आओ पहले बहस करो -डॉ .वागीश मेहता ,डी .लिट .,1218 ,शब्दालोक ,सेक्टर -4 ,अर्बन एस्टेट ,गुडगाँव -122-001
बोला पुलिस मैन , साहब से आकर ,
गजब है तमाशा ,सुनो ध्यान से सर ।
पकड़ा है जिस चोर को रंगे हाथ ,
अकड़ता मुकरता है ,वो साथ साथ ।
कहता है मुझसे ,करो बहस पहले ,
चाहे बाद में दर्ज़ करो, नहले दहले ।
देता खुली बहस का मैं निमन्त्रण ,
मैं देखता रोज़ ,चैनल पे संसद ।
है संसद संविधान से भी उच्चतर ,
पर बहस का रूतबा, संसद से ऊपर ।
स्वयं प्रमाणित घपले ,जो अकसर ,
उन पर भी निष्फल, बहसें निरंतर ।
आओ ,हम रपट से करें ,बहस पहले ,
विविध चैनलों पर, दिखें शाट्स सीधे ।
सुनो वोट आई -डी, लिया मैंने बनवा ,
जो है सौ रोगों की, बस एक दवा ।
मिली खूब सुविधा है वोटिस्तान की ,
जय बोलो ,जय इंडिया देश महान की ।
सुना साहब ने तो सिर को खुजलाया ,
फिर धीरे -धीरे से यूं फुसफुसाया ,
संवेदनशील मुद्दा चाय पिलाओ ,
खामोशी से अपनी ड्यूटी निभाओ ।
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ),
43,309 ,सिल्वरवुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ,यु एस .ए .48 188
दूर -ध्वनी :001 -734 -446 -5451
बोला पुलिस मैन , साहब से आकर ,
गजब है तमाशा ,सुनो ध्यान से सर ।
पकड़ा है जिस चोर को रंगे हाथ ,
अकड़ता मुकरता है ,वो साथ साथ ।
कहता है मुझसे ,करो बहस पहले ,
चाहे बाद में दर्ज़ करो, नहले दहले ।
देता खुली बहस का मैं निमन्त्रण ,
मैं देखता रोज़ ,चैनल पे संसद ।
है संसद संविधान से भी उच्चतर ,
पर बहस का रूतबा, संसद से ऊपर ।
स्वयं प्रमाणित घपले ,जो अकसर ,
उन पर भी निष्फल, बहसें निरंतर ।
आओ ,हम रपट से करें ,बहस पहले ,
विविध चैनलों पर, दिखें शाट्स सीधे ।
सुनो वोट आई -डी, लिया मैंने बनवा ,
जो है सौ रोगों की, बस एक दवा ।
मिली खूब सुविधा है वोटिस्तान की ,
जय बोलो ,जय इंडिया देश महान की ।
सुना साहब ने तो सिर को खुजलाया ,
फिर धीरे -धीरे से यूं फुसफुसाया ,
संवेदनशील मुद्दा चाय पिलाओ ,
खामोशी से अपनी ड्यूटी निभाओ ।
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ),
43,309 ,सिल्वरवुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ,यु एस .ए .48 188
दूर -ध्वनी :001 -734 -446 -5451
2 टिप्पणियां:
सुना साहब ने तो सिर को खुजलाया ,
फिर धीरे -धीरे से यूं फुसफुसाया ,
संवेदनशील मुद्दा चाय पिलाओ ,
खामोशी से अपनी ड्यूटी निभाओ ।
अगर वे ये न कहते तो भारत का नाम नीचा नहीं हो जाता क्या जहाँ काका हाथरसी भी कह गए कि-''.क्यूं घबराता है नर तू रिश्वत लेकर ,रिश्वत पकड़ी जाये छूट जा रिश्वत देकर.शानदार प्रस्तुति.बधाई.तुम मुझको क्या दे पाओगे?
सुना साहब ने तो सिर को खुजलाया ,
फिर धीरे -धीरे से यूं फुसफुसाया ,
संवेदनशील मुद्दा चाय पिलाओ ,
खामोशी से अपनी ड्यूटी निभाओ ।
ख़ामोशी ख़ामोशी ख़ामोशी ख़ामोशी फैली रहेगी
तभी तो अराजकता - भ्रष्टाचार छाई रहेगी .... !!
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