केफेटेरिया का रूख न करें भावी माताएं तो बेहतर ....
(Would -be moms ,say no to coffee at cafes/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,DEC2,2011/P17).
रिसर्चरों ने चेताया है भावी माताओं को उनका लोकलुभाऊ कोफी और कहवा घरों कोफी डेज़ और केफेतेरियाज़ में जाकर कोफी पीना उनके अनजाने ही उनके अजन्मे गर्भस्थ शिशु को संकट में डाल सकता है .ब्रिटेन के कमसे कम बीस अलग अलग कोफी शोप्स से एस्प्रेसो कोफी के विश्लेषण के बाद रिसर्चरों ने पता लगाया है इनके एक कप में केफीन की मात्रा अलग अलग रहती है .
किसी किसी शॉप के एक कप में मौजूद केफीन की मात्रा गर्भवती महिलाओं के लिए दिन भर के लिए निर्धारित मात्रा से भी ५०%ज्यादा रहती है .डेली मेल ने इसे सुर्ख़ियों में छापा है .
इसमें चिंता की बात यह है कि ज़रुरत से ज्यादा केफीन एक तरफ बच्चे के गर्भ च्युत होकर मिस्केरिज की वजह बन सकती है दूसरी तरफ गर्भस्थ के जन्म के समय तौल में कम रह जाने की भी . इसी वजह से गर्भवती महिलाओं को दिन भर में २०० मिलीग्राम केफीन का अतिक्रमण न करने(सेवन न करने की ) की सलाह दी जाती है .जिसका मतलब दूसरे अर्थों में स्ट्रोंग कोफी के चार प्याले होतें हैं जिनमे औसतन ५० मिलीग्राम केफीन रहता है .
लेकिन इसके अनुरूप केवल एक शॉप की कोफी के एक प्याले की केफीन की मात्रा को पाया गया है .शेष सभी में इस मात्रा का धड़ल्ले से अतिक्रमण हुआ है .
चार दूकानें ऐसी भी मिली हैं जिनके एक कप में ही केफीन की २०० मिलीग्राम से भी ज्यादा मात्रा मिली है .सबसे ज्यादा मात्रा प्रति कप ३०० मिलीग्राम से भी ज्यादा पाई गई है .ज़ाहिर है एक कप में मौजूद केफीन की मात्रा में निर्धारित से छ :गुना ज्यादा मात्रा रहने तक का अंतर देखा गया है .
जहां ५० मिलीग्राम प्रति कप वाली कोफी के प्रति दिन चार प्याले निस्संकोच गर्भवती महिला द्वारा लिए जा सकतें हैं ,वहीँ २००-३०० मिलीग्राम से भी ज्यादा केफीन युक्त कोफी का एक प्याला भी निरापद नहीं कहा जा सकता है .
अध्ययन के मुखिया रहे डॉ .अलान क्रोज़िएर ऐसे ही विचार व्यक्त करतें हैं . ज़ाहिर है अपने अनजाने में ही गर्भवती महिला से खता हो सकती है अपने ही गर्भस्थ के प्रति ज्यादती हो सकती है .
आइए देखें कैसे पहुँचती है केफीन पुरइन (Placenta )के पार गर्भस्थ तक :
पुरइन के पार आसानी से चली जाती है केफीन और एक बार वहां पहुँचने के बाद शरीर में इसकी मात्रा के पहले ही दाखिल हो चुकी मात्रा की तुलना में आधा रह जाने में कमसे कम पांच घंटे लगतें हैं .लेकिन आबादी के कुछ समूहों में जिनमें नौनिहाल भी शरीक हैं गर्भवती महिलाएं भी शरीर में पहुँचने के बाद इसे आधा रह जाने में तीस घंटे तक भी लग जातें हैं .
ऐसे में अजन्मे शिशु के कोमल यकृत(Liver) को नाहक ही केफीन की इस अवांछित मात्रा से जूझना पड़ेगा .इसके दीर्घावधि दुष्परिणाम सामने आ सकतें हैं .
रविवार, 4 दिसंबर 2011
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2 टिप्पणियां:
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