शनिवार, 31 दिसंबर 2011

एक संकल्प सेहत के नाम :बदलेंगे ये बे -मुरव्वत जीवन शैली .

एक संकल्प सेहत के नाम :बदलेंगे ये बे -मुरव्वत जीवन शैली .
(नव वर्ष के लिए विशेष )
Healthy resolutions tend to create a virtuous circle of good habits ,says a study/Good things in life go together/TIMES VIEW/THE TIMES OF TRENDS /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,DEC31,2011.
लहरों की भी अपनी जाति होतीं है .समान धर्मा लहरें जीवन में अनुनाद पैदा करतीं हैं .सृष्टि के साथ आप कभी भी जुड़ सकतें हैं ,संवाद कर सकतें हैं .वह सदैव ही तत्पर है .सवाल आपके संकल्प का है .एक अच्छा संकल्प एक अच्छी लहर जीवन में सब कुछ बदल देने की क्षमता रखती है .जीवन शैली को एक सकारात्मक मोड़ देके देखिये .
लीजिए इस नए साल में एक संकल्प हम सकारात्मक जीवन शैली ,खान पान आजमायेंगें.यकीन मानिए एक अच्छी चीज़ में से और भी अच्छी चीज़ें पैदा होतीं हैं .
ब्रिटेन के राष्ट्रीय सामाजिक शोध केंद्र ने पता लगाया है जो लोग अपनी जीवन शैली में एक सेहत के अनुरूप ,स्वास्थ्य वर्धक ,सकारात्मक बदलाव की पहल का संकल्प लेतें हैं उन्हें एक बाद एक फायदे होते चले जातें हैं .यह एक डोमिनो प्रभाव की सृष्टि करता है .
स्वस्थ आदतें स्वस्थ आदतों की जननी बन जाती हैं .एक अच्छी आदत दूसरीअच्छी आदत को न्योंता देती है उसका पोषण करती चलती है .जैसे एक बुरी आदत दूसरी बुरी आदत की ओर ले जाती है .
जैसे एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र (पारी तंत्र ,एको सिस्टम ) अलग अलग इकाइयां सहजीवन और सह -संवर्धन प्राप्त करती हैं परस्पर आश्रित रहते विकसती हैं .कायम रहतीं हैं वैसे ही एक अच्छा संकल्प अन्यों का संवर्धन करता है .
एक बहुत पुरानी कहावत है -जो इस मंतव्य को सुस्पष्ट करती है -"Early to bed and early to rise makes a man healthy ,wealthy and wise "
उठ जाग मुसाफिर भोर भई ,अब रैन कहाँ जो सोवत है ,
जो सोवत है सो खोवत है ,जो जागत है सो पावत है .
जो हमने बरसों के अनुभव से जाना है बुजुर्गों से सीखा है वही सब दोहराती है यह रिसर्च -अच्छी तरंगों के साथ अच्छी और बुरी के साथ बुरी तरंगें जातीं हैं .गुण और अवगुणों का परस्पर पल्लवन सह जीवन और सह संवर्धन नहीं हो सकता ,अनुनाद तो कभी पैदा ही नहीं हो सकता भले जीवन में सुख दुःख का डेरा है .
लेकिन गुण और अवगुण अलग अलग दिशाओं और जीवन दशाओं से आतें हैं .जीवन के प्रति अलग नज़रियों से आतें हैं .
सकारात्मक सोच वाले सेहत सचेत लोग एक बड़े ध्येय की प्राप्ति के लिए धैर्य से काम लेतें हैं कीमत चुकाने को तैयार रहतें हैं .मेहनत करतें हैं प्रतीक्षा करतें हैं लेकिन जो बुरी आदतों को गले लगातें हैं उन्हें फौरी सुख बोध चाहिए चाहे आगे चलके उसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़े .
