैठना ही ठीक है .. नहीं तो स्कोलिओसिस से कौन सामना करेगा ...
अच्छी श्रंखला ....
बहुत ही बढ़िया जानकरी देती हैं आपकी पोस्ट, हार्दिक आभार!
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