लगता है extempore बोलने के चक्कर में और जल्दबाज़ी के कारण लम्पट जैसे अनुपयुक्त शब्द का प्रयोग वक्ता ने कर दिया जिसका अहसास उसे बाद में ज़रूर हुआ होगा.हड़बड़ी में ये गलतियाँ कभी कभी हो जाती हैं.
अखबार में कहा गया है कि सुभाष राय ने अपने वक्तव्य में कहा .... और अखबार ने उसे हाइडिंग बना कर छाप दिया .... कई लोग जो वहाँ उपस्थित थे उनका कहना है कि सुभाष जी ने ऐसा कुछ नहीं कहा .... यदि शब्द के अर्थ को गंभीरता से लेते हैं तो सुभाष जी को अखबार पर मुकदमा ठोक देना चाहिए ...... दूसरों कि गलतियों को क्षमा करना हमारी प्रवृति में शामिल है इसी लिए अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है ...
9 टिप्पणियां:
लगता है चित्र में लम्पटों को देखकर ऐसा विचक्षण विवेचन कर डाले हैं वीरुभाई !ऐसी ही स्नेह वर्षा होती रहे :-)
बहुत सार्थक आलेख...
हम भी सीख रहे हैं..
लगता है extempore बोलने के चक्कर में और जल्दबाज़ी के कारण लम्पट जैसे अनुपयुक्त शब्द का प्रयोग वक्ता ने कर दिया जिसका अहसास उसे बाद में ज़रूर हुआ होगा.हड़बड़ी में ये गलतियाँ कभी कभी हो जाती हैं.
एक विश्लेषणात्मक लेख ...बधाई!!!
yes he has used his freedom of speech.
thoughtful article yes one needs to think before writing and using words.
achchha vishleshan kiya hai aapne .nice . कैराना उपयुक्त स्थान :जनपद न्यायाधीश शामली :
bahut acchhey dhang se bahut hi sahi baat kahi hai aapne.....
अखबार में कहा गया है कि सुभाष राय ने अपने वक्तव्य में कहा .... और अखबार ने उसे हाइडिंग बना कर छाप दिया .... कई लोग जो वहाँ उपस्थित थे उनका कहना है कि सुभाष जी ने ऐसा कुछ नहीं कहा .... यदि शब्द के अर्थ को गंभीरता से लेते हैं तो सुभाष जी को अखबार पर मुकदमा ठोक देना चाहिए ...... दूसरों कि गलतियों को क्षमा करना हमारी प्रवृति में शामिल है इसी लिए अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है ...
सार्थक विश्लेषण
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