अपना तौल कम करने के लिए आपको संयम बरतना होगा खान पान का ,एक ख़ास खुराक पे चलना होगा .फास्ट फ़ूड खाने में कोई मेहनत नहीं है सस्ता भी है जंक फ़ूड बनाने का झंझट भी नहीं है .
जो लोग सेहत मंद होने रहने की और चल पड़ते हैं वह फिर सैर को भी निकलने लगतें हैं .नशे पत्ते की चीज़ों के दुरोपयोग से भी छिटकने लगतें हैं .सिगरेट और शराब पर कम फल और तरकारी पर ज्यादा खर्च करेंगे खुद के प्रति संकल्पित संकल्प बद्ध लोग .
दूसरे इसकी परवाह नहीं करेंगे .केज्युअल रहेंगे .आसानी से ट्रांस फेट्स (फास्ट फ़ूड ,पैकेज्ड फ़ूड )की और चल देंगे .उनके सामने हेल्दी चोइस कोई मुद्दा ही नहीं हैं .एक बार आप स्वास्थ्य सचेत हो गए तो सब जगह रहेंगे शादी ब्याह समारोहों नए साल के जश्न में सब जगह .स्वास्थ्यकर फ़ूड का ही चयन करने की कोशिश करेंगे .चोइस तो सब जगह होती है लेकिन आप अपनी प्रकृति से अपनी ही तरंग से जुड़तें हैं रौ में रहतें हैं .
सिगरेट हो या शराब आप हिसाब नहीं रखेंगे पीने पिलाने का .बैठे ठाले टून्गेगे टी वी के सामने .
यही लब्बोलुआब इस बरस के आपके संकल्प का इस अध्ययन और शोध का . फैसला आप पर है आप इधर जाएं या उधर .या यथा स्थिति बनाए रहें भारत सरकार की तरह .
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
HAPPY YEAR 2012 EVERYBODY
काम को सलाम :सर रामाकृष्णन वेंकटरमण .
ARISE!SIR VENKI: INDIAN SCIENTIST GETS KNIGHTHOOD
काम की तस्दीक भारत में हो न हो विदेशों में ज़रूर होती है .काम को सलाम करतें हैं विदेशी .और इसीलिए इस बरस नए साल पर जिन लोगों को नाईट की उपाधि से सम्मानित किया गया है उनमे इंग्लेंड की महारानी क्वीन एलिज़ाबेथ ने भारतीय मूल के आणविक जैविकी के माहिर साइंसदान श्रीरामाकृष्णन वेंकटरमण को भी शामिल किया है .
आणविक जीवविज्ञान के क्षेत्र में विशेष कार्य के लिए आपको २००९ के रसायन शाश्त्र के लिए नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित किया जा आ चुका है .
आपको यह सम्मान बकिंघम पेलेस में दिया जाएगा आणविक जीव विज्ञान के क्षेत्र में आपकी विशेष सेवाओं के लिए .आइन्दा आपको सर रामाकृष्णन वेंकटरमण पुकारा जाएगा .
बधाई ब्लॉग जगत की ओर से "सर "जी !
चेन्नै।। नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. वेकटरमन रामाकृष्णन ने ऐसा बयान दिया है, जिस पर बवाल मच गया है। उन्होंने ज्योतिष शास्त्र और अल्केमी को फर्जी बताया है और कहा है कि ये सलाहों की शक्ति पर आधारित हैं। उन्होंने होम्योपथी को भी निशाने पर लिया और कहा कि यह लोगों के विश्वास पर आधारित है। उन्होनें कहा कि पॉजिटिव और नेगेटिव एनर्जी जैसे शब्द जो अधिकतर नीम-हकीम जैसे लोग बोलते हैं, असल में इन शब्दों का कोई मतलब नहीं होता है। उन्होंने कहा कि यह सब सिर्फ बकवास है। डॉ. रामाकृष्णन ने कहा कि विज्ञान में एनर्जी की एक विशिष्ट परिभाषा है।

चेन्नै में भारतीय विद्या भवन के बैनर तले आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान डॉ. रामाकृष्णन ने कहा कि जैसे सरकार का अच्छा सिस्टम लोगों को बुरी चीजों से बचाता है, ठीक वैसे ही विज्ञान हम लोगों को हमारे पूर्वाग्रहों और मूर्खताओं से बचाता है। वैज्ञानिक तरीके हमें झूठे अंधविश्वासों से बचाते हैं। उन्होंने अपनी बातों के समर्थन में कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी पेश किए।

डॉ. रामाकृष्णन ने कहा है कि भारत में लोगों के फैसलों को प्रभावित करने के लिए ज्योतिष शास्त्र का गलत उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष शास्त्र लोगों को तर्क और चिंतन पर आधारित प्रभावी ऐक्शन लेने से रोकता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान पर आधारित संस्कृति अंधविश्वास पर टिकी संस्कृति से हर मायने में बेहतर होती है।

गौरतलब है कि ज्योतिष शास्त्र को लेकर इससे पहले भी कई बार विवाद पैदा हो चुका है। इसके विरोधियों का कहना है कि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और यह कोरी कल्पना है, जबकि इसके समर्थकों का कहना है कि सौरमंडल में स्थित ग्रह-नक्षत्रों का हमारे जीवन पर असर पड़ता है और ज्योतिष विद्या पूरी तरह से विज्ञान पर आधारित है।
RAM RAM BHAI !RAM RAM BHAI !

Q: How bad is it really to stick a cotton swab in my ear?
कुछ लोग गाहे बगाहे माचिस की तीली से ही कान कुरेद लेते हैं तो कुछ बालों की क्लिप से ही यह काम कर लेते हैं .कोटन स्वाब स्टिक तो बाकायदा लोग खरीदतें हैं .ईयर बड्स का ज़वाब नहीं ?लेकिन कितनी निरापद हैं यह ईयर बड्स ?और क्या अंदरूनी कान इनसे कुरेदना वाजिब है .आइए देखें क्या कहतें हैं माहिर -
बेशक सुखद लगता है कान कुरेदना और कुरदवाना.बचपन में माँ अपनी गोद में हमारा सर रखके बालों की क्लिप से ही यह नेक काम कर डालतीं थीं .कई मर्तबा तेज़ दर्द भी होता था लेकिन सुनता कौन था .डाट और पड़ती थी कान हिला दिया .
माहिरों के अनुसार कोटन स्वाब से बाहरी कान कुरेदना साफ़ करना तो ठीक लेकिन अन्दर के कान तक स्टिक डालना मुनासिब नहीं है .ऐसा करने से ईयर वेक्स (कान का कथित मैल ) और अन्दर खिसक जाता है .ईयर केनाल तक पहुँच कर ईयर ड्रम को भी क्षतिग्रस्त कर सकता है .इसे ही आम भाषा में कान का पर्दा फट जाना कहतें हैं .
दर हकीकत कान में थोड़ा सा मैल बने रहना ईयर केनाल की हिफाज़त करता है .
हाँ कान बंद हो गया है तब कान नाक गला विशेषज्ञ के पास पहुँचिये .वह बंद कान खोल भी सकता है हिफाज़त से और कान में डालने वाली दवा (ईयर ड्रोप्स ) भी घर में डालने के लिए दे सकता है .स्वीमिंग पूल (तरण ताल )में नहाते समय ईयर प्लग्स का स्तेमाल करें .कान में बहुत जल्दी संक्रमण लगता है गंदे स्वीमिंग पूल्स से .सावधान रहें ,कान बंद होने पर माहिर के पास पहुंचे .

4 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अब सेहत पर ध्यान देना है।

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सही कहा। स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा सुख है ।
एक स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए , नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें वीरुभाई जी ।

Anita ने कहा…

सकारात्मक जीवन शैली और संयम से हम स्वस्थ रह सकते हैं...सार्थक पोस्ट!

रेखा ने कहा…

अच्छा चेताया आपने ....नववर्ष की शुभकामनाएं